गेंहू के निर्यात पर प्रतिबंध से किसानों की बढ़ी परेशानी

झाबुआ/नयी दिल्ली 15 मई,  केंद्र सरकार द्वारा गेंहू के निर्यात पर रोक लगाने को लेकर मध्य प्रदेश के झाबुआ के एक स्थानीय गेंहू व्यापारी राहुल पटवा ने इसे बड़ी समस्या बताते हुए कहा कि यह उन किसानों की परेशानी का सबब बन गया है जिन्होंने अपनी गेहूं फसल का अभी 40 प्रतिशत हिस्सा भी नहीं बेचा है। पटवा ने कहा कि भारत सरकार ने शुक्रवार देर रात अधिसूचना में खाद्य सुरक्षा जोखिमों का हवाला देते हुए गेंहू के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाने से गेंहू व्यापारियों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गयी है क्योंकि निर्यातकों और मिल मालिकों ने सरकारी अधिसूचना से पहले तय की गयी राशि का भुगतान करने के लिए मना कर दिया है, इसके साथ ही बंदरगाहों पर पहले से रखी डिलीवरी को स्वीकार नहीं किया।  जिससे परेशान गेंहू व्यापारियों ने 17 मई से हड़ताल पर जाने का इरादा किया है उन्होंने कहा कि वैश्विक कीमतों में अचानक उछाल आया है, जिसने भारत, पड़ोसी देशों और अन्य कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है।

खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने शनिवार को मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा कि अनियंत्रित व्यापार से गेहूं की कीमत में वृद्धि होती है। इसलिए, उन्होंने आगे कहा, गेहूं की उपलब्धता और मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लिए गए निर्णय से कई विशेषज्ञों को आश्चर्य हो रहा है, क्योंकि कुछ दिनों पहले ही उन्होंने कहा था कि देश से गेहूं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए व्यापार प्रतिनिधिमंडल को नौ देशों में भेजा जाएगा। स्थानीय व्यापारियों ने अनुमान लगाया कि गेंहू के निर्यात पर प्रतिबंध का असर झाबुआ और रतलाम जिलों के उन किसानों पर पड़ेगा। जिन्होंने अभी तक उपज नहीं बेची है।

स्थानीय गेंहू व्यापारी पंकज मेहता और अशोक पटवा ने अनुमान लगाया कि किसान पहले ही लगभग 60-65 प्रतिशत गेहूं की उपज बेच चुके हैं और शेष को एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के रूप में कम कीमत मिलने की संभावना है, जो कि 2,015 प्रति क्विंटल है। व्यापारियों के अनुमान के मुताबिक, गुजरात के कांडला बंदरगाह पर चार हजार से अधिक ट्रक में एक सप्ताह से अधिक समय से अनलोड होने का इंतजार कर रहे हैं। इसी दौरान राहुल ने कहा, “ट्रांसपोर्टर अब हमें धमकी दे रहे हैं कि अगर आने वाले दिनों में ट्रकों से गेहूं नहीं उतारा गया तो हम गेहूं उठा लेंगे।” व्यापारियों ने कहा कि अब मंडियों से गेहूं की खरीद को रोकने पर विचार किया जा रहा है।

कृषि-व्यापार विशेषज्ञ विजय सरदाना ने कहा कि समझौते में निजी व्यापारियों को व्यापार से लाभ के बारे में जिक्र नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि यदि निर्यातक सहमत सौदे का पालन करने से इनकार कर रहे हैं, तो व्यापारियों को अदालत जाना चाहिए। श्री सरदाना ने कहा कि किसानों को पहले से दो सौ रुपये कम शेष राशि को स्वीकार करनी चाहिए, उन्होंने कहा कि अगर किसान कृषि कानूनों को लागू होने देते, तो उन्हें गेंहू का उचित बाजार मूल्य मिलता।

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