धूम्रपान यानी किश्तों में खुदकुशी : विशेषज्ञ

चंडीगढ़, 17 नवंबर, धूम्रपान कुछ और नहीं एक तरह से किश्तों में खुदकुशी करना ही है। यह बात आज विश्व सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीस) दिवस के अवसर पर फेफड़ों के विशेषज्ञों ने कही। यहां चंडीगढ़ प्रेस क्लब में जॉर्गर्स हेल्थकेयर्स की तरफ से आयोजित पैनल चर्चा में पद्मश्री पुरस्कृत डॉ. दिगंबर बेहरा ने कहा कि कोविड के दौरान भी फेफड़ों से संबंधित बीमारियां मौत का एक प्रमुख कारण रहीं इसलिए फेफड़ों के स्वास्थ्य पर फोकस करना और भी जयरी है। उन्होंने कहा कि धूम्रपान, वायु प्रदूषण से दूर रहकर और व्यायामों या शारीरिक हलचल सक्रियता से फेफड़ों को स्वस्थ रखा जा सकता है।

डॉ. ज़फर इकबाल अहमद ने इस अवसर पर बताया कि आबादी के 6.5 से 7.7 फीसदी हिस्से (लगभग दस करोड़ से ज्यादा) में सीओपीडी का होना देश में मौत का दूसरा प्रमुख कारण बन गया है। जॉर्गर्स के संस्थापक वरुण गुप्ता ने कहा कि उनके दस से पंद्रह फीसदी मरीज सीओपीडी ग्रसित हैं और इन मरीजों को वेंटीलेशन उपकरणों, ऑक्सीजन सिलेंडर/कंसंट्रेटरों के साथ घर पर भी नर्स और फेफड़ों के विशेषज्ञों की जरूरत पड़ती है। डॉ. सुरेश के गोयल ने सीओपीडी मरीजों को कोविड जोखिम से जोड़ते हुए कहा कि धूम्रपान किश्तों में खुदकुशी जैसा ही है। सीओपीडी मरीजों में तीव्र कोविड संक्रमण का बड़ा जोखिम रहता है। लंबे समय तक धूम्रपान करने वालों को कोविड संक्रमण का खतरा और भी ज्यादा होता है क्योंकि धूम्रपान इम्युनिटी को कमजोर करता है। डॉ. सन्नी विरदी ने कहा कि सीओपीडी मरीज के साथ जिंदगी भर चलती है और बीमारी से जनित बाधाओं से जीवनशैली परिवर्तन, जैसे स्वस्थ खानपान और व्यायाम करना, और वैक्सीनेशन के जरिये निबटा जा सकता है। डॉ. राहुल कात्याल ने कहा कि कोविड महामारी एक अवसर है भविष्य के बारे में पुनर्विचार का औैर फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए मिलकर कार्य करने का।

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.