दिल्ली के 30 स्कूल अम्बेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस नाम से जाने जाएंगे : केजरीवाल

नई दिल्ली, 14 अप्रैल (वेब वार्ता)। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज से दिल्ली के सभी 30 स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस अब ‘अम्बेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस’ के नाम से जाने जाएंगे। केजरीवाल ने गुरुवार को बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर खिचड़ीपुर स्थित स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सिलेंस में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इन स्कूलों का हर पैमाना बाबा साहब के विजन पर आधारित है। उन्होंने कहा कि बाबा साहब हमेशा शिक्षा पर जोर देते रहे। दिल्ली सरकार उनके सपनों को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।

केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के शिक्षा मॉडल का आज देश-विदेश में चर्चा हो रही है। लोग दिल्ली के स्कूलों को देखने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों के लोग भी दिल्ली विकास मॉडल को अपने राज्यों में लागू कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी (आप) ने शिक्षा को लेकर ऐसी अलख जगाई है कि राजनीतिक गलियारे में शिक्षा और स्कूल चर्चा के विषय बने हुए हैं। विपक्षी और सत्ता पक्ष में स्कूलों को लेकर बहस होने लगी है। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के भाजपा सांसद और दूसरे दलों के नेता राज्य के स्कूलों में कमियां ढूढने निकले हैं। यह अच्छी बात है हम दिल्ली के स्कूलों की उन कमियों को भी दूर कर रहे हैं जो विपक्षी नेता बता रहे हैं।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के सभी 30 स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सिलेंस को बाबा साहब के नाम समर्पित करते हुए शिलापट्ट का अनावरण किया। अभी तक इन स्कूलों को स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सिलेंस के नाम से जाना जाता था, लेकिन अब यह स्कूल डॉ. बी.आर. अंबेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सिलेंस के नाम से जाने जाएंगे। इस दौरान स्कूल के बच्चों ने सीएम अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को नवांकुर भेंट कर स्वागत किया। सीएम अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत अन्य गणमान्यों ने दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर विधायक आतिशी, दिल्ली के शिक्षा निदेशक हिमांशु गुप्ता समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज बाबा साहब डॉ. भीम राव अंबेडकर का जन्मदिन है और हम लोग हर वर्ष की तरह इसे बड़ी धूमधाम से मना रहे हैं, लेकिन आज हम लोगों ने एक विशेष काम किया कि दिल्ली के जो सबसे शानदार 30 सरकारी स्कूल हैं, जिन्हें हम स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस के नाम से जानते हैं। अब यह सभी स्कूल बाबा साहब डॉ. अंबेडकर के नाम से जाने जाएंगे। इन स्कूलों का नाम आज से डॉक्टर बी.आर. अंबेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस होगा। मैं समझता हूं कि इससे अच्छी श्रद्धांजलि उनको नहीं दी जा सकती थी। वो जहां कहीं भी होंगे, ऊपर आसमान में उनकी आत्मा अगर देख रही होगी, तो मैं समझता हूं कि उनकी आत्मा बहुत खुश होगी और हमें खूब आशीर्वाद देगी।

उन्होंने आगे कहा कि बाबा साहब अंबेडकर ने अपने जीवन में सबसे ज्यादा महत्व शिक्षा को दिया। एक बहुत गरीब घर में पैदा हुए थे। घर में खाने के लिए भी रोटी नहीं थी। उन दिनों में बहुत ज्यादा छुआछूत थी। वो स्कूल जाते थे, तो उस जाति के लोगों को क्लास के बाहर बैठा दिया जाता था। उस पृष्ठभूमि से आकर वो 1913-14 में पीएचडी करने के लिए कोलंबिया यूनिवर्सिटी गए। उसके बाद लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से दूसरी डॉक्टरेट की डिग्री ली। उन्होंने उन दिनों में विदेशी यूनिविर्सिटी से दो-दो डॉक्टरेट की। मैं सोचता हूं कि आज के जमाने में भी जब हमारे पास सारे साधन है, सब कुछ है। फिर भी लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में एडमिशन लेना अपने आप में बहुत बड़ी बात है। 1913-14 में उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में न केवल एडमिशन लिया है, बल्कि स्कॉलरशिप ली और वहां से पढ़ाई करके आए।

