नींद

-अनुप्रिया-

 

चंदा बादल संग खेलता

शोर मचाते तारे

तू भी सो जा कहती मम्मा

सो गए अब तो सारे

आसमान ने ओढ़ लिया है

काला सा क्यूं रंग

नींद बांटती सबको देखो

सपने रंग-बिरंग

ऊंघ रहे हैं परदे-खिड़की

तकिया और रजाई

सोने चला मैं भी अब तो

नींद मुझे भी आई।

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