मुस्लिम बच्चियों को धर्म परिवर्तन के प्रलोभन से बचाने के लिए हमें अपने शिक्षण संस्थान खोलने होंगेः अरशद मदनी

जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कार्यसमिति की बैठक में मुसलमानों या किसी भी समूह के साथ अन्याय और भेदभाव को बर्दाश्त नहीं करने पर बल

नई दिल्ली, 09 जनवरी,  जमीयत उलेमा-ए-हिंद के आईटीओ स्थित केन्द्रीय कार्यालय में कार्यसमिति की एक महत्वपूर्ण बैठक अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में भाग लेने वालों ने देश की वर्तमान स्थिति पर विचार-विमर्श करते हुए देश में सांप्रदायिकता, कट्टरवाद, बिगड़ती क़ानून व्यवस्था और मुस्लिम अल्पसंख्यक के खिलाफ भेदभाव का आरोप लगाया। बैठक में गरीब और जरूरतमंद छात्रों को दी जाने वाली स्कॉलरशिप को छात्रों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इसे एक करोड़ से बढ़ा कर इस वर्ष दो करोड़ रुपये करने का फैसला किया गया।

उन्होंने आगे कहा कि मुसलमानों के कल्याण और उनकी शिक्षा के विकास के लिए अब जो कुछ करना है, हमें ही करना है। देश की आज़ादी के बाद हम एक समूह के रूप में इतिहास के बहुत नाजुक मोड़ पर आ खड़े हुए हैं। हमें एक ओर अगर विभिन्न प्रकार की समस्याओं में उलझाया जा रहा है तो दूसरी ओर हम पर आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और शिक्षा के विकास के रास्ते बंद किए जा रहे हैं। इस खामोश साजिश को अगर हमें नाकाम करना है और सफलता पाना है तो हमें बच्चों और बच्चियों के लिए अलग अलग शिक्षण संस्थाएं खुद स्थापित करने पड़ेंगे।

कार्यसमिति को संबोधित करते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने देश में तेज़ी से फैल रहे धर्म परिवर्तन को खतरनाक क़रार दिया। उन्होंने कहा कि मुसलमानों के खिलाफ इसे योजनाबद्ध तरीक़े से शुरू किया गया है। इसके तहत बच्चियों को निशाना बनाया जा रहा है। अगर इसे रोकने के लिए तुरंत प्रभावी उपाय न किए गए तो आने वाले दिनों में स्थिति विस्फोटक हो सकती है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस बुराई को सहशिक्षा के कारण ऊर्जा मिल रही है और हमने इसीलिए इसका विरोध किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि मीडिया ने भी उनकी इस बात को नकारात्मक अंदाज़ में प्रस्तुत करते हुए प्रोपेगंडा किया था कि मौलाना मदनी लड़कियों की शिक्षा के खिलाफ हैं। दरअसल, हम सहशिक्षा के खिलाफ हैं, लड़कियों की शिक्षा के खिलाफ नहीं। हमें इसे रोकने के लिए और बच्चियों को बचाने के लिए अपने शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थान खोलने पड़ेंगे।

मौलाना मदनी ने आरोप लगाया कि एक ओर जहां धार्मिक कट्टरवाद को हवा देने और लोगों के दिमाग में नफरत का ज़हर भरने का निन्दनीय सिलसिला पूरे ज़ोर-शोर से जारी है, वहीं दूसरी ओर मुसलमानों को शिक्षा और राजनीतिक रूप से लाचार बनाने की खतरनाक साजिश भी शुरू हो चुकी है। पिछले चंद बरसों में देश की वित्तीय एवं आर्थिक स्थिति बहुत कमज़ोर हुई है और बेरोज़गारी में खतरनाक हद तक इज़ाफा हो चुका है।इसके बावजूद सत्ता में बैठे लोग देश के विकास का ढिंढोरा पीट रहे हैं। उन्होंने असम, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड में मुसलमानों को बेघर करने का आरोप लगाते हुए इसकी निंदा की। News Source : News Agency (Webvarta)

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