क्यों डूब रहे हैं अमरीकी बैंक

-डा. वरिंदर भाटिया-

अमरीका के बैंकिंग सेक्टर में मुसीबतों का दखल जारी है। यहां एक के बाद एक नामी बैंक खलास होते जा रहे हैं। हाल ही में अमरीका में एक और नामचीन प्राइवेट बैंक डूब गया। अमीर लोगों की जरूरतों को पूरा करने वाला अमरीका का मशहूर बैंक फस्र्ट रिपब्लिक बैंक भी बिक गया है। इस बैंक को जेपी मॉर्गन ग्रुप ने खरीद लिया है। बीते कुछ महीनों में अमरीका में तीन बड़े बैंक डूबे हैं। इन बैंकों के डूबने से दुनिया भर में हलचल मची है। ग्लोबल अर्थजगत में भी चिंता की लहर है। अमरीकी आर्थिक संकट का असर पूरी दुनिया पर पडऩे की आशंका जताई जा रही है। भारत का बैंकिंग सेक्टर इसको हलके से नहीं ले सकता है। अमरीका के बैंकिंग इतिहास में दूसरी बार बैंकों में इस तरह की स्थिति सामने आई है। इससे पहले साल 2008 में अमरीका ने सबसे बड़ा बैंकिंग सेक्टर का बुरा हाल देखा था। उस समय बैंकिंग फर्म लेहमन ब्रदर्स ने खुद को डिफॉल्टर घोषित कर दिया था, जिसके बाद अमरीका के साथ पूरी दुनिया में मंदी छा गई थी।

इस दौरान अमरीका की इकोनॉमी की कमर टूट गई थी। यह जानना जरूरी है कि आखिर अमरीका में ऐसा क्या हुआ कि यहां एक के बाद एक बैंक खाक होते जा रहे हैं। आईये इस आर्थिक मुद्दे की गहराई में जाएं। सबसे पहले नकदी संकट से जूझ रहा अमरीका का फस्र्ट रिपब्लिक बैंक बंद हो गया है। इस बैंक को खरीदने वाले जेपी मॉर्गन ग्रुप के अनुसार उसने एफआरबी के एसेट्स का बड़ा हिस्सा खरीद लिया है। इसके पास बैंक की कुछ देनदारियां भी आ गई हैं। बंद हुए अमरीका के फस्र्ट रिपब्लिक बैंक की शाखाएं 8 राज्यों में फैली थी। अमरीकी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार फस्र्ट रिपब्लिक बैंक की अमरीका के 8 राज्यों में 84 ब्रांचें थी। जेपी मॉर्गन ग्रुप द्वारा खरीदे जाने के बाद अब इन सभी राज्यों में फस्र्ट रिपब्लिक बैंक के बदले जेपी मॉर्गन चेस बैंक की शाखाएं दोबारा खुलेंगी। फस्र्ट रिपब्लिक बैंक अमरीका के अमीर लोगों की जरूरतों को पूरा करने वाला फेमस प्राइवेट बैंक था।

यह वेंचर कैपिटल फम्र्स पर फोकस्ड सिलिकॉन वैली बैंक की तरह ही था, जो मार्च में गिर गया था। अमरीका में मार्च 2023 से अभी तक तीन बैंक डूबे हैं। फस्र्ट रिपब्लिक बैंक से पहले मार्च में सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक डूब गए थे। इन तीनों बैंकों के डूबने के पीछे नकदी संकट को कारण बताया जा रहा है। फस्र्ट रिपब्लिक बैंक को बीते वर्षों में कई बार बेचा और खरीदा गया। साल 2007 में मेरिल लिंच एंड कंपनी ने 1.8 अरब डॉलर में फस्र्ट रिपब्लिक बैंक को खरीदा था। इसके बाद 2009 में इसे बैंक ऑफ अमेरिका ने खरीदा। इसके बाद साल 2010 में इन्वेस्टमेंट फर्म जनरल अटलांटिक और कॉलोनी कैपिटल ने इसे 1.86 अरब डॉलर में खरीदा। इसके बाद इसे पब्लिक कर दिया गया था। अमरीकी बैंकिंग सेक्टर में आए संकट को समझने के लिए सिलिकॉन वैली बैंक का उदाहरण सटीक है। इस संकट के कारण तबाह होने वाला सिलिकॉन वैली बैंक अमरीका का पहला बैंक था। बैंकिंग सेक्टर को समझने वाले एक्सपर्ट बताते हंै कि सिलिकॉन वैली बैंक के डूबने की वजह बैंक के कुछ गलत फैसले थे।