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज तो आप गूगल खोल लो, आपको सारी यूनिवर्सिटी के बारे में पता चल जाता है। आपको इंटरनेट के ऊपर सारी यूनिवर्सिटीज के फार्म डाउनलोड करने को मिल जाते हैं। लेकिन जिस बच्चे के घर में खाने को नहीं था और जिसने कदम-कदम पर छुआछूत को बर्दाश्त किया। उस जमाने में तो इंटरनेट भी नहीं था। उस बच्चे को किसने बताया होगा कि कोई कोलंबिया यूनिवर्सिटी भी है। वो बच्चा फॉर्म कहां से लाया होगा। मैं तो यह सारी चीजें सोच-सोच कर हैरान रह जाता हूं कि उस शख्स ने अपनी जिंदगी में क्या-क्या हासिल नहीं किया। कई बार मैं सोचता हूं कि पिछले 100-150 साल में भारत में जितने सपूत पैदा किए, उनमें सबसे महान बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर थे।

उन्होंने खुद अच्छी से अच्छी शिक्षा हासिल की और उनका सपना था कि भारत जब आजाद होगा, चाहे गरीब का बच्चा हो, चाहे अमीर का बच्चा हो, हमारे देश के हर बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए। अच्छी शिक्षा मिलेगी, तभी देश तरक्की कर सकता है। लेकिन आजादी के बाद पिछले 75 साल के अंदर हमारे देश में दो तरह की शिक्षा प्रणाली शुरू हो गई। एक शिक्षा प्रणाली पैसे वालों के लिए थी और एक शिक्षा प्रणाली गरीबों के बच्चों के लिए थी। गरीबों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते थे। पैसे वालों के बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ते थे। 75 साल में सरकारी स्कूलों को जानबूझकर और खराब से खराब किया गया। अगर कोई दो पैसे भी बचा लेता था, तो वो अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाता था।

सीएम केजरीवाल ने कहा कि जब हमारी सरकार बनी, तब हमारे पास दो मॉडल थे। उस दौरान कई लोग आकर कहते थे कि आप एक कानून पास कर दो कि अधिकारियों, मंत्रियों और नेताओं के बच्चों को सरकारी स्कूल में डलवाया जाए। अगर सारे अधिकारियों और मंत्रियों के बच्चे सरकारी स्कूल में जाने लगेंगे, तो ये स्कूल अपने आप ही ठीक हो जाएंगे। तब मैंने कहा कि हम यह मॉडल लागू नहीं करेंगे। हम दूसरा मॉडल लागू करेंगे। हम सरकारी स्कूलों को ही इतना अच्छा बना देंगे कि ये सारे लोग अपनी इच्छा से अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजना चालू करेंगे। जब हमने यह सोचा था और इस इसको लागू किया, तब हमें उम्मीद नहीं थी कि हम पांच साल की सरकार में इतनी जल्दी यह हासिल कर पाएंगे।

