पलायन रोकने का सशक्त माध्यम बना बागवानी

हल्द्वानी, उत्तराखंड




उघान विभाग, भीमताल के अधिकारी आनन्द सिंह बिष्ट बताते हैं कि पहाड़ों में विगत 10-12 वर्षो से जलवायु परिवर्तन व जंगली जानवरों के प्रकोप के कारण बड़े पैमाने पर पलायन हुआ है. जिससे उत्पादन में कमी आने लगी और कृषि को काफी नुकसान होने लगा. युवा किसान कृषि में ज़्यादा मुनाफा नहीं मिलने के कारण इसे छोड़कर पलायन करने लगे थे. ऐसे में आशा की किरण के रूप में सघन बाग के लिए विभाग द्वारा 10 नाली में निर्माण हेतु 80 प्रतिशत की सब्सिडी लाभार्थियों को प्रदान की जाने लगी. जिसमें 20 प्रतिशत यानि 1.2 लाख लाभार्थी को देना होता है जिसमें निर्माण सामग्री के साथ साथ 500 पेड़ उपलब्ध करवाये जाते हैं. आनंद सिंह कहते हैं कि पर्वतीय समुदाय के लोग बागवानी के प्रति काफी उत्साहित हैं. वास्तव में यह पर्वतीय समुदाय की आजीविका को बढ़ावा देने का एक सशक्त माध्यम है. इसमें संस्थाएं भी सहायता प्रदान कर रही हैं.
नैनीताल स्थित आरोही संस्था द्वारा आयोजित सामुदायिक आजीविका कार्यक्रम के अन्तर्गत ग्रामीणों को सघन बाग बनाये जाने हेतु पेड़ उपलब्ध करवाये गये जिसके चलते वर्ष 2023 में घारी विकासखण्ड में लाभार्थियों द्वारा 6 सघन बाग का निर्माण किया गया. जिसके तहत संस्था द्वारा उन्हें तकनीकी जानकारियां प्रदान की गईं. सुन्दरखाल स्थित जलना नीलपहाड़ी में सेब के 250 पेड़ों के बाग का निर्माण किया गया है. जहां उमेश जोशी और हरीश मेलकानी जैसे युवा किसान प्रथम वर्ष से ही लाभ अर्जित करने लगे हैं. वह कहते हैं कि वास्तव में यह बाग पर्वतीय जन की आशा का केंद्र बन चुका है. इसने न केवल नई पीढ़ी के किसानों को नई राह दिखाई है बल्कि पलायन को रोकने का भी विकल्प बढ़ा दिया है. (चरखा फीचर)