सांप्रदायिक दंगों और साइबर अपराध के मामलों में बढ़ोतरी

नयी दिल्ली 16 सितंबर, पिछले वर्ष कोरोना महामारी और पूर्ण बंदी (लॉकडाउन) जैसी परिस्थितियों के चलते जहां महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपराधों की घटनाओं में कमी दर्ज की गई वहीं सांप्रदायिक दंगों और साइबर अपराधों के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट ‘भारत में अपराध 2020’ के अनुसार देश में वर्ष 2020 में महिलाओं के खिलाफ 371503 मामले दर्ज किए गए जो 2019 के 405326 मामलों की तुलना में 8.3 प्रतिशत कम है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत दर्ज ज्यादातर मामले पति या रिश्तेदारों द्वारा की गई क्रूरता से संबंधित हैं। इस तरह के मामलों की संख्या 30 प्रतिशत है। इसके बाद 23 फीसदी मामले ऐसे हैं जिनमें महिलाओं का शील भंग करने की मंशा से उन पर हमला करने की कोशिश की गई। महिलाओं के अपहरण और उनके साथ दुष्कर्म के मामले क्रमशः 16.8 और 7.5 फीसदी रहे।
रिपोर्ट में जारी आंकड़ों के अनुसार 2020 में सांप्रदायिक दंगों के मामलों में करीब 90 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वर्ष 2019 में सांप्रदायिक दंगों के 438 मामले दर्ज किए गए थे जबकि 2020 में इनकी संख्या बढ़कर 857 पहुंच गई। इसी तरह जातीय दंगों में भी करीब 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। विभिन्न आंदोलनों और मोर्चों के दौरान भी दंगों के मामलों में 33 फीसदी की वृद्धि हुई है। कृषि संबंधित मुद्दों को लेकर हुए आपसी टकराव के मामलों में भी 38 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों के खिलाफ अपराधों में 13.2 फीसदी की कमी आई है। वर्ष 2020 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 1,28,531 मामले दर्ज किए गए जबकि वर्ष 2019 में यह संख्या 1,48,090 थी। वर्ष 2019 में सरकारी अवज्ञा के संबंध में 29469 मामले दर्ज किए गए थे जबकि 2020 में यह बढ़कर 612179 तक पहुंच गए। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता के तहत अन्य अपराधों की श्रेणी में वर्ष 2019 में 252268 मामले दर्ज किए गए जबकि वर्ष 2020 में इनकी संख्या 1062399 पहुंच गई।

सभी तरह के अपराधों के मामलों की संख्या भी वर्ष 2019 की तुलना में 2020 में 28 फीसदी की वृद्धि हुई है। प्रति एक लाख आबादी में अपराध की दर भी वर्ष 2019 की 385.5 से बढ़कर 487.8 पहुंच गई। वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपराध के मामलों में भी कमी दर्ज की गई है। वर्ष 2019 में इस तरह के मामलों की संख्या 27804 थी जबकि वर्ष 2020 में यह घटकर 24794 पर पहुंच गई। अनुसूचित जाति के समुदाय के लोगों के खिलाफ अपराध के मामले 2019 में 45961 से बढ़कर वर्ष 2020 में 50291 पहुंच गए। अनुसूचित जनजाति समुदाय के खिलाफ अपराध के मामलों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई और वर्ष 2019 के 7570 की तुलना में वर्ष 2020 में 8272 मामले दर्ज किए गए।

 

साइबर अपराधों के मामलों में भी 11.8 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई वर्ष 2019 में इस तरह के 44735 मामले सामने आए थे जबकि 2020 में इनकी संख्या बढ़कर 50035 तक पहुंच गई। साइबर अपराध की दर में भी 3.7 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है भारतीय दंड संहिता के तहत आरोप पत्र दायर करने की दर सबसे अधिक सूरत शहर में 96.7 फीसदी रही जबकि कोयम्बटूर में यह आंकड़ा 96.6 फीसदी और अहमदाबाद में 96.3 फीसदी रहा। राज्यों के मामले में आरोपपत्र दायर करने की दर सबसे अधिक गुजरात में 97.1 फीसदी, केरल में 94.9 और तमिलनाडु में 91.7 फीसदी रही।

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