पराली प्रबंधन : ठूंठ से भी होंगे किसानों के ठाठ, खेत नहीं होंगे खाक

लखनऊ, 16 सितंबर, उत्तर प्रदेश सरकार ने पराली प्रबंधन की अनूठी कार्ययोजना तैयार कर फसल अपशिष्ट को जलाने से रोक कर पर्यावरण के नुकसान से बचने और किसानों काे फसलों के ठूंठ से खेती में लाभान्वित करने का दावा किया है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में अगले महीने से धान की कटाई शुरु होने के बाद पराली प्रबंधन की चुनौती आसन्न है। इसके मद्देनजर राज्य सरकार ने यह कार्ययोजना तैयार की है। सरकार की ओर से शुक्रवार को यह जानकारी देते हुए बताया गया कि कृषि यंत्रीकरण के इस दौर में धान की कटाई कंबाइन मशीन से होती है। कटाई के बाद खेतों में ही फसल अवशेष (पराली/ठूंठ) जला दी जाती है। इससे वायु प्रदूषण जनित धुंध छाने की समस्या उत्तर भारत, खासकर दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में हर साल उत्पन्न होती है।

इस समस्या के समाधान में पराली को सहेजने वाले कृषि यंत्रों पर दिये जा रहे अनुदान की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। योगी सरकार ने इस समस्या के लिये प्रभावी कार्ययोजना के तहत उत्तर प्रदेश राज्य जैव ऊर्जा नीति 2022 के तहत कृषि अपशिष्ट आधारित बायो सीएनजी, सीबीजी (कंप्रेस्ड बायो गैस) इकाइयों को कई तरह के प्रोत्साहन देने की पहल की है। सरकार इन इकाइयाें को हर जिले में लगायेगी। इसके तहत मार्च 2023 तक गोरखपुर की इकाई चालू हो जायेगी।

इस कार्ययोजना के तहत करीब 160 करोड़ रुपये की लागत से इंडियन ऑयल गोरखपुर के दक्षिणांचल स्थित धुरियापार में इकाई लग रही है। यह प्लांट मार्च 2023 तक चालू हो जाएगा। इसमें गेंहू और धान की पराली के साथ, धान की भूसी, गन्ने की पत्तियां और गोबर का उपयोग होगा। हर फसल अपशिष्ट की तय कीमत होगी। इससे किसानों को फसलों के ठूंठ (अपशिष्ट) के भी उचित दाम मिलेंगे।
प्लांट में मिले रोजगार के अलावा प्लांट की जरूरत के लिए कच्चे माल के एकत्रीकरण, लोडिंग, अनलोडिंग एवं ट्रांसपोर्टेशन के क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित होंगे। सीएनजी एवं सीबीजी के उत्पादन के बाद जो कंपोस्ट खाद उपलब्ध होगी, वह किसानों को सस्ते दामों पर उपलब्ध कराई जाएगी।

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