दिल किसी का दुखाना आया न हमें

-सागर यादव ‘जख्मी’-

दिल किसी का दुखाना आया न हमें
बात पर मुस्कुराना न आया हमें,
आह भरते रहे नज्म लिखते रहे
दर्द दिल का छुपाना न आया हमें,
चांदनी रात थी और वो पास थे
पर मुहब्बत जताना न आया हमें,
सामने उनके बातें बहुत की मगर
रुख से पर्दा हटाना न आया हमें,
मौत की बात पर हर खुशी रो पड़ी
चुप किसी को कराना न आया हमें,
उसके जाने से तनहा बहुत थे मगर
छुप के आंसू बहाना न आया हमें,
आज थे मूड में सो गजल कह लिए
पर किसी को सुनाना न आया हमें।।

(रचनाकार डॉट कॉम से साभार प्रकाशित)

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