उन्होंने कहा कि 75 साल तक बाकी पार्टियां और सारी सरकारें नहीं कर पाईं। हमें लगता था कि यह हासिल करने में काफी समय लगेगा। लेकिन सभी शिक्षकों, प्रिंसिपल, अभिभावकों, अधिकारियों, बच्चों और सभी जनता का सहयोग मिला। सभी लोगों के सहयोग से हम लोगों ने मिलकर के सिर्फ 5 साल में दिल्ली के सरकारी स्कूलों इतना शानदार बना दिया। आज हमारे कई विधायक ऐसे हैं, जिनके बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। वह हमने उनपर दबाव नहीं डाला, बल्कि वे अपनी इच्छा से सरकारी स्कूल में अपने बच्चे पढ़ा रहे हैं। मैं कई वकीलों को जानता हूं, जिनके पास खूब पैसा है। वो अपने बच्चों को अपनी इच्छा से सरकारी स्कूल में पढ़ा रहे हैं। इस साल 3.75 लाख बच्चों ने अपने नाम प्राइवेट स्कूलों से कटवा कर सरकारी स्कूलों में भर्ती करवाया है। मुझे बेहद खुशी है कि बाबा साहब अंबेडकर का जो सपना था कि इस देश के गरीब और अमीर बच्चों को एक जैसी अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए, वह सपना दिल्ली में पूरा हो रहा है।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि इन दिनों एक और बहुत अच्छी बात हो रही है। हमारे देश में हमारे देश में राजनीति बहुत खराब हो गई है। कई बार तो लगता है कि यह क्या हो रहा है? ऐसे थोड़ी देश आगे बढ़ेगा। लेकिन पिछले कुछ महीनों से एक अच्छी बात हो रही है। राजनीति के अंदर स्कूलों की बात होने लगी है। आपस में कंपटीशन होने लगा है। दिल्ली में हम लोग कहते हैं कि हमारे स्कूल बड़े अच्छे हैं। वो कहते हैं कि इनके स्कूल बड़े गंदे हैं। हरियाणा में हम कहते हैं कि इनके स्कूल बहुत गंदे हैं। वो कहते हैं कि पहले अपने दिल्ली के स्कूल देखो। फिर गुजरात में हम जाकर कहते हैं कि देखो इनके स्कूल बड़े खराब है, तो वो कहते हैं कि अपने दिल्ली के स्कूल संभालो। यह अच्छी बात है। अब तू-तू, मैं-मैं स्कूलों पर हो रही है। मैं दो-तीन दिनों से देख रहा था कि हमारे विरोधी पार्टियों के लोग दिल्ली के स्कूलों में घूम-घूम कर हमारी कमियां निकाल रहे है। एक सांसद को मैंने देखा कि वे एक स्कूल के बाथरूम में गए। उस बाथरूम की टाइल्स टूटी पड़ी थी।

उन्होंने आगे कहा कि उसके सामने खड़े होकर उन्होंने फोटो खिंचवाई और बोले कि देखो केजरीवाल के स्कूलों का क्या हाल है, टाइल्स टूटी पड़ी है। मैंने कहा कि इनका बुरा मत मानना। मैंने आदेश किया कि ये टाइल्स लगावाओ। फिर एक और सांसद को देखा। एक स्कूल की दीवार पर व्हाइट वाश नहीं हुआ था। वो सांसद बोला, देखो केजरीवाल सरकार के स्कूल की दीवार कितनी खराब है। तो हमने वो दीवार ठीक करवाई। ये लोग जो भी कमियां निकालेंगे, हम इनकी बुराई नहीं करेंगे, हम उन कमियों को ठीक करेंगे। हमने तो इनको कहा कि आप हमारे स्कूलों में घूमो। हम कई राज्यों में उनके स्कूल देखने के लिए जाते हैं। मनीष सिसोदिया जी दो-तीन राज्यों में गए, तो इन्होंने उनको गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार करने की क्या जरूरत है। हम तो कहते हैं कि आप आओ और हमारे स्कूलों को देखो। हमारे बिना ही स्कूलों में चले जाओ और हमारी कमियां निकालो। हम उन कमियों को ठीक करेंगे। आज देश की राजनीति में शिक्षा एक बहुत बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। स्कूल एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। अब जो नए राजनीति का नैरेटिव है, वह धीरे-धीरे शिक्षा और स्वास्थ्य की ओर शिफ्ट हो रहा है।

