तुम्हारा अच्छे दिन तुम्हे हो मुबारक ,हमारा 2014 से पहले वाला भारत हमें लौटा दो – खबरी लाल

-विनोद तकिया वाला-

सुनो!सुनो!कोई तो हमारी सुनो कहाँ खो गये हो सारे के सारे इस कमर तोड महंगाई की इस महामारी में।देश के दानवीरों समाज के समाज सेवीयों , राजनीतिक दल के राजनेताओं,देश भक्तो’ कोई तो हमारी भी सुनो !क्या इसी दिन के लिए भारत के हमारे वीर सपूतों ने अंग्रेजो के खिलाफ लड़ते लड़ते फॉसी के फन्दो को चुमा था । क्या गाँधी के सपनो का भारत यही है।राम ‘ कृष्ण ‘ नानक ‘ बुद्ध  ‘ महाबीर कबीर ‘ रविदास ‘ रस खान  ‘ मीरा ‘ राजेन्द्र ‘नेहरू ‘ पटेल  प्रेमचंद की यही घरा जो  विश्व गुरु था यही है।जहाँ आज  स्वपनों के सौदागर ने यहाँ की भोली भाली जनता को पहले तो बहुत ही स्वर्णिम दिवा स्वपन दिखाये।जिसे उनके अन्ध भक्तो ने यहाँ की सीधी साधी जनता के समाने महिमा मंडित करने मे कोई कसर नही छोड़ी ब्लकि  गोदी के चाटुकार पीत पत्रकारिता करने ने भाड़ कथा कथित खबरिया चैनल ने महिमा मंडित करने मन कर्म व बचन से लगे है।इसका ताजा तरीन दृश्य को भारत की जनता कभी भी नही भुल पायेगी।आप को याद होगा  जब एक सिर फिरी ने सिने अभिनेत्री ने भारत के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित होने के मीडिया कर्मी से बात चीत के दौरान अपने आका के तारीफ मे पुल बाँधते हुए कही कि-असली आजादी तो सन 2014 को भारत को मिली है।इस बेतुका बयान देने वाद सतारूढ़ की केंद्र सरकार व राज्यों की सरकारें ने किसी सांसद/विधायक ने विरोध नही किया ब्लकि सिर फिरी अभिनेत्री की तारीफ करते थकते नही है ‘ ब्लकि दबी जुबान राज्यसभा की भावी सदस्यता की चर्चा कर रहे है। वही दुसरी ओर जहाँ गोदी के दरबारी मीडिया चैनलो की घंटो -घंटों तक कुत्ता -बिल्ली की बहस करने वाले ने खबर तक नही चलाई।वही विपक्षी राजनेताओं ने अपनी टियुट्टर हैन्डल पर टियुट कर अपनी कर्तव्य का पालन कर शान्त हो गये।हमारे व आप के जैसे साघारण जनता से जान अजाने ने इस तरह की जुबान से निकल जाती है तो देश के सभी जाँच ऐजेन्सियॉ पीछे लगा दी जाती ही नही ब्लकि इनके अन्ध भक्तो की पुरी सेना ‘गोदी मीडिया के सारे खबरिया चैनलो पर ब्रक्रिग न्युज’घंटो घंटों बहस छिड जाती।व्हाट एप युनिवर्सिटी भी पोस्ट की वाढ आ जाती लेकिन आज सभी-सभी के सरकारी ‘अर्ध सरकारी जाँच ऐजेन्सियाँ राजनीतिक दलो के भोपू जैसे प्रवक्ताओं को मानो सॉप सुध लिया हो।हमे तो लगता है कि सभी का ध्यान अगामी पाँचो राज्यो के विधान सभाओं के चुनाव पर गिद्ध दृष्टि गढ़ाये हुए | किसी तरह अपने आकाओ को ऐन केन प्रकरण सता की कुर्सी अपने लाडले मुख्य मंत्री को आसान पर विराज मान कर आगामी 2024 के लोक सभा चुनाव में विजयी होने तथा  दिल्ली दरबार में पुनः आसीन होने का रास्ता बिना किसी व्यवधान के दिल्ली की सिंघासन पर कब्जा कि जाय ।

भले इसके लिए चाहे जो भी करना पडे हम करेगे’चाहे इसके लिए मुख्य मुद्दा से भारतीय जन मानस व प्रजातंत्र के भगवान के सामने जो कृत्रिम मुददे तैयार करना पडे ,शाम,दण्ड ‘ भेद का इस्तेमाल करना पडे सभी करें । जितना भी झुट बोलना पडे ‘ धार्मिक भावनाओं का खेल खेलना पडे ‘खेलो सारे सरकारी तंत्र व अफसरे के लास लस्कर को लगा ना पड़े।केन्द्र सरकार के मंत्री गण ‘ पार्टी के समस्त पदाधिकारी गण ‘ संघ के समस्त शक्तियाँ ‘धर्म-मठ के मठाधीशों .

सरकारी खजानो ‘ संवैधानिक पदो को दुर उपयोग करना पडे हम पीछे नही रहे गे !

