आईओएस लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाज़े गए पूर्व केंद्रीय मंत्री के रहमान खान

सम्मान समारोह में हरीश रावत, नजीब जंग, डॉ. सैयद फ़ारूक सहित अनेक हस्तियों ने भाग लिया और के रहमान खान के कार्यों की प्रशंसा की।

अनवार अहमद नूर
नई दिल्ली,  अल्पसंख्यक मामलों के पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा के पूर्व उपसभापति के रहमान खान को उनकी शैक्षणिक, सामाजिक और अन्य सेवाओं के लिए आज प्रसिद्ध थिंक टैंक इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जेक्टिव स्टडीज द्वारा 10वें आईओएस लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। कांस्टिटयूशन क्लब में आयोजित प्रोग्राम में उन्हें मोमेंटो, शाल व एक लाख रुपये का चेक प्रदान किया गया। समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने के रहमान खान को बधाई देते हुए कहा कि संसद में सरकार और मेरे साथ काम करने वालों को पुरस्कार दिया जाना मेरे लिए गर्व की बात है। मान्य के रहमान किसी एक व्यक्ति का नाम नहीं है बल्कि वह एक संस्था हैं। हर जगह उनका जीवन एक प्रकाश स्तंभ है। रहमान सर हर काम बेहतरीन तरीके से करते हैं। उप सभापति के रूप में कार्य किया। राज्यसभा चलाना बहुत मुश्किल काम है। आपकी शैली बहुत ध्यान देने योग्य थी, मुस्कान के साथ निर्णय लेना और बहुत ही विनम्र मुस्कान के साथ कठिन बातें कहना। संसदीय कौशल एक दिन में प्राप्त नहीं होते बल्कि धीरे-धीरे विकसित होते हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ अल्पसंख्यकों तक पहुंचाना उनका बेहतरीन काम रहा है। रहमान साहब उन लोगों में से एक हैं जो दूसरों के विचारों को समझते हैं और उसके अनुसार कार्य करते हैं। आप इस बात पर ध्यान देते हैं कि दूसरों की कमियों को कैसे दूर किया जाए। इतिहास बदल रहा है।
इतिहास की शुरुआत उनसे होती है कभी जिन लोगों की कोई जाति और समुदाय नहीं होता। पूर्व केंद्रीय मंत्री के रहमान खान ने आईओएस और डॉ. मंजूर आलम का विशेष आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह मेरे लिए गर्व का क्षण है कि आईओएस जैसी प्रतिष्ठित संस्था पुरस्कार से सम्मानित कर रही है।हमने मिलकर देश की कई समस्याओं का समाधान किया है। आईओएस एक रिसर्च सेंटर है और उसका नाम ही बताता है कि एजेंडा और उद्देश्य क्या है। इससे आज की पीढ़ी को भी मदद मिल रही है और आने वाली पीढ़ी को भी काफी फ़ायदा होगा। हमारे पास एक संग्रह है जो पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करेगा। यहां हम भावनाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं लेकिन शोध पर नहीं। इसलिए यहां डॉ मंजूर आलम साहब को इसलिए महत्व दिया जाता है क्योंकि उन्होंने रिसर्च पर ध्यान दिया। अगर मुझे कोई काम करना होता है तो मैं डॉक्टर के पास बैठकर बात करता हूं। कई मुद्दों पर हम लोगों ने बैठकर नीति बनाई और निष्कर्ष पर पहुंचने की कोशिश की है। उन्होंने आगे कहा कि मेरा जन्म आज़ादी से पहले एक गांव में हुआ था। मुझे हंसी आती है जब सुनता हूं कि सत्तर साल में कुछ नहीं हुआ। उन्हें नहीं पता कि आज़ादी से पहले क्या स्थिति थी।  उन्होंने कहा कि अल्लाह पर भरोसा रखकर काम करने वालों को हमेशा सफलता मिलती है और यह मेरा अनुभव है।
शिक्षा व्यक्ति के जीवन को बदल देती है। वे आगे बढ़ते हैं। मैं लगभग पचपन वर्षों से शिक्षा से जुड़ा हुआ हूं, मैंने कई संस्थान स्थापित किए हैं। देश की चिंता बहुत ज़रूरी है हमारे मुल्क में बातें बहुत होती हैं, कांफ्रेंस होती हैं, लेकिन काम कुछ नहीं होता। हमने कुछ करने की कोशिश की, हमने मेडिकल कॉलेज की स्थापना की, हमने इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की, हमने यह सब संघर्ष के बाद किया, जैसे अन्य राष्ट्र विकसित हो रहे हैं, हम भी आगे बढ़ सकते हैं, सरकार को दोष देना समस्या का समाधान नहीं है। शिक्षा पर बहुत ध्यान देने की ज़रूरत है। मुझे राजनीति में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया, मैंने स्वीकार किया और राजनीति में प्रवेश किया और पूरी ईमानदारी से काम किया। अगर आपमें क्षमता है तो हर आदमी आपका साथ देगा , सकारात्मक तरीके से आगे बढ़ना ज़रूरी है। कुछ लोग इस देश को तोड़ना चाहते हैं, यह देश तभी धर्मनिरपेक्ष रहेगा जब सभी धर्म व सभ्यताओं का सम्मान किया जाएगा।
विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर फुरकान क़मर ने कहा कि आज हमारे देश में जो हो रहा है वह उल्लेखनीय है। आईओएस जिस प्रकार का कार्य कर रहा है उसके लिए वह बधाई का पात्र है। विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य के लिए पुरस्कार देना गर्व की बात है। जिन लोगों को पहले सम्मानित किया गया है, वे अब बहुत महत्वपूर्ण हैं। डॉ. मंजूर आलम ने कहा कि के रहमान खान की शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में उल्लेखनीय सेवाएं हैं, इसलिए पुरस्कार समिति ने उनका नाम चुना। महासचिव जेडएम खान ने आईओएस का परिचय दिया।पुरस्कार कार्यक्रम में दिल्ली के पूर्व एलजी नजीब जंग, डॉ. अरशद खान, प्रो. अफ़ज़ल वानी सहित अन्य महत्वपूर्ण हस्तियों ने भाग लिया। प्रो. हसीना हाशिया ने धन्यवाद दिया। कार्यक्रम की शुरुआत कुरान पाक की तिलावत से हुई और प्रो. इशाक ने सफ़ल संचालन किया।
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