रूठे से खुदाओं को…..

-सुशील यादव-

 

हर बात छुपाने की हम दिल से निभाएंगे

जिस हाल में छोड़ा वो, हालात भुलाएंगे,

मालूम न था, तुझको बस हम से, शिकायत है

तस्वीर जुदा होगी, दर-असल सुनाएंगे,

वो जिन के इशारों हो रहती है तरफदारी

मजबूत इरादे उनको राह हटाएंगे,

इस तरह कोई अपनों से रूठ नहीं जाता

रूठे से खुदाओं को बेफिक्र मनाएंगे,

गुत्थी जो सुलझती सी, दिखती जब भी हमको

ये राज के खुलने पे तफसील बताएंगे,

मुफलिस के भरोसे चल जाती अगरचे दुनिया

हम जन्नत दरवाजे तक  दरबार लगाएंगे,

होगा कल तेरा इत्मीनान जरा रख ले

सुलगे से सवालों को आसान बनाएंगे।।

 

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