समुद्र की किलर डॉल्फ़िनों का सच
उधव कृष्ण
वैसे तो जीव-जन्तुओं का युद्ध, जासूसी व संदेश पहुँचाने लाने जैसे कार्यो में उपयोग सदियों से होता चला आ रहा है। पक्षियों द्वारा दुश्मन के बेड़े में सेंधमारी, या उनपर लगे कैमरों की मदद से जानकारियां जुटाना इत्यादि भी आज कल आम बात लगती है। पर समुद्री जीवों का उपयोग भी इस तरह के कार्यो में किया जाना अपने आप में एक अनोखी बात प्रतीत होती है। ‘हमास’ जो फिलिस्तीन का प्रतिनिधित्वकर्त्ता है, एवं इजऱायल जिसे आतंकी संगठन मानता है, उसके द्वारा एक वीडियो बयान जारी कर कहा गया है कि ‘इजऱायल के इंटेलिजेंस एजेंसी ‘मौसाद’ द्वारा बखूबी प्रशिक्षित किलर जियोनिस्ट डॉल्फिन का उपयोग भूमध्य सागर के तट पर स्थित फिलिस्तीनी क्षेत्र के गाजा पट्टी में हमास के एक नौसैनिक जवान को मार गिराने में किया गया है।’ असल में मिलिट्री द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त डॉल्फ़िनों के शरीर पर अत्याधुनिक स्नाइपर, लेज़र एवं ड्रोन कैमरा व अन्य टेक्निकल किट इत्यादि लगा कर लक्ष्य को दूर बैठ कर साधा जाता है, इस कार्य हेतु डॉल्फ़िन बाक़ायदा अपने कमांड यूनिट से सिग्नल प्राप्त करती है और तदनुसार अपना निर्धारित कार्य भी पूर्ण करती है। आज यह सिर्फ किवदंतियाँ नहीं बल्कि कोड़ी सच्चाई है, यूएसए व रूस जैसे देश ‘मिलिट्री मरीन मैमल’ जिसमें डॉल्फिन, सील व अन्य समुद्री जीव आते हैं, उनको प्रशिक्षित करने व उन्हें विभिन्न प्रकार से काम में लेने हेतु प्रसिद्ध भी हैं। मिलिट्री मरीन मैमल्स को खोए नौसैनिकों को ढूँढने, नेवी के जहाज़ों की पहरेदारी करने, सी-डाइवर्स की मदद करने आदि का काम सौंपा जाता है।
उधव कृष्ण
स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखक
शोधार्थी (पीएचडी), पाटलिपुत्र विश्विद्यालय
बी.ए (पत्रकारिता एवं जनसंचार)
एम.ए (पत्रकारिता एवं जनसंचार)
नालन्दा खुला विश्विद्यालय
पटना