होम्योपैथी क्षेत्र में अपार संभावनाएं

आज की आपाधापी वाली जिंदगी में बीमारियों ने मनुष्य के शरीर में अपनी पैठ बना ली है, तो लोग भी उनका जड़ से इलाज चाहते हैं। इसके लिए वह होम्योपैथी का सहारा लेते हैं। यह एक ऐसी पद्धति है जिसमें उपचार में तो समय लगता है लेकिन यह बीमारी को जड़ से मिटाती है। यही कारण है जिसके कारण यह पद्धति तेजी से लोकप्रिय हो रही है। अगर आप चाहें तो इस क्षेत्र में अपना भविष्य देख सकते हैं।

इस क्षेत्र की खासियत यह है कि यह आर्थराइटिस, डायबिटीज, थायरॉइड और अन्य तमाम गंभीर मानी जाने वाली बीमारियों का प्रभावी इलाज करती है और वह भी बिना किसी साइड इफेक्ट के। आमतौर पर यह धारणा है कि होम्योपैथी दवाईयों का असर बहुत देर से होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। दरअसल, यह पद्धति केवल पुरानी और गंभीर बीमारियों को पूरी तरह ठीक करने में थोड़ा समय लेती है, अन्यथा बुखार, सर्दी-खांसी या अन्य मौसमी या छोटी-मोटी बीमारियों में होम्योपैथिक दवाएं उतनी ही तेजी से असर करती हैं, जितनी कि अन्य पद्धतियों की दवाएं।

 

भारत में होम्योपैथी शिक्षा की शुरुआत 1983 में ग्रेजुएट लेवल और डिप्लोमा कोर्स से हुई। इस समय देश में 186 होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें से 35 सरकारी कॉलेज हैं। शेष निजी संस्थाओं द्वारा संचालित हैं। होम्योपैथी डॉक्टर बनने के लिए कई कोर्स हैं। इनमें सबसे आरंभिक कोर्स है-बैचलर ऑफ होमियोपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी यानी बीएचएमएस। इनमें प्रवेश के लिए आपको फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी और अंग्रेजी विषयों के साथ कम से कम 45 प्रतिशत अंकों से 12वीं पास होना आवश्यक है।

 

.बीएचएमएस में प्रवेश पाने के लिए आपको ऑल इंडिया एंट्रेंस एग्जामिनेशन देना पड़ेगा। इस कोर्स की कुल अवधि साढे पांच वर्ष है जिसमें 6 माह की इंटर्नशिप भी शामिल है। इसके बाद डिप्लोमा इन होमियोपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी यानी डीएचएमएस किया जा सकता है। इसकी अवधि चार वर्ष है। इस क्रम में होमियोपैथ में एमडी भी किया जा सकता है। जिसकी निर्धारित अवधि तीन वर्ष है। यह पोस्ट ग्रेजुएट स्तर का कोर्स है। इसके तहत पीडियाट्क्सि, मेटेरिया मेडिका, होमियोपैथिक फिलॉसफी, रेपर्टरी, साइकियाट्रिस्ट, फार्मेस आर्गेनॅन ऑफ मेडिसिन आदि में विशेषज्ञता हासिल की जा सकती है। इस क्षेत्र में करियर की अपार संभावनाएं है। कोर्स करने के बाद आपको सरकारी या निजी अस्पताल में होमियोपैथी डॉक्टर के रूप में नौकरी मिल सकती है।

 

इसके अलावा क्लिनिक्स, चैरिटेबल इंस्टिट्यूट, रिसर्च इंस्टिट्यूट, मेडिकल कॉलेजों में भी काम मिल सकता है। इन सभी के अलावा आप खुद का काम भी कर सकते हैं। वाणिज्य संस्थान एसोचैम की रिपोर्ट के आधार पर भारत में होमियोपैथी का बाजार इस समय करीब 12।5 अरब रुपए का है। उम्मीद की जा रही है कि 2010 तक यह 26 अरब रुपए का हो जाएगा। होम्योपैथी का बाजार प्रतिवर्ष 25-30 प्रतिशत की गति से आगे बढ़ रहा है। लोगों के बीच होम्योपैथिक चिकित्सा की जितनी मांग बढ़ रही है, उस अनुपात में पर्याप्त चिकित्सक नहीं है। होम्योपैथ का एक अच्छा डॉक्टर प्रतिदिन तीन-चार हजार रुपए आराम से कमा लेता है। भारत में एलोपैथी और आयुर्वेद के बाद होमियोपैथी तीसरी सर्वाधिक लोकप्रिय चिकित्सा पद्धति है। हालांकि, आज यह सबसे तेजी से आगे बढ़ रही है।

 

शिक्षण संस्थान…

 

-गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, दिल्ली

-डॉ. बीआर सूर होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली

-नेहरु होम्यो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, नई दिल्ली

-नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ होम्योपैथी, कोलकाता

-बैक्सन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज, नोएडा

-कानपुर होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, कानपुर नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, लखनऊ।

Leave A Reply

Your email address will not be published.