स्काउट गाइड ने मनाई बिरसा मुंडा जयंती

रामानंद सोनी

भिंड, 15 नवंबर। भारत स्काउट एवं गाइड जिला भिंड द्वारा बिरसा मुंडा जयंती स्काउट कार्यालय कॉटन जीन कॉलोनी भिंड मनाई गई जिसमें जिले के पदाधिकारी स्काउट गाइड एवं सामान्य नागरिकों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया जिला संगठन  आयुक्त स्काउट अतिबल सिंह द्वारा बिरसा मुंडा जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा आज भगवान, क्रांतिकारी, जननायक, बिरसा मुंडाजी की जन्म जयंती है। भारतीय इतिहास में बिरसा मुंडा एक ऐसे नायक थे जिन्होंने भारत के झारखंड में अपने क्रांतिकारी चिंतन से उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में जनजाति समाज की दशा और दिशा बदलकर नवीन सामाजिक और राजनीतिक युग का सूत्रपात किया। काले कानूनों को चुनौती देकर बर्बर ब्रिटिश साम्राज्य को सांसत में डाल दिया।

15 नवंबर 1875 को झारखंड के जनजाति दम्पति सुगना और करमी के घर जन्मे बिरसा मुंडा ने साहस की स्याही से पुरुषार्थ के पृष्ठों पर शौर्य की शब्दावली रची। उन्होंने हिन्दू धर्म और ईसाई धर्म का बारीकी से अध्ययन किया तथा इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि जनजाति समाज मिशनरियों से तो भ्रमित है ही हिन्दू धर्म को भी ठीक से न तो समझ पा रहा है, न ग्रहण कर पा रहा है।

बिरसा मुंडा ने महसूस किया कि आचरण के धरातल पर जनजाति समाज अंधविश्वासों की आंधियों में तिनके-सा उड़ रहा है तथा आस्था के मामले में भटका हुआ है। उन्होंने यह भी अनुभव किया कि सामाजिक कुरीतियों के कोहरे ने जनजाति समाज को ज्ञान के प्रकाश से वंचित कर दिया है। धर्म के बिंदु पर जनजाति कभी मिशनरियों के प्रलोभन में आ जाते हैं, तो कभी ढकोसलों को ही ईश्वर मान लेते हैं।

भारतीय जमींदारों और जागीरदारों तथा ब्रिटिश शासकों के शोषण की भट्टी में जनजाति समाज झुलस रहा था। बिरसा मुंडा ने जनजातियो को शोषण की नाटकीय यातना से मुक्ति दिलाने के लिए उन्हें तीन स्तरों पर संगठित करना आवश्यक समझा।

पहला तो सामाजिक स्तर पर ताकि जनजाति-समाज अंधविश्वासों और ढकोसलों के चंगुल से छूट कर पाखंड के पिंजरे से बाहर आ सके। इसके लिए उन्होंने ने जनजाति को स्वच्छता का संस्कार सिखाया। शिक्षा का महत्व समझाया। सहयोग और सरकार का रास्ता दिखाया।

सामाजिक स्तर पर जनजाति के इस जागरण से जमींदार-जागीरदार और तत्कालीन ब्रिटिश शासन तो बौखलाया ही, पाखंडी झाड़-फूंक करने वालों की दुकानदारी भी ठप हो गई। यह सब बिरसा मुंडा के खिलाफ हो गए। उन्होंने बिरसा को साजिश रचकर फंसाने की काली करतूतें प्रारंभ की। यह तो था सामाजिक स्तर पर बिरसा का प्रभाव।

 दूसरा था आर्थिक स्तर पर सुधार ताकि जनजाति समाज को जमींदारों और जागीरदारों के आर्थिक शोषण से मुक्त किया जा सके। बिरसा मुंडा ने जब सामाजिक स्तर पर जनजाति समाज में चेतना पैदा कर दी तो आर्थिक स्तर पर सारे जनजाति शोषण के विरुद्ध स्वयं ही संगठित होने लगे।

 बिरसा मुंडा ने उनके नेतृत्व की कमान संभाली। जनजाति ने ‘बेगारी प्रथा’ के विरुद्ध जबर्दस्त आंदोलन किया। परिणामस्वरूप जमींदारों और जागीरदारों के घरों तथा खेतों और वन की भूमि पर कार्य रूक गया।

 तीसरा था राजनीतिक स्तर पर जनजाति को संगठित करना। चूंकि उन्होंने सामाजिक और आर्थिक स्तर पर जनजाति में चेतना की चिंगारी सुलगा दी थी, अतः राजनीतिक स्तर पर इसे आग बनने में देर नहीं लगी। जनजाति अपने राजनीतिक अधिकारों के प्रति सजग हुए।

 बिरसा मुंडा सही मायने में पराक्रम और सामाजिक जागरण के धरातल पर तत्कालीन युग के एकलव्य और स्वामी विवेकानंद थे। ब्रिटिश हुकूमत ने इसे खतरे का संकेत समझकर बिरसा मुंडा को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया। वहां अंग्रेजों ने उन्हें धीमा जहर दिया था। जिस कारण वे 9 जून 1900 को बलिदान हो गए। बिरसा मुंडा की गणना महान देशभक्तों में की जाती है। ऐसे देशभक्त बिरसा मुंडा को शत शत नमन।।।भारत माता की जय।। के साथ अपनी वाणी को विराम दिया , साथ ही श्रीमती राम जानकी द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया गया , कार्यक्रम की शुरुआत में सर्वप्रथम बिरसा मुंडा जी के चित्र पर सभी सम्मिलित प्रतिभागियों ने पुष्प चढ़ाकर जयंती की शुरुआत की और उनके जीवन दर्शन से बहुत संदेश प्राप्त हुआ इस अवसर पर श्री प्रभात कोरकू सीनियर स्काउट

राहुल ,कामिनी भाटिया ,दीपा स्वीटी सोनी,  दीपांशी सोनी मोहिनी, दीक्षा दुवे अभिषेक आदि स्काउट गाइड सम्मिलित हुए

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