ऐसे मे मुझे तो चारो तरफ अंधकार दिखाई पड रही है। बेचारी वेवश जनना जर्नादन यह कहने को विवस हो गयी है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण आपके समक्ष है। आये एक नजर अंघ भक्तो की सच्चे अच्छे आजादी के दिनो की तुलना स्वतंत्रता संग्राम से मिली आजादी व 70 साल की आजादी जिसका आज जगह सरकारी खर्चो पर आजादी अमृत महोत्सव मनाने मे मदमस्त हाथियो की तरह झुम रहे है। वही दुसरी आज कल तुफानी दौरान शिलान्यास व उद्घाटन समारोह की विन मौसम बरसात की झड़ी लगी है ‘ वही दुसरे ओर एक देश द्रोही बकरी सरकारी दफ्तर से अति गोपनीय दस्तावेज की फाईल ले कर फरार हो जाती है। सरकार के नुमाइंदों यह कह कर कि यह संवेदन सील घटना है। इसकी जाँच होगी ‘ कल उत्तर प्रदेश के एक जिले सिचाई विभाग द्वारा निर्माणाधीन सड़क के शुभ शुभारम्भ समारोह मे स्थानीय  विधायिका ने नारियल तोड़ने के लिए पहुंची लैकिन नारियल तो फुटा नही ‘ सरकारी फंड से निर्माण वाले सड़क ने खुद ही अपनी आका के आदेश का उल्लंन ना हो इसी लिए खुद उखड़ गई । ऐसी स्थिति मे आप वारी आने का इंतजार करे ‘ अपने जनता धर्म पालन करने का । यह तभी सम्भव है जब आप इसे जरा ध्यान से पढे ‘ सोचे व आप ना निर्णय मुझे नही ब्लकि अगामी पाँच राज्यो के  विधान सभा के चुनाव मे एक निश्पक्ष निर्मिक ‘ जिम्मेदार भारत के नागरिक होने का फर्ज निभाने मे महत्व पूर्ण भूमिका निभाये ! जहाँ आज के सपने के सौदागर जो 2014 के पहले महँगाई क डायन कहते थकती नही थी ‘ वही आज अपने ख्याली पुलाव पकाने वाले ट्रिलियों मिलियन डालरों के’ विश्व गुरु भारत ‘ आजादी के अमृत महोत्सव मनाने सारे सरकारी खजानो को खाली करने मे लगा है। तभी नाम परिवर्तन अभियान के कुछ घंटो के समारोह के करोड़ो करोड जनता की गाढ़ी टेक्स की पैसे पानी की बहा रही है बही दुसरी तरफ सुरशा की फैलाये हुए मुहँ की तरह महंगाई डाईन निगलने को .आतुर है। चाहे वह प्रीपेड मोबाइल रिचार्च 25 प्रतिशत बढ़ गए,हेल्थ इंश्योरेंस 35 से 40 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है।5 का प्लेटफार्म टिकिट अब 50 का इसलिए है क्योंकि स्टेशन खरीदते अडानी को कोई दिक्कत न हो।कपड़े जूतों पर जीएसटी का जजिया 5 प्रतिशत से बढ़ा कर 12 प्रतिशत कर दिया गया है।60 का पैट्रोल 100 का औऱ 350 वाला गैस सिलेंडर हज़ार का ले रहा हूँ।75 रूपये लीटर वाला सरसों तेल 200 का है।रेलवे का यात्री भाड़ा 75 प्रतिशत तक बढ़ चुका है।हवाई किराया में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि है।*स्टेशन पर 5 रूपये वाली मोटरसाइकिल पार्किंग का 100 रूपये तक वसूला जा रहा है।ऊपर से दुख का आलम ये है कि चतुर चालक् एक चाय वाला मेरे 15 लाख ब्याज सहित खा कर बैठा है… कुछ समय महँगाई रूपी डॉयन को उद्घाटन समारोह ‘ शिलान्यास समारोह ‘ नाम शुद्धिकरण व परिवर्तन केमहायज्ञ समारोह ‘ चुनावी जन सभा समारोह ‘ आदि में चकाचौंध में मुक दर्शन बन रहने की आदेश दिया है। तभी तो हनुमान जी पूँछ की तरह प्रत्येक दिन पट्रोल के बढते दाम पर विराम ‘ प्लेटफार्म टिकट में कटोती ‘ रेल किराया मे कटौती ‘ लैकिन  रेल मंत्री का रेलवे के घटा का रोना तथा कोरोना के नाम पर सारी रियायते को बहाल नही करना इस 56 ” का सीना वाली सरकार की नीति – नियति स्पष्ट नजर है क्योंकी इनके महंगाई के समर्थक नामक नये प्राणी का प्रार्दुभाव हो गया है। जो कि अंध भक्तो की महायज्ञ में पूर्ण अंध भक्ति महंगाई  कट्टर समर्थक अपना सर्वस  आहुति की समिधा डालने को आतुर है। ऐसे विषम पस्थितियो में एक आम नागरिक तो अपने प्रधान सेवक जी  से  यह कहने को  मजबूर हो गया है कि प्लीज़ नही चाहिए मुझे अच्छे दिन । तुम्हाराअच्छे दिन तुम्हे मुबारक हो , हमे बापस लौटा दो 2014 के पहले वाला भारत ।

 आप भले ही मेरे द्वारा उपरोक्त्त आंकड़े मे कुछ चुनावी बसंत के इस मौसम में महलम पट्टी लगाने की कोशिश  की गई है ,ताकि अगामी पाँच राज्यो के विधान में राज्य के जनता जर्नादन की ऑखो मे घुल डाल कर राज्य में अपनी सरकार बना कर 2024 आगामी लोकसभा चुनावों में प्रबल दावेदार के रूप पेश कर सके! लेकिन प्रजातंत्र के सच्चे नागरिक अपने आकाओं के मकशद-मसौदा ‘मनसुवे से भली भाँति पूर्व परिचित हो चुका है।आप स्वयं जिम्मेदार व समझदार है।आप अपना व अपनो का भला व भलाई स्वयं ही करे!हमे तो क्या।फिलहाल यह कहते हुए – ना ही काहूँ से दोस्ती ना ही काहूँ से बैर।

खबरीलाल तो माँगे,सबकी खैर ॥

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