अब केन्द्र की तैयारी सरकारी बैंकों को बेचने की : कांग्रेस

नयी दिल्ली, 28 जून,  कांग्रेस ने अंधाधुंध निजीकरण को अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक बताते हुए मंगलवार को कहा कि केन्द्र सरकार अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का भी निजीकरण करके जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ना चाहती है और उसकी यह नीति देश के लिए घातक होगी। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में सरकारी क्षेत्र के बैंको को सामाजिक न्याय का प्रतिनिधि बताया और कहा कि आज दूरदराज के इलाकों में ये बैंक लोगों को सेवा उपलब्ध करा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी दूरद्रष्टा नेता थीं और इसीलिए उन्होंने 1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने का साहसिक निर्णय लिया। इससे न केवल कुछ निजी ऋणदाताओं का एकाधिकार टूटा बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि बैंकिंग सेवा देश के अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति तक भी पहुंचे। सरकारी बैंक कृषि और छोटे उद्योगों को प्राथमिकता देते हैं जिससे निजी बैंक कतराते हैं।

प्रवक्ता ने कहा कि इन बैंको ने पिछड़े क्षेत्रों के विकास में मदद की है और देश के दूर-दराज के क्षेत्रों में शाखाएं खोली हैं जहां कोई भी निजी बैंक शाखा खोलने का साहस नहीं करता है। सरकारी बैंक केवल वित्तीय संस्थान नहीं बल्कि वास्तव में सामाजिक सशक्तिकरण के सशक्त माध्यम भी हैं। उन्होंने सरकार पर पिछले 75 सालों में रणनीतिक महत्व और लाभ अर्जित करने वाली परिसंपत्तियों की अंधाधुंध बिक्री करने का आरोप लगाया और कहा कि उसने मूल्यांकन के लगभग एक तिहाई मूल्य पर 18 अरब डॉलर से अधिक के नुकसान के साथ एलआईसी का आईपीओ लाकर देश की अर्थव्यवस्था को तबाह करने का काम किया है।

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