लिव इन−लिव आउट

एक चीज़ होती है, लिव−इन रिलेशनशिप। पुराने खयाल के लोग इसे गलत मानते हैं। पुराने लोगों की बात न करें, तो भी लिव−इन रिलेशनशिप में एक गलती तो है। भाषा की! इसमें रिलेशनशिप शब्द गलत है। क्योंकि, रिलेशनशिप का अर्थ होता है संबंध, रिश्तेदारी वाला संबंध। लिव−इन रिलेशनशिप में शारीरिक संबंध तो होता है, रिश्तेदारी वाला कोई संबंध नहीं होता। सारी दुनिया में संबंधों के निश्चित नाम होते हैं, पति−पत्नी, चाचा−चाची, भाई−भतीजे वगैरा। जबकि लिव−इन रिलेशनशिप में रहने वाले एक−दूसरे को पार्टनर कहते हैं! पार्टनर रिश्तेदारी से नहीं, धंधे से जुड़ा नाम है। वैसे, लिव−इन रिलेशनशिप को आप कुछ भी समझें, पर वह धंधा तो नहीं होता। अगर, लिव−इन रिलेशनशिप संबंध नहीं है, धंधा नहीं है, तो फिर क्या है? असल में लिव−इन रिलेशनशिप एक अरेन्जमेंट है। अरेन्जमेंट भी इस बात का कि कौन किसके घर में रहेगा!

 

लिव−इन रिलेशनशिप में कुछ खास चीजें जरूरी होती हैं। पहली ज़रूरी चीज-दो व्यक्ति, जो बिना शादी किए साथ रहना चाहते हों। दूसरी जरूरी चीजें-एक घर और एक सूटकेस। अगर एक के पास घर है, तो दूसरा अपना सूटकेस उठा कर उसके घर में रहने आ जाता है। और, लिव−इन शुरू हो जाता है। तो, लिव इन रिलेशनशिप में दो व्यक्तियों के अलावा जो दो चीज़ें बहुत ज़रूरी हैं, वे हैं-एक घर और एक सूटकेस। अब, घर और सूटकेस में ज़्यादा महत्व किसका होगा? ज़ाहिर है घर का। क्योंकि घर नहीं होगा, तो कोई सूटकेस को रखेगा कहां? लेकिन, आप सूटकेस को कम मत समझिए। अगर, घर रहने को जगह देता है तो सूटकेस आज़ादी देता है। मान लीजिए, लिव−इन में अनबन हो जाए और सूटकेस वाला नाराज़ हो जाए, तो वह सूटकेस उठाएगा और घर छोड़ कर चला जाएगा। इसके उलट, अगर घर वाला नाराज़ हुआ तो वह क्या करेगा? वह थोड़े ही घर को उठा कर कहीं ले जा सकता है!

 

लिव−इन रिलेशनशिप को आज़ाद रिश्ता माना जाता है। इस रिश्ते में सबसे आजाद क्या है? सूटकेस! जब इन करना हो, तो सूटकेस उठाओ और इन हो जाओ। जब आउट करना हो तो सूटकेस उठाओ और आउट हो जाओ। मतलब, एक नज़रिये से लिव−इन रिलेशनशिप एक सूटकेस है। सूटकेस भी पहिये वाला, जैसा हवाई यात्राओं में इस्तेमाल होता है। न जहाज के अंदर जाने में परेशानी, न बाहर आने में। ती तो लिव−इन रिलेशनशिप किसी फ़्लाइट की तरह चलती है। टेक−ऑफ़ करने में ले ही टाइम लग जाए, पर उसके बाद जिंदगी हवाई जहाज की तरह चलती है। शायद इसीलिए लिव−इन वालों के चेहरे बिज़नैस क्लास के पैसेन्जरों जैसे दिखते हैं।

 

जो लोग लिव−इन रिलेशनशिप में रहते हैं, वे इसे आजादी मानते हैं। अब, आजादी तो अच्छी चीज होती है। आज दुनिया में किस्म−किस्म की आजादियां मिलती हैं। विचारों की आजादी, अभिव्यक्ति की आजादी, जिंदगी अपने ढंग से जीने की आजादी और सबसे बड़ी आज़ादी-आज़ादी से आज़ाद होने की आज़ादी। आजकल आजादी को इतनी दिशाओं में खींचा जा रहा है कि हो सकता है, एक दिन लोग जिम्मेदारियों से भी आजाद होना चाहें। क्या लिव−इन रिलेशनशिप अपनी जिम्मेदारियों से आजादी है? आपका क्या खयाल है?

 

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