लंबी उम्र का राज

-जसविंदर शर्मा-जिस का डर था वही बात हो गई। हम न कहते थे कि ऐसे बदनउघाड़ु व सनसनीखेज करतब चुपचाप देखते रहो और आंखें तर करते रहो, ज्यादा होहल्ला न करो। मगर कुछ सिरफिरों ने पुलिस के पास गुहार की थी कि एक कोल्ड डिंरक ब्रैंड के प्रोमोशन के…
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बुद्धिजीवियों के सर्कस की लाइव कॉमेंट्री 

उधव कृष्ण  छोड़ो यार क्या ही बोलूँ, यही सोच कर कई दिनों से चुप ही था मैं। क्योंकि किसी को क्या ही फ़र्क पड़ता है इससे, अब सब सही ही है शायद, इसलिए कोई चिंता नही है। तो क्या हुआ जो लोकतंत्र धीरे-धीरे खत्म हो रहा है तो, होने दीजिए। पर याद…
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ब्रेकिंग न्यूज के उतार चढ़ाव

-सुदर्शन कुमार सोनी-आजकल ब्रेकिंग न्यूज का जमाना है कोई भी चैनल खोलो नीचे की पट्टी में कभी भी ब्रेकिंग न्यूज ब्लिंक होती रहती है। ब्रेकिंग न्यूज का मतलब है जो आपका ध्यान चल रहे कार्यक्रम से ब्रेक कर दे और आपकी उत्सुकता इसमें बनी रहे कि…
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मिलावट के लिए खेद है

-विजय कुमार-गरमी में इन्सान तो क्या, पेड़-पौधे और पशु-पक्षियों का भी बुरा हाल हो जाता है। शर्मा जी भी इसके अपवाद नहीं हैं। कल सुबह पार्क में आये, तो हाथ के अखबार को हिलाते हुए जोर-जोर से चिल्ला रहे थे, देखो...देखो...। क्या जमाना आ गया…
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गंजहों के गांव का लोकतंत्र

-श्रीलाल शुक्ल-तहसील का मुख्यालय होने के बावजूद शिवपालगंज इतना बड़ा गांव न था कि उसे टाउन एरिया होने का हक मिलता। शिवपालगंज में एक गांव-सभा थी और गांववाले उसे गांव-सभा ही बनाए रखना चाहते थे ताकि उन्हें टाउन एरियावाली दर से ज्यादा टैक्स न…
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