बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू करने में विफल रहे अधिकारी : उ. न्या.

पटना 18 अक्टूबर,  पटना उच्च न्यायालय ने शराबबंदी से संबंधित मामलों की बढ़ती संख्या पर संज्ञान लेते हुए आज स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य के अधिकारी बिहार में पूर्ण शराबबंदी को सही मायने में लागू करने में विफल रहे हैं। न्यायमूर्ति पूर्णेंदु सिंह ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा कि मौजूदा परिदृश्य में इस न्यायालय ने कई जमानत आवेदनों में प्रस्तुत रिपोर्टों के माध्यम से पाया कि शराबबंदी कानून को सही तरीके से लागू नहीं किया गया है। इस अदालत ने राज्य के अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण शराब निर्माण और तस्करी की बढ़ती प्रवृत्ति को भी देखा है। उनहोंने कहा कि राज्य में शराब आसानी से उपलब्ध है और राज्य के नागरिकों का जीवन राज्य मशीनरी की विफलता के कारण जोखिम में है। अदालत ने राज्य सरकार को जब्त शराब के निपटान के संबंध में वैज्ञानिक उपाय अपनाने के लिए पर्यावरण के अनुकूल नीति बनाने को कहा है।

न्यायाधीश ने कहा कि बिहार में कई कारणों से शराबबंदी कानून का गलत पक्ष उजागर हुआ है। नाबालिगों को शराब की तस्करी में लगाया गया, शराब प्रतिबंध के बाद नशीली दवाओं की खपत में तेजी से वृद्धि हुई और राज्य में बड़ी संख्या में जहरीली शराब पीने से हुई त्रासदी भी देखी गई। इन सब से लोगों का जीवन खतरे में पड़ गया।

न्यायाधीश ने अपने आदेश में राज्य की जेलों में भीड़भाड़ का उल्लेख भी किया। सरकार ने भी स्वीकार किया कि बड़ी संख्या में शराब पीने वालों की गिरफ्तारी के कारण राज्य की जेलों में भीड़ बढ़ रही है। उन्होंने राज्य सरकार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पिछले साल अक्टूबर तक बिहार मद्य निषेध और उत्पाद अधिनियम के तहत 348170 मामले दर्ज किए गए और 401855 गिरफ्तारियां की गईं। उन्होंने उच्चतम न्यायालय के पहले के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को उस स्थिति से निपटने के लिए एक तंत्र विकसित करने का निर्देश दिया था, जो राज्य द्वारा निचली अदालतों में मामलों की संख्या में वृद्धि का हवाला देते हुए नहीं किया गया।

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