गणतंत्र दिवस परेड में कुछ राज्यों की झांकियों को मंजूरी नहीं मिलने पर विवाद

नयी दिल्ली, 18 जनवरी,  देश की आजादी का 75वां साल पूरा होने के उपलक्ष्य में इस बार मनाये जा रहे ‘अमृत महोत्सव’ के तहत 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड में दिल्ली और कुछ अन्य गैर भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों की झांकियां शामिल नहीं किये जाने को लेकर संबंधित राज्यों ने कड़ी आपत्ति दर्ज करायी है। विभिन्न राज्यों की झांकियों को शामिल नहीं किये जाने को लेकर उभरे विवाद के कारण मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को स्पष्टीकरण तक देना पड़ी। रक्षा मंत्री ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन को पत्र लिखकर आश्वासन दिया है कि गणतंत्र दिवस की झांकी के चयन की प्रक्रिया पूरी तरह ‘पारदर्शी’ है।

बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एवं द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। इस बार गणतंत्र दिवस परेड में दिल्ली समेत कुछ अन्य गैर भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों की झांकियां शामिल नहीं होने को लेकर संबंधित राज्यों ने भी आपत्ति दर्ज करायी है। केंद्र सरकार की समिति ने इन राज्यों की झांकियों का चयन नहीं किया है। केंद्र ने हालांकि जवाब दिया है कि झांकियों का चयन केंद्र सरकार नहीं, बल्कि एक विशेषज्ञ समिति करती है।

गणतंत्र दिवस परेड के लिए कुछ राज्यों की झांकियों को मंजूरी नहीं मिलने पर शुरू हआ विवाद मंगलवार को तब और तेज हो गया जब सुश्री बनर्जी के बाद तमिलनाडु में उनके सकमकक्ष एम के स्टालिन ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। केरल सहित गैर भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों के कुछ नेताओं ने आरोप लगाया कि यह केंद्र द्वारा ‘अपमान’ है। कुछ राज्यों की झांकियों का चयन नहीं होने पर उन राज्यों द्वारा की जा रही आलोचनाओं को खारिज करते हुए केंद्र सरकार के सूत्रों ने कहा कि यह गलत परंपरा है और झांकियों का चयन केंद्र सरकार नहीं, बल्कि एक विशेषज्ञ समिति करती है। केंद्र सरकार के सूत्रों ने कहा कि केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के प्रस्तावों को विषय विशेषज्ञ समिति ने उचित प्रक्रिया और विचार-विमर्श के बाद खारिज किया है।

केंद्र सरकार के एक पदाधिकारी ने कहा,“ राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने एक विषय आधारित प्रक्रिया के परिणाम को केंद्र और राज्यों के बीच गतिरोध का बिंदु दर्शाने का जो तरीका अपनाया है, वह गलत है। इससे देश के संघीय ढांचे को दीर्घकालिक नुकसान होगा।” उन्होंने कहा कि राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों से कुल 56 प्रस्ताव मिले थे, जिनमें से 21 का चयन किया गया। अधिकारियों ने भी कहा कि हर साल चयन की ऐसी ही प्रक्रिया अपनाई जाती है। सुश्री बनर्जी और श्री स्टालिन ने अपने राज्यों की झांकियों को शामिल नहीं किये जाने पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है और उनसे हस्तक्षेप का आग्रह किया है। श्री स्टालिन ने कहा कि झांकियों को शामिल नहीं करने से तमिलनाडु की जनता की संवेदनाएं और देशभक्ति की भावनाएं आहत होंगी। उन्होंने इसे तमिलनाडु और उसके लोगों के लिए गंभीर चिंता का विषय बताते हुए प्रधानमंत्री से ‘तमिलनाडु की झांकी को शामिल करने की व्यवस्था करने की खातिर तत्काल हस्तक्षेप’ की मांग की।

इससे पहले पश्चिम बंगाल की झांकी को शामिल नहीं किये जाने पर हैरानी जताते हुए सुश्री बनर्जी ने कहा था कि इस तरह के कदमों से उनके राज्य की जनता को दु:ख होगा। उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 125वीं जयंती वर्ष पर उनके और आजाद हिन्द फौज के योगदान से जुड़ी पश्चिम बंगाल की झांकी को बाहर करने के केंद्र के फैसले पर हैरानी जताई थी। उन्होंने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर इस निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था। तृणमूल नेता ने कहा था, “प्रस्तावित झांकी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती वर्ष पर उनके और आजाद हिन्द फौज के योगदान तथा इस देश के महान बेटे और बेटियों ईश्वर चंद्र विद्यासागर, रवींद्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद देशबंधु चित्तरंजन दास, श्री अरबिंदो, मातंगिनी हाजरा, नजरूल, बिरसा मुंडा और कई देशभक्तों की स्मृति में बनाई गई थी। ”

इस बीच भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता तथागत रॉय ने भी सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया कि वह गणतंत्र दिवस समारोह में पश्चिम बंगाल की झांकी को हिस्सा लेने की अनुमति दें। उन्होंने हालांकि, स्पष्ट किया कि श्री मोदी से उनके अनुरोध को तृणमूल कांग्रेस की ‘तुष्छ राजनीति’ के समर्थन के रूप में नहीं देखा जानी चाहिए। कांग्रेस ने भी इस घटनाक्रम पर निराशा व्यक्त की है और लोकसभा में उसके नेता अधीर रंजन चौधरी ने शनिवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा।उन्होंने कहा कि यह फैसला पश्चिम बंगाल के लोगों, इसकी सांस्कृतिक विरासत और नेताजी बोस का ‘अपमान’ है। केरल के भी अनेक नेताओं ने केंद्र की आलोचना की है। लेकिन केंद्र के एक सूत्र ने कहा, “ इस विषय को क्षेत्रीय गौरव से जोड़ दिया गया है और इसे केंद्र सरकार द्वारा राज्य की जनता के अपमान के तौर पर प्रदर्शित किया जा रहा है। यह हर साल की कहानी है।”

सूत्रों ने कहा कि समयाभाव के कारण कुछ ही प्रस्तावों को स्वीकार किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस बात पर गौर किया जाना चाहिए कि झांकी के लिए केरल के प्रस्ताव को इसी प्रक्रिया के तहत 2018 और 2021 में मोदी सरकार में ही स्वीकार किया गया था। इसी तरह 2016, 2017, 2019, 2020 और 2021 में तमिलनाडु की झांकियों को भी शामिल किया गया था। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार 2016, 2017, 2019 और 2021 में पश्चिम बंगाल की झांकियों को मंजूरी दी गयी थी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 एवं 2020 में भी दिल्ली की झांकी परेड में नहीं शामिल की गयी थी। बहरहाल दिल्ली की केजरीवाल सरकार इस पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है। देश की आजादी का 75वां साल पूरा होने के उपलक्ष्य में इस बार अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। इसे देखते हुए इस बार गणतंत्र दिवस परेड के लिए उम्मीदों का दिल्ली शहर विषय पर झांकी की तैयारी थी।

Leave A Reply

Your email address will not be published.