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि आज इस महान अवसर पर हम देश के सबसे शानदार सरकारी स्कूलों को बाबा साहब को उनके विचार व दर्शन को समर्पित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्कूल ऑफ़ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस, जिसे आज हम बाबा साहब के नाम पर समर्पित कर रहे हैं, यह मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के राजनैतिक सोच का परिणाम है। सीएम अरविंद केजरीवाल का मानना है कि समाज के हर तबके के बच्चों को चाहे, वो सक्षम हो या आर्थिक-सामाजिक रूप से पिछड़ा हो, सभी को शानदार क्वालिटी एजुकेशन के अवसर मिलने चाहिए।

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि बाबा साहब के विज़न पर चलते हुए दिल्ली के सभी सरकारी स्कूलों को शानदार किया गया और आज देश या दुनिया में किसी को भी देखना हो कि सरकारी स्कूलों में क्वालिटी का चरम क्या होता है तो वो हमारे बी.आर. अम्बेडकर स्कूल ऑफ़ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस में आकर देख सकता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में ऐसा इसलिए संभव हो सका है क्योंकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शिक्षा के हर आयाम को बाबा साहब के विज़न से मिलाकर देखते है ताकि उसी के अनुरूप बच्चों को शिक्षा देकर बाबा साहब द्वारा देखे गए सपने के अनुसार समाज-देश का निर्माण किया जा सके। मनीष सिसोदिया ने कहा कि बाबा साहब ने कहा था कि शिक्षित होने का यह अर्थ नहीं है कि सब कुछ हो गया, शिक्षित होने के साथ-साथ मनुष्य का शील होना भी जरुरी है। बाबा साहब ने कहा था कि शिक्षा केवल रोजी-रोटी पाने के लिए नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य समाज-राष्ट्र का निर्माण भी करना है। उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि हम बाबा साहब के इस संदेश को, उनके विज़न को अपने माइंडसेट करिकुलम के माध्यम से पूरा करने का काम कर रहे है।

मुख्यमंत्री से मिल खिल उठे बच्चों के चेहरे, साझा किए अनुभव

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और अन्य गणमान्य लोगों को अपने बीच पाकर डॉ. बी.आर. अंबेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सिलेंस में पढ़ने वाले बच्चों में खुशी का ठिकाना नहीं था। अपने चहेते सीएम अरविंद केजरीवाल से मिलकर बच्चों के चेहरे खिल उठे। यह बच्चे पहली बार सीएम अरविंद केजरीवाल से मिले थे। सीएम अरविंद केजरीवाल ने बच्चों के बीच जाकर उनसे बात की और उनके अनुभवों को जाना। बच्चों ने बड़ी बेबाकी के साथ स्कूल के बारे में बताया और अपने अनुभवों को साझा किया। इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने बच्चों को मन लगाकर पढ़ाई करने और अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया।

बाबा साहब डॉ. अंबेडकर को समर्पित किए गए सभी स्कूल्स ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सिलेंस

केजरीवाल सरकार ने 22 मार्च 2021 को कैबिनेट में एक प्रस्ताव लाकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सिलेंस की स्थापना की थी और शिक्षण सत्र 2021-22 में इस तरह के 20 स्कूल स्थापित करते हुए करीब 2300 छात्रों का एडमिशन किया। इसके बाद दिल्ली सरकार ने शिक्षण सत्र 2022-23 में 11 स्कूलों और जोड़ा है। इसके बाद अब दिल्ली में स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सिलेंस संख्या बढ़कर 31 हो गई है। इन 31 स्कूलों में से एक आर्म्ड फोर्स प्रिपेटरी स्कूल है, जिसका नाम बदलकर शहीद भगत सिंह आर्म्ड फोर्स प्रिपेटरी स्कूल कर दिया गया है।

