समान नागरिक संहिता अनावश्यक एवं अनुचित

देश को इसकी कोई जरूरत नहीं है:ज्वाइंट एक्शन कमेटी पंजाब

नई दिल्ली/मालेरकोटला ।लॉ कमीशन ऑफ इंडिया ने समान नागरिक संहिता के संबंध में नागरिकों को अपनी राय और सुझाव प्रस्तुत करने के लिए 14 मई 2023 तक का समय दिया है। इस संबध में ज्वाइंट एक्शन कमेटी पंजाब (रजि) ने स्थानीय सागर रिसॉर्ट में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर कमेटी के पदाधिकारियों ने खुलकर अपनी राय पेश की है ।सोसायटी के अध्यक्ष साहिबजादा नदीम अनवार खान ने कहा कि भारत एक स्वतंत्र और धर्मनिरपेक्ष देश है जिसमें सभी धर्मों के लोगों को अपनी धार्मिक प्रथाओं का पालन करने का अधिकार भारत के संविधान में लिखा है। यूसीसी इन अधिकारों का उल्लंघन करता है। महासचिव मुहम्मद अखलाक ने कहा कि किसी भी देश को ऐसा कोई कानून नहीं लागू करना चाहिए जिससे वहां रहने वाले लोगों में बेचेनी पैदा हो।

इस संबंध में बोलते हुए मोहम्मद शमशाद झोक ने कहा कि यूसीसी हमारे देश के लिए पूरी तरह से अनावश्यक है, यह समाज में अराजकता पैदा कर सकता है। मुकर्रम सैफी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि धार्मिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता एक मौलिक और अनिवार्य अधिकार है, इसे किसी भी तरह से समाप्त नहीं किया जाना चाहिए। मुफ्ती दिलशाद अहमद कासमी ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ कुरआन और सुन्नत ए रसूल पर आधारित है और इसमें किसी को भी बदलाव करने का अधिकार नहीं है।मोहम्मद शाहिद ने अपने सुझाव प्रस्तुत करते हुए कहा कि भारत शांति और विविधता में एकता में विश्वास रखता है, ऐसे कानून की कोई जरूरत नहीं है। मुहम्मद शकील एमसी ने कहा कि मुस्लमान देश में शांति और भाईचारे में विश्वास रखते हैं, अगर कोई हमारे व्यक्तिगत अधिकारों का अतिक्रमण करेगा तो हम कोई भी जंग लड़ने के लिए तैयार हैं। ऐडवोकेट ग़ज़नफ़र सिराज ने कहा कि अनुच्छेद 25 और 26 में कहा गया है कि धर्म और संस्कृति की स्वतंत्रता एक मौलिक और अनिवार्य अधिकार है और जिन लोगों को इस कानून की आवश्यकता नहीं है, उनके लिए सिविल कोर्ट पहले से ही एक विकल्प के रूप में मौजूद है। खुशी मोहम्मद, मुहम्मद इकबाल, मुहम्मद शकील, शहजाद हुसैन, मोहम्मद फारूक, जाहिद खान जज, मोहम्मद फिरोज फौजी ने भी अपने विचार व्यक्त किया है।

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