मेरे गुरु के चरणों में समर्पित कविता
मां ने उंगली पकड़कर आंगन में दौड़ाया,
पिता ने दुनिया की राह पर चलना सिखाया,
जग में सर्वोपरि स्थान गुरुवर आपका,
मुझे जीवन सार देकर एक इंसान बनाया,
कागज के पन्ने पर अंकित जड़ आकृति थी,
चित्रकार की रंगहीन भ्रमित कलाकृति थी,
वंदन बारम्बार गुरुवर आपको,
मुझे चेतन कर रंग भर एक सुंदर प्रस्तुति बनाया,
मस्तिष्क का कोना कोना ज्ञान से रिक्त था मेरा,
नमन कोटि कोटि गुरुवर आपको,
मुझे ज्ञान, सद्भाव, से युक्त कर सार्थक उत्पत्ति बनाया,
सद्भाव, सद्कार्य, सदाचार सभी मानवीय गुणों से मुझे परिपूर्ण किया,
बलिहारी जाऊं गुरुवर आप पर
अपने शिष्य को एक विभूति बनाया
दिया आर्या
उम्र -14 वर्ष
कक्षा – 10th
विद्यालय – रा. उ. मा. वि. उत्तरौडा
कपकोट, बागेश्वर, उत्तराखंड