वहीं, दिल्ली सरकार ने 12 अप्रैल 2022 को सभी 30 स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सिलेंस को बाबा साहब डॉ. अंबेडकर को समर्पित करने का फैसला किया। दिल्ली सरकार के राज्य नामकरण प्राधिकरण ने सभी 30 स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सिलेंस का नाम बदलकर डॉ बी. आर. अंबेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस कर दिया है। अब डॉ. बी.आर. अम्बेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस में ग्रेड 9-12 के स्कूल हैं जहां बच्चों की योग्यता और रुचि के आधार पर विशेष शिक्षा प्रदान किया जाता है। ये स्कूल दिल्ली सरकार द्वारा स्थापित दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (डीबीएसई) से संबद्ध हैं और इंटरनेशनल बैकलॉरिएट(आईबी) के साथ साझेदारी की गई है। आईबी विश्व स्तर पर एक प्रसिद्ध स्कूली शिक्षा बोर्ड है।

डॉ. अंबेडकर स्कूल्स ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सिलेंस में विशेषज्ञता के चार डोमेन

1-  विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम),

2-मानविकी,

3- प्रदर्शन और दृश्य कला,

4- हाई-एंड 21वीं सदी के कौशल

इन स्कूलों में उनके डोमेन के आधार पर बच्चों को दी जा रही विशिष्ट शिक्षा

इन स्कूलों में छात्रों को भाषा, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में मूलभूत शिक्षा और उनके डोमेन के आधार पर कठोर विशिष्ट शिक्षा प्रदान की जाती है। उदाहरण के लिए, प्रदर्शन और दृश्य कला स्कूलों में, छात्रों को केवल दृश्य कला क्षेत्र में कलात्मक कौशल नहीं सिखाया जाता है, बल्कि उन्हें ग्राफिक्स डिजाइनर और एनीमेशन कलाकार बनने के लिए प्रशिक्षित भी किया जा रहा है। एसटीईएम स्कूलों में, बच्चों को जेईई और एनईईटी की तैयारी के लिए विद्या मंदिर कक्षाओं से विशेष पेशेवर सहायता मिलती है। मानविकी स्कूलों में, बच्चे सामाजिक विज्ञान में स्वयं अनुसंधान के माध्यम से सीखते हैं। वहीं, हाई एंड 21वीं सेंचुरी स्किल्स स्कूल में, बच्चे रोबोटिक्स, ऑटोमेशन और कई नई अत्याधुनिक तकनीक के बारे में सीख रहे हैं।

विश्वस्तरीय शिक्षा देने के लिए कई विश्व प्रसिद्ध संस्थानों से साझेदारी

दिल्ली सरकार ने इन स्कूलों में अत्याधुनिक पाठ्यक्रम विकसित करने, नए जमाने के आकलन डिजाइन करने और कुशल प्रशिक्षक प्रदान करने के लिए कई विश्व-प्रसिद्ध संस्थानों के साथ भागीदारी भी की है। जिसमें आईआईटी दिल्ली, टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान, निफ्ट दिल्ली, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, वैश्विक संगीत संस्थान, मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, विद्यामंदिर क्लासेस शामिल है। छात्रों को उद्योगों के फील्ड ट्रिप के साथ-साथ प्रख्यात उद्योग पेशेवरों से मास्टर क्लास, कार्यशालाएं और अतिथि व्याख्यान भी प्रदान किए जाते हैं। इन स्कूलों में विभिन्न अभिनव प्रयोग किए गए हैं, जैसे डिजिटल टैबलेट आधारित आंकलन, क्रोमबुक के माध्यम से शिक्षण-शिक्षण, आदि। शैक्षणिक वर्ष 2022-23 के लिए प्रवेश प्रक्रिया फरवरी में शुरू हुई थी। इन 30 स्कूलों में करीब 4600 सीटों के लिए 79513 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिसमें योग्यता परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या 62,438 थी। प्रवेश परीक्षा के परिणाम इसी महीने घोषित किए जाएंगे।

Leave A Reply

Your email address will not be published.