आयरन लेडी इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि
31 अक्टूबर पुण्यतिथि पर विशेष :
-विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन-
विश्वभारती विश्वविद्यालय,ऑक्सफोर्ड में शिक्षित इंदिरा गांधी पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू के प्रमुख सहायक रहीं और कई विदेशी यात्राओं पर उनके साथ जाती थीं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आज पुण्यतिथि है। दिवंगत कांग्रेस नेता और भारत की पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री की उनके ऑपरेशन ब्लू स्टार के प्रतिशोध में 31 अक्टूबर, 1984 को उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या कर दी गई थी। देश की एकमात्र महिला प्रधामंत्री इंदिरा गांधी को उनके द्धारा किए गए कई सुधारों के लिए भी जाना जाता था। उनकी पुण्यतिथि पर आयरन लेडी के बारे में कुछ अहम तथ्यों को जानते हैं।
आयरन लेडी के नाम से मशहूर इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर, 1917 को प्रयागराज में पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनकी पत्नी कमला नेहरू के घर हुआ था। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की इकलौती संतान इंदिरा गांधी का स्वतंत्रता संग्राम से भी गहरा नाता था। इंदिरा गांधी ने बचपन में ‘मंकी ब्रिगेड’ के नाम से जाने जाने वाले बच्चों का एक समूह बनाया था, जो भारतीय झंडे बांटते थे और पुलिस की जासूसी करते थे। इंदिरा गांधी 1959 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए और 1964 में राज्यसभा के सदस्य बने।
साल 1966 में तत्कालीन प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री के आकस्मिक निधन के बाद उन्हें देश की पहली महिला प्रधान मंत्री के रूप में चुना गया था। देश की एकमात्र महिला प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी को उनके द्वारा शुरू किए गए सुधारों के लिए जाना जाता था जैसे कि बैंकों का राष्ट्रीयकरण और शाही परिवारों के प्रिवी पर्स को समाप्त करना। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और ऑपरेशन ब्लू स्टार जैसी कई महत्वपूर्ण घटनाओं की अध्यक्षता की। 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध और बांग्लादेश राष्ट्र के निर्माण में भारत की जीत के बाद, गांधी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
साल 1975 में एक चुनाव में गड़बड़ी के आरोप में दोषी ठहराए जाने के कारण उन्हें छह साल के लिए राजनीति से प्रतिबंधित करने के बाद उन्होंने देश में आपातकाल लगा दिया। जनता पार्टी की सरकार के पतन के बाद इंदिरा गांधी 1980 में फिर से चुनी गईं। वर्ष 1984 में पंजाब विद्रोह का मुकाबला करने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार के तहत हरमंदिर साहिब पर हमले का आदेश देने के लिए उनकी आलोचना की गई थी। 31 अक्टूबर 1984 को उनके सिख अंगरक्षकों ने इंदिरा गांधी की हत्या कर दी थी। अंगरक्षकों ने इंदिरा गांधी पर 31 गोलियां चलाईं थी, जिनमें से सात उनके शरीर के अंदर रह गईं जबकि २3 उनके शरीर से होकर निकल गईं थी।