जंतर मंतर दिल्ली पर अरुणाचल प्रदेश सरकार के विरोध में लगाए नारे और भूख हड़ताल की दी चेतावनी

अनवार अहमद नूर
नई दिल्ली,  संसद से कुछ ही दूरी पर स्थित जंतर मंतर पर अरुणाचल प्रदेश में चकमा-हाजोंग समुदायों के आवासीय प्रमाण पत्र (आरपीसी) को बहाल करने के लिए विशाल धरना, प्रदर्शन और सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की गई। जिसमें बड़ी संख्या में चाकमा और हाजोंग विधार्थियों सहित मिजोरम,असम और अरुणाचल प्रदेश के लोगों ने भाग लिया। अपना विरोध और अरुणाचल सरकार के विरुद्ध नारेबाज़ी करते हुए आरपीसी को लेकर अरुणाचल प्रदेश सरकार की आलोचना की गई और उसकी हाय हाय के नारे लगाए गए। साथ ही भारत की मोदी सरकार को चेताया गया कि चाकमा और हाजोंग समूदाय को अधिकारों से वंचित  करना ठीक नहीं है, आंदोलन और तेज़ किया जाएगा और अगर आवश्यकता पड़ी तो इसके लिए भूख हड़ताल भी की जाएगी।
प्रदर्शनकारियों और वक्ताओं ने ज़ोर देकर कहा है कि आर.पी.सी चाकमा और हाजोंग समुदाय का मौलिक अधिकार है। और आर.पी.सी को अचानक रद्द करने से जीवन के सभी क्षेत्रों में बाधा आएगी तथा चाकमा और हाजोंग समुदाय के छात्रों का भविष्य चौपट हो जाएगा।अरुणाचल प्रदेश चकमा स्टूडेंट्स यूनियन (एपीसीएसयू) के अध्यक्ष दृश्यमुनि चाकमा ने कहा कि चाकमा और हाजोंग न तो अवैध लोग हैं और न विदेशी हैं न शरणार्थी हैं वह तो भारतीय नागरिक हैं और अरुणाचल प्रदेश में स्थाई तौर पर रहते हैं।
फिर इनके साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया जा रहा है।आवासीय प्रमाण पत्र (आरपीसी) को निरस्त करने का क्या मतलब है। आर.पी.सी को 15 दिसंबर, 2022 तक बहाल किया जाना था। लेकिन नहीं किया गया। पानी सिर से ऊपर हो चला है और सरकार आंख मूंद कर बैठी है। इसलिए असहयोग आंदोलन और तेज़ होगा। अगर अरुणाचल सरकार सकारात्मक तरीके से काम नहीं करती तो यह मुद्दा अन्य राज्यों में भी फैल जाएगा। अरुणाचल प्रदेश चाकमा स्टूडेंट्स यूनियन के एडवाइजर उत्तम चाकमा ने कहा कि आर.पी.सी को रद्द करना हमारे बुनियादी मौलिक अधिकारों को छीनने के बराबर है, और आर.पी.सी को अचानक रद्द करने से हाशिए पर रहने वाले दो समुदाय शिक्षा और आजीविका के बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित हो जाएंगे।
ज्ञात रहे कि सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए इन दो समुदायों के सदस्यों ने 23 दिसंबर से अरुणाचल के चांगलांग जिले के दियुन, मियाओन, इन्नाओ और बोरदुम्सा बाज़ारों में अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और दुकानों को बंद रखा। वहीं इसको लेकर छात्र भी आंदोलित हैं और कक्षाओं का बहिष्कार कर रहे हैं। ऊपरी असम क्षेत्र से सटे जिलों में धरना-प्रदर्शन भी हुआ है। और अब अपना विरोध राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर तक ले आए हैं। और चेतावनी दी है कि अगर अब भी इनकी मांग नहीं सुनी गई तो ये लोग अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करेंगे।
अरुणाचल प्रदेश चाकमा स्टूडेंट्स यूनियन (ए.पी.सी.एस.यू) के साथ ऑल चकमा-हाजोंग कम्युनिटी बेस ऑर्गनाइजेशन (सीबीओ), अरुणाचल प्रदेश चकमा स्टूडेंट्स यूनियन (एपीसीएसयू) द्वारा 23 दिसंबर-2022 से 30 दिसम्बर-2022 तक चले असहयोग आंदोलन और विरोध प्रदर्शन,बंद और रैली आदि करके बड़ा विरोध प्रदर्शन इसलिए किया गया है कि आवासीय प्रमाण पत्र (आर.पी.सी) को बहाल किया जाए। इनका कहना है कि आर.पी.सी प्रत्येक छात्र के जीवन में एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह केंद्र सरकार में रोज़गार पाने, शिक्षा संस्थानों में प्रवेश और कुछ निजी क्षेत्र में नौकरी पाने के लिए आवश्यक दस्तावेज़ है।
उत्तम चाकमा, अध्यक्ष, राष्टीय चाकमा र्टावेल संघ,का कहना है कि अरूणाचल प्रदेश राज्य सरकार, जाति  के आधार पर भेदभाव करते हुए चाकमा व हाजोंग समुदाय के छात्रों व युवाओं के भविष्य व केरियर को जानबूझकर ख़राब कर रहे हैं। आरपीसी, ट्रेड लाइसेंस, ड्राइविंग लाइसेंस, बर्थ सर्टिफिकेट के बिना वे किया करेंगे। राज्य सरकार इन छात्रों व युवकों को हिंसक व उग्र होने के लिए मजबूर कर रही है। अतः इस समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार के साथ केंद्र सरकार को नैतिक ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए और राज्य सरकार को तुरंत आदेश देकर आरपीसी को बहाल कर देना चाहिए। इस धरना प्रदर्शन में अनेक महिलाएं और नौजवानों के अलावा मिजोरम के परितोष चाकमा,अरूणजी चाकमा, प्रियंका चाकमा, सधांजय चाकमा,भीक्षू लोकाज्योति,उत्पला, सहित अनेक चाकमा और हाजोंग समुदाय के संगठन प्रमुख मौजूद रहे।
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