गहलोत की गुगली कमाल कर गई

-रमेश सर्राफ धमोरा-

राज्यसभा के चुनाव में एक बार फिर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जादूगरी देखने को मिली। गहलोत ने भाजपा के मंसूबों पर पानी फेरते हुए आसानी से कांग्रेस के तीनों उम्मीदवारों रणदीप सुरजेवाला, मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी को जितवा कर कांग्रेस आलाकमान की नजरों में अपनी राजनीति का लोहा मनवाया है। इस बार के राज्यसभा चुनाव में गहलोत ने कांग्रेस के 108 विधायकों के साथ ही निर्दलीय व अन्य दलों के सभी विधायकों को एकजुट कर यह संभव कर दिखाया।

राजस्थान में राज्यसभा के लिए चार सीटों के चुनाव हुए। यह चारों सीट पूर्व में भाजपा के पास थी। मगर संख्या बल के हिसाब से इस बार कांग्रेस को तीन और भाजपा को एक सीट मिल सकती थी। लेकिन भाजपा ने हरियाणा से राज्यसभा सदस्य सुभाष चंद्रा को अपने समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतार दिया था। इस कारण प्रदेश में चुनाव की नौबत आई। 2016 में सुभाष चंद्रा हरियाणा में जोड़-तोड़ कर निर्दलीय चुनाव जीते थे। उनको वहम था कि राजस्थान में भी वो अपनी पुरानी कलाकारी दोहराएंगे। मगर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने उनकी नहीं चली। वह मात्र 30 वोट ही प्राप्त कर सके। चंद्रा के नामांकन करते ही गहलोत सतर्क हो गए थे। उन्होंने अपने समर्थक विधायकों को एकजुट किया। सभी को उदयपुर के एक रिसोर्ट में रखा। भाजपा से कांग्रेस में आए छह विधायकों, भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो विधायकों व कुछ निर्दलीय विधायकों को सरकार से शिकायतें थी। उन सभी को उन्होंने साध लिया।

कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला 43, मुकुल वासनिक को 42 और प्रमोद तिवारी को 41 वोट मिले हैं। भाजपा के घनश्याम तिवारी को 43 वोट मिले और वह भी चुनाव जीत गए। निर्दलीय सुभाष चंद्रा को मात्र 30 वोट पर संतोष करना पड़ा। गहलोत ने भाजपा खेमे में सेंध लगाते हुए धौलपुर से भाजपा की विधायक शीलारानी कुशवाहा का वोट भी प्रमोद तिवारी को दिलवा कर क्रॉस वोटिंग करवा दी। इससे भाजपा खेमे में हड़कंप मचा हुआ है। शोभा रानी कुशवाह को पार्टी से निलंबित भी कर दिया है। गहलोत कांग्रेस के उम्मीदवारों के पक्ष में 200 में से 126 वोट डलवाने में सफल रहे। इनमें कांग्रेस के 108 वोट, निर्दलीय 13 वोट, माकपा के दो वोट, भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो वोट, राष्ट्रीय लोक दल का एक वोट व एक भाजपा विधायक शोभा रानी कुशवाह का वोट शामिल है। यदि कांग्रेस का एक वोट निरस्त नहीं होता तो कांग्रेस उम्मीदवारों के पक्ष में 127 वोट पड़ते।

राज्यसभा चुनाव में राजस्थान एकमात्र ऐसा प्रदेश है जहां से कांग्रेस के सबसे ज्यादा तीन सदस्य राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं। राजस्थान से निर्वाचित तीनों सदस्य मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला, प्रमोद तिवारी केंद्र की राजनीति करते हैं। मुकुल वासनिक कांग्रेस महासचिव होने के साथ सोनिया गांधी के विश्वस्त हैं। रणदीप सुरजेवाला कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव होने के साथ ही राहुल गांधी व संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के विश्वास पात्र हैं। प्रमोद तिवारी उत्तर प्रदेश में पार्टी के बड़े ब्राह्मण चेहरे हैं। वह प्रियंका गांधी के निकटतम लोगों में हैं। तीनों की जीत में गहलोत का बड़ा रोल है। ऐसे में कांग्रेस की राजनीति में यह तीनों ही नेता जरूरत पड़ने पर गहलोत के पैरोकार के रूप में काम करेंगे। इसका राजनीतिक रूप से मुख्यमंत्री को लाभ मिलेगा। ऐसे में उन्हें अगले दो साल तक शासन करने में किसी भी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। अब गहलोत बागी नेता सचिन पायलट को भी किनारे कर देंगे।

राजस्थान से कांग्रेस के छह राज्यसभा सदस्य हैं। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और केसी वेणुगोपाल भी शामिल हैं। केसी वेणुगोपाल के समर्थन से ही गहलोत ने सचिन पायलट की बगावत को फेल किया था। कुछ दिनों पूर्व गहलोत ने राज्यसभा चुनाव के बाद मंत्रिमंडल फेरबदल के संकेत दिए थे। अब लगता है कि इस बार के फेरबदल में वह अपने कट्टर विरोधी सचिन पायलट गुट के मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखा कर अपने समर्थक कुछ और विधायकों को मंत्री बना सकते हैं। क्योंकि अशोक गहलोत का जादू कांग्रेस आलाकमान के सिर चढ़कर बोल रहा है। इस जीत के बाद मुख्यमंत्री गहलोत का मनोबल काफी बढ़ा है। नतीजे आते ही उन्होंने घोषणा कर दी कि 2023 के विधानसभा चुनाव में वो भाजपा विरोधी दलों को एकजुट कर चुनाव लड़ेगें।

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