पिंजरे में कैद चिड़िया

अंशु कुमारी

मुजफ्फरपुर, बिहार

जहां थे पहले खेत-खलिहान,
वहां है अब एक महल आलीशान,
जिसमें कैद है एक नन्ही-सी चिड़िया,
जो कल तक थी खेतों की परियां,
पिंजरे में मिलता है दाना उसको,
जिसे मजबूरन खाना है उसको,
खेतों के दिन याद आते हैं उसे,
जिसमें मिलते थे दाने-ही-दाने,
पिंजरे का वह छोटा कमरा,
जिसमें कैद है नन्ही चिड़िया,
याद अपने साथियों को करती,
जिनके साथ थी वह हंसती गाती,
खिड़की से देखती जब चिड़ियों के झुंड को,
मन उसका भी तिलमिला जाता है,
पंख तो हैं उसके पास, पर, 

न जा सकती वो झुंड के साथ,
आसमान की वो रोमांचकारी सैर,
पल-पल वो इन यादों में ही रहती,
इनके सहारे अब वो ज़िन्दा रहती,
ऐसे पिंजरों की चारदीवारी में,
न जाने क़ैद हैं कितनी चिड़ियां,
जिनके आसमान के मजेदार,
सैर का सपना रह गया अधूरा।।
 
चरखा फीचर्स
Leave A Reply

Your email address will not be published.