हिन्दू राष्ट्र के नाम पर समाज विभाजक एजेण्डा?

-तनवीर जाफ़री-

भारत में सक्रिय हिंदूवादी संगठनों द्वारा कभी ‘हिन्दू राष्ट्र’ निर्माण तो कभी ‘अखंड भारत’ की संकल्पना प्रायः की जाती रही हैं। आज के ऐसे दौर में जब कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार मंहगाई और बेरोज़गारी अपने चरमोत्कर्ष पर हो, इसी तरह के नारों से आम लोगों का ध्यान भटकाकर देश में बहुसंख्यवादी राजनीति की आड़ में सत्ता संरक्षण में एक बहुत बड़ा ‘गिरोह’ सक्रिय हो कर लोगों को ‘हिन्दू राष्ट्र’ निर्माण और ‘अखंड भारत’ के सपने दिखाकर देश में अस्थिरता का वातावरण पैदा कर रहा है। अफ़सोस तो यह कि इस मिशन में राजनेताओं, धर्मगुरुओं से लेकर टी वी चैनल्स तक के स्वामी व पत्रकार खुलकर अपनी अपनी भूमिका निभा रहे हैं। भूख, ग़रीबी और मंहगाई से जूझ रहे प्रकृतिक रूप से उदारवादी स्वभाव रखने वाले हिन्दू भाइयों को चार चार बच्चे पैदा करने,घरों में हथियार रखने,मुसलमानों के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष छेड़ने,मुसलमानों का व्यवसायिक बायकॉट करने, उनके धार्मिक व सामाजिक मामलों में दख़लअंदाज़ी कर उन्हें उत्तेजित करने व चिढ़ाने जैसे प्रयास लगातार किये जा रहे हैं। और इस तरह की ‘असंवैधानिक’ बातों पर अब देश के अनेक क्षेत्रों के लोग भी खुलकर अपनी नाराज़गी का इज़हार करने लगे हैं।

पिछले दिनों अंबाला में सांप्रदायिकता फैलाने के लिये बदनाम हो चुके एक टी वी चैनल के प्रमुख ने ‘समान नागरिक संहिता’ पर परिचर्चा के नाम पर कुछ हिंदूवादियों की भीड़ इकट्ठी की। ज़ाहिर है इसमें इकट्ठे हुये अधिकांश लोग राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, भाजपा, विश्व हिन्दू परिषद् तथा इससे जुड़े अन्य संगठनों के सदस्य ही थे। इस में अंबाला शहर के स्थानीय विधायक जो कि भाजपा के ही हैं उन्होंने भी शिरकत की। यह आयोजन चर्चा का विषय इसलिये बन गया कि उन्मादी बातें करने में माहिर टी वी चैनल प्रमुख ने इस आयोजन में मौजूद लोगों को हिन्दू राष्ट्र बनाने की एक शपथ दिलाई। इस शपथ की भाषा पूरी तरह उत्तेजनात्मक व ग़ैर संवैधानिक तो थी है साथ ही भारतीय संविधान के अंतर्गत विधान सभा सदस्य के रूप में शपथ लेने वाले किसी विधायक के लिये तो बिल्कुल ही अनावश्यक व असंवैधानिक भी थी। टी वी प्रमुख व विधायक के साथ साथ शपथ लेने वाले सभी लोग अपने हाथ उठाकर कह रहे थे कि-‘हम हिंदुस्तान को हिंदू राष्ट्र बनाने और इसे हिंदू राष्ट्र बनाए रखने को प्रतिबद्ध हैं। अगर आवश्यकता पड़ी तो हम बलिदान देंगे या आवश्यकता पड़ी तो लेंगे। लेकिन हम देश को किसी भी क़ीमत पर हिंदू राष्ट्र घोषित करेंगे। हमारे पूर्वज और ईश्वर हमें हमारा लक्ष्य पाने की शक्ति दें। इसके पश्चात् हिंदू राष्ट्र के समर्थन में नारे लगाए गए जिसमें विधायक को भी सभागार में मौजूद अन्य लोगों के साथ दोनों हाथ ऊपर करके नारे लगाते देखा गया।

