मां, पर पीर तो होती होगी
-अरुण तिवारी-
गांव की सबसे बङी हवेली
उसमें बैठी मात दुकेली,
दीवारों से बाते करते,
दीवारों से सर टकराना,
दीवारों सा मन हो जाना,
दूर बैंक से पैसा लाना,
नाज पिसाना, सामान मंगाना,
हर छोटे बाहरी काम की खातिर
दूजों से…
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