नोटों की गड्डी (कहानी)
-रश्मि-
हम तुम्हरे पांय परत हैं बिटिया, इनका बचाय लेओ। बुढ़िया हाथ जोड़े, अधझुकी होकर सुगना के सामने मिन्नतें कर रही थी जबकि सुगना का पूरा शरीर क्रोध से कांप रहा था और हथेलियां गुस्से से भिंची हुईं थीं।
सुगना! तनिक देख लल्ली... ई…
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