यूक्रेन संघर्ष में भारत है शांति की ओर: त्रिमूर्ति

संयुक्त राष्ट्र 06 मई,  संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस त्रिमूर्ति ने कहा है कि भारत का मानना है कि यूक्रेन संघर्ष में कोई विजेता नहीं होगा, इस संघर्ष में भारत शांति की ओर है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन की स्थिति पर सीधा वक्तव्य देते हुए श्री त्रिमूर्ति ने कहा “ भारत लगातार पूरी तरह से युद्धविराम और बातचीत तथा कूटनीति के जरिए यूक्रेन विवाद के किसी समाधान को निकालने जाने की अपील कर रहा है। भारत बूचा में नागरिकों के मारे जाने की भी कड़े शब्दों में आलोचनाा करता है और इस मामले की स्वतंत्र जांच कराने जाने की मांग का समर्थन करता है। भारत इस युद्ध में शांति की ओर है और इसीलिए मानता है कि इस युद्ध में किसी की जीत नहीं होगी बल्कि इस युद्ध से प्रभावित हुए लोग आगे भी इसका असर झेलेंगे।

श्री त्रिमूर्ति ने अपने वक्तव्य में संयुक्त राष्ट्र महासचिव की कीव और माॅस्को यात्रा तथा दोनों ही देशों के प्रमुखों से बातचीत करने का स्वागत किया। उन्होंने कहा “ हम इस बात से सहमत हैं कि इस समय की सबसे बड़ी प्राथमिकता युद्ध प्रभावित क्षेत्र से बेगुनाह लोगों को जल्द से जल्द निकालना है। भारत नागरिकों को मारियुपॉल से निकाले जाने की भी सराहना करता है। हम उम्मीद करते हैं कि ऐसे ही प्रयास अन्य क्षेत्रों में भी किये जायेंगे।”

उन्होंने कहा “ इस संघर्ष ने न केवल सीमावर्ती इलाकों को अस्थिर कर दिया है बल्कि इसके जबरदस्त वैश्विक प्रभाव भी हुए हैं। तेल की कीमतें आसमान छू रहीं हैं और अनाज तथा खाद की किल्लत है। इस सबका सबसे खराब प्रभाव दक्षिणी और विकासशील देशों पर पड़ा है।भारत भी यूक्रेन को और अधिक चिकित्सीय सहायता मुहैया करा रहा है। हम मानवीय गलियारे बनाकर जरूरी मानवीय और जरूरी राहत सामग्री युद्धग्रस्त क्षेत्र तक पहुंचाने की अपील का समर्थन करते हैं। हमें उम्मीद है कि मानवीय जरूरतों को पूरा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय बिरादरी सकारात्मक तरीके से काम करती रहेगी।”

उन्होंने अपने संदेश को समाप्त करते हुए फिर से भरोसा दिलाते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर पर बने समसामयिक वैश्विक ऑर्डर , अंतरराष्ट्रीय कानून और देशों की संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि मानवीय आधार पर जो भी काम किया जा रहा है वह मानवता, तटस्थता, निष्पक्षता और स्वतंत्र रूप से किया जाना चाहिए और इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।

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