पैसा हाय पैसा  

-यज्ञ शर्मा-आज सारी दुनिया में पैसे को ले कर हाय−हाय मची हुई है। हमारा देश भी उस हायतौबा की गिऱफ़्त में है। जबसे पैसे का आविष्कार हुआ है, उसका महत्त्व बढ़ता ही गया। लेकिन, अब तो पैसा कमाना ही जिंदगी बन गया है। चोरी करो, डाका डालो, झूठ…
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लिव इन−लिव आउट

एक चीज़ होती है, लिव−इन रिलेशनशिप। पुराने खयाल के लोग इसे गलत मानते हैं। पुराने लोगों की बात न करें, तो भी लिव−इन रिलेशनशिप में एक गलती तो है। भाषा की! इसमें रिलेशनशिप शब्द गलत है। क्योंकि, रिलेशनशिप का अर्थ होता है संबंध, रिश्तेदारी वाला…
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फर्जी है सब फर्जी है, देखो भई मनमर्जी है

अगर फर्जी को फर्ज समझ लिया जाए और दुनियावालों पर एक कर्ज समझ लिया जाए तो बताइए हर्ज क्या है। कुछ सिरफिरों का कहना है कि दुनिया क्रांति से बेहतर होगी। अरे भइया, जब फर्जी से ही काम चल सकता है तो फिर क्रांति की क्या जरूरत है। मसलन, देखिए सबके…
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नमक ज्यादह, कम नमक

-डॉ. सुरेन्द्र वर्मा- वे कोई रसोइया नहीं थे। बुद्धिजीवी थे। बातों बातों में नमक के बारे में उन्होंने अपनी बुद्धि दौडाई। बोले, खाने का अपना कोई स्वाद नहीं होता। सारा स्वाद नमक में होता है। खाने में नमक ज्यादह हो अथवा कम हो, खाने का स्वाद…
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सोचकर शौच कर

-सपना मांगलिक- जब भी हम शौच की समस्या के बारे में सोचते हैं तो बस सोच कर ही रह जाते हैं.कहने में संकोच का अनुभव होता है और मन की बात मन में ही रह जाती है.सोचना यह है कि इतने आवश्यक और अनुसंधानात्मक तत्व को समाज ने इतना निकृष्टतम शव्द घोषित…
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शादी के लिए पैंतरेबाजी

-जसविंदर शर्मा- लड़की का पिता चहका, जनाब, मैं ने सारी उम्र रिश्वत नहीं ली। ऐसा नहीं कि मिली नहीं। मैं चाहता तो ठेकेदार मेरे घर में नोटों के बंडल फेंक जाते कि गिनतेगिनते रात निकल जाए। मगर नहीं ली, बस। सिद्धांत ही ऐसे थे अपने और जो संस्कार…
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एहसासात -ए – मच्छर

-तनवीर जाफ़री-गेंडामल को नित्य नये प्रयोग करने का बहुत शौक़ था। रोज़ की तरह एक दिन जब वह बाथरूम में नहाने गया तो अचानक 'खाये पिये परिवारों' के कई मोटे मच्छरों ने गेंडामल के निःवस्त्र शरीर की गेंडे जैसी खाल पर डंक चुभोना शुरू कर दिया। पहले…
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रूसी भाषा में शपथ लूं, तो चलेगा?

-अशोक मिश्र-बंगाल में बड़े भाई को कहा जाता है दादा। ऐसा मैंने सुना है। उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में दादा पिताजी के बड़े भाई को कहते हैं। बड़े भाई के लिए शब्द दद्दा प्रचलित है। समय, काल और परिस्थितियों के हिसाब से शब्दों के अर्थ…
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डाल डाल की दाल

-दिलीप कुमार-"दाल रोटी खाओप्रभु के गुण गाओ"बहुत-बहुत वर्षों से ये वाक्य दोहरा कर सो जाने वाले भारतीयों का ये कहना अब नयी और मध्य वय की पीढ़ी को रास नहीं आ रहा है। दाल की वैसे डाल नहीं होती लेकिन ना जाने क्यों फीकी और…
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प्याज का मारा इक दुखिया बेचारा

जबसे मैंने अपने दोस्त का चेहरा देखा है, अपने सा बेरंग ही देखा है। हो सकता है कभी उनके चेहरे पर नूर रहा हो, जब वे अविवाहित रहे हों। असल में वे मेरे जिगरी दोस्त विवाह के बाद ही हुए हैं। जो मैं विवाहित न होता, वे विवाहित न होते शायद ही हम एक…
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