ग़ौरतलब है कि जिस जगह यह आयोजन हो रहा था वह स्थान हरियाणा-पंजाब सीमा से मात्र डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अभी कुछ ही दिन पहले अंबाला का पड़ोसी पंजाब का ज़िला पटियाला ख़ालिस्तान समर्थक व ख़ालिस्तान विरोधियों के बीच हुई झड़प का केंद्र बना था। उस घटना के अभी एक सप्ताह भी नहीं बीते थे कि टी वी प्रमुख के भेस में पूरे देश में बेलगाम घूमता फिर रहा यह व्यक्ति अंबाला आकर यहां का शांतिपूर्ण वातावरण ‘प्रदूषित’ करने की पूरी कोशिश कर गया। उसके द्वारा दिलाई गयी हिन्दू राष्ट्र की शपथ व उसमें स्थानीय भाजपा विधायक की मौजूदगी के बाद अंबाला के सिख समाज में तीखी प्रतिक्रिया हुई। शहर की कई संस्थाओं ने विधायक के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया। शहर के ऐतिहासिक गुरुद्वारा मंजी साहब में अनेक प्रमुख सिख नेताओं सहित अन्य सभी धर्मों के लोगों ने भी इकठ्ठा होकर इस आयोजन विशेषकर विधायक द्वारा हिन्दू राष्ट्र की शपथ लेने पर गहरा रोष जताया। सिख समाज द्वारा बुलाई गयी बैठक में कई वक्ताओं ने कहा कि विधायक का इस प्रकार शपथ लेना क़तई उचित नहीं है, यह भारत को तोड़ने वाला बयान है,हिन्दू राष्ट्र की मांग करना देशद्रोह है। उपस्थित लोगों ने विधायक के विरुद्ध पुलिस में मामला दर्ज करने की बात कही और कहा कि यदि कोई कार्रवाई नहीं होती तो सिख समाज बड़ी संख्या में इकट्ठा होकर अगली रणनीति तैयार करेगा। इसी सभा में जहां कुछ वक्ताओं ने हिन्दू राष्ट्र व ख़ालिस्तान दोनों के ही निर्माण की संकल्पना का विरोध करते हुये ‘एक भारत-सशक्त भारत’ की ज़रुरत पर ज़ोर दिया वहीं कुछ लोग यह कहने से भी नहीं चूके कि यदि हिन्दू राष्ट्र की मांग जायज़ है तो ख़ालिस्तान की मांग नाजायज़ क्यों है?

केवल सिख समाज में ही नहीं बल्कि हिन्दू राष्ट्र की प्रतिध्वनि अब असम में भी सुनाई देने लगी है। पिछले दिनों असम के सिबसागर क्षेत्र के विधायक एवं प्रतिष्ठित आर टी आई कार्यकर्ता अखिल गोगोई ने असम में मूल असमी निवासियों की सामाजिक सुरक्षा के मद्देनज़र भारतीय संविधान की धारा 370,371(ए),371(एफ) और 371(जे) जैसे प्रावधानों को लागू करने की मांग की। गोगोई ने साफ़ तौर से यह कहा कि भाजपा,आर एस एस केवल हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिये काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा की संघ व भाजपा का एजेंडा देश की विविधता तथा भारतीय संविधान की मूल भावना के बिल्कुल विरुद्ध है। एन आर सी व समान नागरिक संहिता को भी गोगोई ने अलोकतांत्रिक व असंवैधानिक बताया। इसी प्रकार कश्मीर, गोवा व पूर्वोत्तर व दक्षिण भारत के अनेक राज्यों में संघ व भाजपा के इस तरह के समाज विभाजक एजेंडे का विरोध किया जाता रहा है। परन्तु केवल सत्ता की चाहत में बहुसंख्यवाद की राजनीति को परवान चढ़ाने की अपनी कोशिशों में ये लोग यह भूल जाते हैं कि देश का विकास समस्त देशवासियों के संयुक्त प्रयासों व उनकी एकजुटता से ही संभव है। झूठ,फ़रेब,दक़ियानूसी सोच विचार और सहस्त्राब्दियों पीछे ले जाने की संकल्पना देश व समाज को विभाजित तो ज़रूर कर सकती है परन्तु आगे हरगिज़ नहीं ले जा सकती। हाँ इसके नाम पर देश में अशांति व अस्थिरता फैलाकर कुछ समय सत्ता की मौज ज़रूर लूटी जा जा सकती है। लिहाज़ा हिन्दू राष्ट्र के नाम पर समाज विभाजक एजेण्डा चलाना हरगिज़ मुनासिब नहीं। ख़ासतौर पर उन लोगों के लिये जो भारतीय संविधानक की शपथ लेकर संवैधानिक पदों पर शोभायमान हों।

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