सलाह दो, पर ध्यान से

काफी पहले की बात है। धर्मबुद्धि और पापबुद्धि नाम के दो दोस्त रहा करते थे। एक दिन पापबुद्धि ने सोचा, मेरे अंदर दिमाग कम है, इसीलिए मैं गरीब हूं। ऐसा करता हूं कि धर्मबुद्धि के साथ व्यापार करके खूब सारा पैसा कमाता हूं। बाद में उसकी संपत्ति भी हथिया लूंगा और आराम से रहूंगा। इस तरह की योजना बनाकर पाप ने धर्म से कहा, मेरे दोस्त, तुम्हारी उम्र अब ढल रही है। अब अपने बच्चों के साथ विश्व की यात्रा पर निकल जाओ, क्योंकि बिना यात्रा के और अधिक धन और ज्ञान अर्जित नहीं कर पाओगे। धर्म को पाप की यह सलाह काफी पसंद आई और वह विदेश यात्रा पर निकल पड़ा। जाते हुए पाप भी उसके साथ हो चला। दोनों ने विदेशों में खूब धन कमाया। अब घर लौटने का समय आ गया था। जैसे ही दोनों शहर के बाहर पहुंचे तो पाप ने धर्म से कहा, यह सारा धन घर ले जाना उचित नहीं है, क्योंकि रिश्तेदार और दोस्तों की नीयत इसे देखकर खराब हो सकती है। इसलिए हमें सारा धन जंगल में एक स्थान पर दबा देना चाहिए। जब भी हमें आवश्यकता होगी तो हम यहां आ जाएंगे और पैसा निकाल लेंगे।

धर्म, पाप की बातों में आ गया। उसने एक घड़े में सारा धन डालकर उसे जमीन में गाढ़ दिया। फिर दोनों ने उस जगह को पत्तों-झाडियों से ढक दिया। दोनों अपने-अपने घरों की ओर चले गए। उसी रात पाप उस जंगल में फिर गया। उसने मटका निकाला और सारा धन चुराकर अपने घर ले आया। अगली सुबह, वह धर्म के पास गया और उससे कहा, जंगल चलते हैं। थोड़ा धन निकाल लाते हैं। जैसे ही दोनों जंगल पहुंचे और उस जगह को देखा तो धर्म के होश उड़ गए। वहां खाली घड़ा पड़ा था। पाप ने नाटक करते हुए चिल्लाना शुरू कर दिया, धर्म तुमने सारा धन चुरा लिया। तुम ही चोर हो। इस घड़े में हम दोनों की कमाई थी, तुम इसे अकेले नहीं रख सकते। यह सुनते ही धर्म की आंखों में आंसू आ गए। उसने कहा कि वह चोर नहीं है। लेकिन पाप ने कहा, इसका फैसला तो न्यायालय में जाकर ही होगा।

जब कोर्ट में यह मामला पहुंचा तो पाप ने कहा, मैं जंगल के देवता को अपने गवाह के तौर पर पेश करना चाहता हूं। वही बताएंगे कि कौन दोषी है। जज ने यह बात सुनकर कहा कि वह अगली सुबह जंगल में सुनवाई करेंगे। यह सुनकर पाप बड़ा खुश हुआ और घर लौटकर उसने पिता से कहा, पिताजी, मैंने धर्म की सारी दौलत चुरा ली है। अब मैं आपकी मदद से कोर्ट में यह केस जीत सकता हूं। आप मेरी मदद कीजिए। पिताजी ने कहा, बेटे मैं किसी तरह से तुम्हारी मदद कर सकता हूं? पाप बोला, जंगल में एक बड़ा पेड़ है। आप उस पेड़ के खोखले में जाकर छिप जाएं। कल सुबह जब जज वहां आएंगे, तो मैं आपसे सच बताने को कहूंगा। तब आप बता देना कि चोरी धर्म ने ही की है। यह सुनकर पाप के पिता जाकर उस पेड़ में छिप गए। अगले दिन सुबह, पाप और धर्म निश्चित समय पर जंगल जा पहुंचे।

जब जज आए तो पाप ने चिल्लाना शुरू कर दिया, हे सूर्य, चंद्रमा, हे दिन एवं रात तुम सभी गवाह हो कि चोरी किसने की है… हे जंगल के देवता, बताइए कि चोर कौन है? यह सुनते ही पिता ने पेड़ के भीतर से ही कहा, धर्म ने ही सारा धन चुराया है। यह सुनते ही जज सारा माजरा समझ गए। जज ने कहा, धर्म, तुम इस पेड़ के खोखले भाग को झाड़ से भर दो, फिर उसमें तेल डालकर आग लगा दो। यही तुम्हारी सजा है। जैसे ही धर्म ने आग लगाई तो पाप के पिता ने चिल्लाना शुरू कर दिया। आवाज सुनकर सैनिकों ने उसे बाहर निकाला। पिता ने बाहर आते ही कहा, दुष्ट बेटे, मैंने तेरे लिए यह सब किया और तूने मुझे ही नहीं बचाया। जज साहब, चोरी पाप ने की है। इतना कहने के बाद पिता की मृत्यु हो गई। यह सुनते ही राजा के सैनिकों ने पाप को पकड़ लिया। जज ने उसे मृत्युदंड की सजा सुनाई।

(पंचतंत्र से साभार)

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