दरअसल सिलिकॉन वैली बैंक उन स्टार्टअप को भी कर्ज देता था जिन्हें कोई दूसरा बैंक हाथ तक नहीं लगाता था। 2021 में शेयर बाजारों में तगड़ा बूम आया और ब्याज दरें लगभग जीरो हो गईं। शेयर बाजार में आए बूम के बाद टेक स्टार्टअप्स के पास बहुत सारा पैसा आया, जिसे कई स्टार्टअप ने सिलिकॉन वैली बैंक में जमा कर दिया। बैंक ने भी उन पैसों को लंबी अवधि के बॉन्ड में निवेश किया। पिछले साल जब ब्याज दरें बढ़ीं तो बॉन्ड्स अपनी वैल्यू गंवाने लगे जिसके बाद टेक स्टार्टअप्स अपने पैसे निकालने लगे। इससे बैंक को अपने बॉन्ड्स को नुकसान में बेचना पड़ा। नुकसान बढऩे लगा तो कंपनी के शेयर की कीमत गिरने लगी। इस सिलसिले के कुछ ही दिनों बाद सिलिकॉन वैली बैंक दिवालिया हो गया। सिलिकॉन वैली बैंक का बंद होना अमरीकी इतिहास का दूसरा सबसे बड़ा दिवाला है। इससे पहले 2008 में वॉशिंगटन म्यूचुअल को अमरीका का पहला सबसे बड़ा बैंक दिवाला माना जाता है। आगे की कहानी जानें तो सिलिकॉन वैली बैंक के कुछ ही दिन बाद न्यूयॉर्क के सिग्नेचर बैंक की हालत खराब होने लगी। सिग्नेचर एफटीएक्स बैंक क्रिप्टो एक्सचेंज के पतन के साथ चर्चा में आया था। एफटीएक्स के सिग्नेचर बैंक में खाते थे। साल 2018 में ही ये बैंक क्रिप्टो असेट्स के डिपोजिट के बिजनेस में उतरा था। बैंक के लिए यही फैसला डूबाने वाला साबित हुआ। क्रिप्टोकरंसी में डील करने वाला एक अन्य बैंक सिल्वर गेट हाल ही में डूबा है।

अमरीकी बैंकिंग सेक्टर के संकट का दुनिया पर क्या असर पड़ेगा? एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर अमरीकी शेयर बाजार में कोई हलचल होती है तो उसका असर दुनिया के अन्य देशों पर भी पड़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मंदी की आहट नहीं है। लेकिन अगर अमरीकी सरकार सिलिकॉन वैली को जल्द रिवाइव नहीं करती है तो स्टार्टअप की दुनिया में बड़ी उठापटक देखने को मिल सकती है। स्टार्टअप्स के पास पैसों का संकट आएगा, जिससे छंटनी का दौर शुरू हो सकता है। अमरीकी बैंकिंग सेक्टर की मंदी का भारतीय बाजारों पर कुछ समय के लिए असर देखा जा सकता है। लेकिन इसका असर ऐसा नहीं होगा कि अमरीका जैसे भारत में बैंक डूबने लगें। इसका कारण बताते हुए एक्सपर्ट ने कहा कि भारत के बैंकों का सिलिकॉन वैली बैंक से कोई भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नाता नहीं है। भारतीय बैंकिंग सेक्टर में घरेलू निवेश है, जिन्हें सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश किया गया है। यह मजबूत है, साथ ही भारतीय बैंकिंग सिस्टम को भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से रेगुलेट किया जाता है। ऐसे में सिलिकॉन वैली बैंक जैसी हालत भारत के किसी बैंक की नहीं होगी। भारतीय बैंकों के पास पर्याप्त असेट्स भी हैं, जिसकी वजह से यहां के बैंकिंग सिस्टम पर सिलिकॉन वैली बैंक के दिवालिया होने का असर नहीं होगा। दरअसल अमेरिकी फेडरल रिजर्व लगातार देश में बैंकिंग सेक्टर की ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी कर रहा है। ऐसे में जिन सेक्टरों में इन बैंकों का निवेश है, उन पर असर पड़ा है। इसके साथ ही निवेशकों ने इन बैंकों में निवेश से दूरी बना ली है। इसके साथ ही कई ऐसी कंपनियां भी हैं, जिन्हें इन बैंकों ने कर्ज दिया था।

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