कहर दोनों का यूं जारी है

हरीश कुमार पुंछ, जम्मूचले लहरें तूफानों की, अम्बर में धामनी कड़क रही है। कहर दोनों का यूं जारी है। मानों मानव से हिसाब की बारी है।।दरिया-नाले सब उफानो पर, भूस्खलन भी जारी है। कहर दोनों का यूं जारी है। मानों मानव से हिसाब की…
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नन्हीं सी बच्ची हूं

प्रियंका साहू मुजफ्फरपुर, बिहारनन्हीं सी बच्ची हूं, इस दुनिया में आई हूं, खुशियां तो मनाओ जरा, दुख को दूर भगाओ जरा, क्यों उदास नजरों से तुम, निहारते हो मेरी ओर? मैंने भी लिया है जन्म, वैसे जैसे जन्मे हैं बेटे, फिर क्यों उदास…
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तारे और हमारे सपने

अंजली शर्मा मुजफ्फरपुर, बिहारआसमान में तारे अनेक जैसे हमारे सपने अनेक, कभी खिड़कियों से तो कभी छत के मुंडेरों से, देखा तुमको अनेक बार, अनिमेष, अंधेरी रातों में तुम चमकते मोती जैसे, मैं अथक दौड़ी चली जाती, आसमान की ऊंचाइयों में,…
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जीवन में आए एक समान

पूजा गोस्वामी कक्षा-10 रौलियाना,गरुड़ बागेश्वर, उत्तराखंड जीवन में आए एक समान, लेकिन दुनिया माने असमान, पालन-पोषण हो चाहे संस्कार, दोनों को न दिया एक समान, खुले आसमान में उड़े लड़के, लड़कियां बंधे पितृसत्ता की जंजीरों में, लड़कों…
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काश ! हमारे भी पंख होते

हरीश कुमार पुंछ, जम्मूबाल विवाह करके अपनी बेटी का, क्यों पाप के भागी बनते हो? पढ़ा लिखा कर बेटी को, आगे बढ़ने क्यों नहीं देते हो?पता है तुम अपनी बेटी को, किस आग में धकेल रहे हो? क्यों अपनी नन्ही परी के, जीवन से तुम खेल…
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बरसात का मौसम आया है

हेमा आर्य कक्षा-11 पोथिंग, कपकोट उत्तराखंडबरसात का मौसम आया है, देखो, दिन कितना सुहाना है, क्या हरियाली में तुमने कभी किसी को दुखी पाया है?परियों की दुनिया से निकली, एक सुंदर सी काया है, आकाश को देखकर दुनिया में, सबके मन…
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देवी संध्या जी की भागवत कथा 9 अगस्त से करहल में होगी

भिंड, बस्ती ब्यूरो, विक्रम जादौन । आगामी 9 अगस्त से मां सिद्धधाम अन्नपूर्णा लाडली सरकार आश्रम मध्य प्रदेश से जुड़ी सुप्रसिद्ध भागवताचार्य देवी संध्या जी की सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन नगर के क्षत्रिय स्वर्णकार धर्मशाला परिसर करहल,…
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भक्ति, सच्चे भक्त बनकर करना चाहिए, भिखारी बनकर नहीं-: मुनिश्री विनय सागर

इंद्रा इंद्राणियो संगीतमय भजनों के साथ भगवान जिनेंद्र के समक्ष महा अर्घ्य समर्पित करें।भिंड/ भगवान की भक्ति करने वाले, सच्चे भक्तों के जीवन में ‘बिन माँगे मोती मिले’ वाली कहावत चरितार्थ होती है। भक्ति, सच्चे भक्त बनकर करना चाहिए, भिखारी…
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‘बिना शीर्षक के’

डॉ. सुनील त्रिपाठी निराला भिण्डभीड़ थी उन्मादियों की, जो हमें घेरे खड़ी थी। थे अधिकतर लोग परिचित, घोर विपदा की घड़ी थी।।कुछ तो ऐसे थे कि जिनसे, राखियां बंधवाईं हमने। और कुछ ऐसे कि जिनके, साथ में देखे थे सपने।।कुछ तो रिश्ते में…
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ऐ जिंदगी तू इतनी हसीन क्यों है?

मंजू धपोला कपकोट, बागेश्वर उत्तराखंडऐ जिंदगी तू इतनी हसीन क्यों है? हर कदम पर उलझी सी ही क्यों है? मन को मन जैसा ना मिला, किस्से कहानियों में फंसी क्यों है? ऐ जिंदगी तू इतनी हसीन क्यों है? किसी मझधार में डूबी जैसी, हर…
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