रबी का एमएसपी घोषित , गेहूं 110,चना 66, मसूर का एमएसपी 500 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा

नयी दिल्ली, 18 अक्टूबर,  केंद्र ने रबी फसलों के विपणन सत्र 2023-24 के लिए गेंहू, जौ और चना सहित छह प्रमुख फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि के प्रस्ताव को मंगलवार को मंजूरी दी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मालों की मंत्रिमंडलीय समिति ने गेहूं के एमएसपी में प्रति क्विंटल 110 रुपये, जौ में 100 रुपये और चना के एमएसपी में 105 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि को मंजूरी दी है।

बैठक के निर्णयों की जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने संवावाददाताओं से कहा कि श्री मोदी नीत सरकार किसानों के हित को देख कर फैसले करती है। केंद्र ने मसूर के एमएसपी में 500 रुपये प्रति क्विंटल और सफेद सरसों व सरसों के एमएसपी में 400 रुपये की उच्चतम वृद्धि को मंजूरी दी है। इसी तरह कुसुंभ के लिए 209 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि को मंजूरी दी गई है। गेहूं का एमएसपी पिछले साल के 2015 रुपये से बढ़ा कर 2125 रुपये, जौ 1635 से 1735 रुपये, चना 5230 रुपये से 5335 रुपये, मसूर 5500 रुपये की जगह 6000 रुपये , सफेद सरसों और सरसों 5050 से 5450 रुपये और कुसुंभ के एमएसपी को 5441 से बढ 5650 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।

सरकार ने कहा है कि गेहूं का एमएसपी लाग से 100 प्रतिशत, जौ का 60 प्रतिशत, चना 66 प्रतिशत, मसूर 85 प्रतिशत ,सफेद सरसों और सरसों का एमएसपी लागत से 104 प्रतिशत और कुसंभ का एमएसपी लागत से 50 प्रतिशत ऊंचा है। सरकार ने स्पष्टीकरण दिया है कि लागत के संदर्भ में काम पर लगाए गए श्रमिक पर खर्च की के साथ सभी भुगतान की गई लागतें शामिल की जाती हैं। इनमें श्रम, बुल़ॉक श्रम/मशीन श्रम, भूमि में पट्टे के लिए भुगतान किया गया किराया, बीज, उर्वरक, खाद, सिंचाई शुल्क, उपकरणों और कृषि भवनों पर मूल्यह्रास, कार्यशील पूंजी पर ब्याज, डीजल/बिजली के संचालन के लिए सामग्री के उपयोग पर किए गए खर्च पंप सेट आदि, विविध, पारिवारिक श्रम का खर्च आदि भी शामिल है।

सरकार ने कहा कि घोषित एमएसपी बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है, जिसमें समर्थन मूल्य को अखिल लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर तय किया गया है। जिसका लक्ष्य किसानों के लिए उचित पारिश्रमिक तय करना है। सरकार ने देश में तिलहन और दलहनी फसलों का उत्पादन बढ़ा कर आयात पर निर्भरता कम करने के लिए उत्पादकता बढ़ाने के साथ एमएसपी में वृद्धि की रणनीति अपनायी है। इन पहलों से तिलहन उत्पादन 2014-15 में 2.75 करोड़ टन से बढ़कर 2021-22 में 3.77 करोड़ टन (अनुमानित) हो गया है। इसी तरह 2014-15 के बाद से दलहन के मामले में उत्पादकता 728 किग्रा/हेक्टेयर से बढ़ाकर अनुमानित 892 किग्रा/हेक्टेयर हो गई है जो उत्पादकता में 22.53 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है। इस दौरान तिलहनी फसलों की उत्पादकता 1075 किग्रा/हेक्टेयर से बढ़ाकर 1292 किग्रा/हेक्टेयर ( अनुमान) के स्तर पर पहुंच गयी है।

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