समाज और राष्ट्र की सेवा ही सच्ची सेवा है : अनु भसीन

कहानी जम्मू के अनु भसीन की

इस पत्र को लिखने का यह अवसर आपने प्रदान किया इसके लिए मैं आपकी आभारी हूँ। इस पत्र के माध्यम से मुझे आपको यह बताते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है, कि मेरा अधिकतर जीवन समाज सेवा में ही गुज़रा है। मैं अपने कार्यों के प्रति आपको अवगत कराना चाहती हूँ।
मेरा नाता बहुत-सी सामाजिक एवं राजनीतिक संस्थाओं के साथ रहा है, जिनसे मुझे समाज में सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ। मैं शुरुआत अपने राजनीतिक सफर से करना चाहती हूँ, जिसमे मैंने बहुत सी उपलब्धियाँ प्राप्त की। सर्वप्रथम मुझे भाजपा महिला मोर्चा जम्मू-व-कश्मीर में नेतृत्व का अवसर प्राप्त हुआ, जहाँ मैंने महिलाओं के हक के लिए आवाज़ उठाई। इसके उपरांत ‘बेटी-पढ़ाओ, बेटी-बचाओ’ जम्मू-कश्मीर की सदस्य होने के नाते मैंने बहुत-सी बेटियों को पढ़ाने में सहायता की। विद्यालयों एवं कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियों को छात्रवृत्ति दिलवाई और गरीब बेटियों की शादी में उनके जरूरत अनुसार राशन भी दिया प्रदान करवाया।
पहाड़ी एडवाइजरी बोर्ड सदस्य होने के नाते मैंने पहाड़ियों (अनुसूचित जनजातीय) का हक दिलवाने में अहम भूमिका निभाई और उनके पहाड़ी प्रमाणपत्र बनवाए। सीमांत क्षेत्र होने के कारण नौशेरा में आए दिन गोलाबारी होती थी, जिसके कारण गांव के लोग जो कि हज़ारों की तादाद में थे, उन्हें पलायन करना पड़ता था। उनके रहने के लिए शिविर एवं स्कूलों में व्यवस्था का आयोजन सरकार द्वारा किया जाता था। उस दौरान मैने मंत्रियों से और कुछ स्थानीय लोगों की सहायता से फंड्स एकत्रित कर प्रवासी लोगों को राशन से लेकर कपड़ों और उनकी हर ज़रूरत के अनुसार उनकी सहायता की। जो ज़रूरतमंद एवं बीमार लोग थे, उनकी भी काफी मदद की। कई लोगों को मेडिकल के तहत ₹50,000/- दिलवाए और प्रधान मंत्री निधि से ₹3,00,000/- दिलवाए। कुछ गरीब लोगों की किडनी बचाने में मदद मिली। उस वक्त आयुष्मान कार्ड नहीं बने थे, तब मुझे उनकी सहायता का अवसर प्राप्त हुआ।
ऐसे अनेक कार्य हैं, जो मेरे द्वारा अपने इलाके में किए गए और जिसके कारण जब नगर में नगरपार्षद के 2018 में चुनाव हुए, उसमें मेरे वार्ड में मुझे निर्विरोध (unopposed) चुना गया और मुझे यहाँ की पार्षद बनने का अवसर प्राप्त हुआ। पार्षद बनने के बाद मैंने अपने पूरे वार्ड में अनेकों कार्य करवाए, जिसमें ‘प्रधान मंत्री आवास योजना’ के तहत मैंने कई घर बनवाए। ईमानदारी और दृण संकल्प से कोरोना में मैंने अपनी सेहत का ख्याल ना रखते हुए हर घर जाकर सेनिटाइज करवाया, अनेक लोगों को राशन पहुँचाया एवं प्रवासी मज़दूरों की आवश्यकता अनुसार सहायता की।
‘जनसंख्या समाधान फाउंडेशन’ में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होने के नाते जनसंख्या नियंत्रण पर हम अभी कार्य कर रहे हैं। ‘नशा-मुक्ति अभियान’ कि मैं जम्मू-कश्मीर में रिसोर्स पर्सन हूँ। मैंने अनेक स्कूलों, कॉलेजों और संस्थाओं जैसे बाल-आश्रम में भी ऐसी कई कार्य किए हैं। मैंने पुलिस प्रशासन और अस्पताल के डॉक्टरों की सहायता से कई युवाओं को अनेक प्रकार के नशे छुड़ाने के लिए अभियान चलाए और उन्हें जागरुक किया व उनकी काउंसलिंग करवाई, जिसके कारण हमारे इलाके में बहुत फर्क आया।
‘भारत-तिब्बत सहयोग मंच’ जो कि एक संघ के द्वारा चलाया गया संगठन है, उसमें मैं जम्मू-कश्मीर की महिला अध्यक्ष हूँ। जिसमें हमने अनेक कार्य किए। इसके अंतर्गत दलाई लामा जी और संग के वरिष्ठ प्रचारक डॉ इंद्रेश कुमार जी के द्वारा तवांग यात्रा भी हर साल करवाई जाती है और कैलाश मानसरोवर मुक्ति हेतु हम कार्य कर रहे हैं।
एकल विद्यालय की ज़ोनल हेड और महिला अध्यक्ष होने के नाते गांव-गांव में हमने लोगों को जागरूक किया। जो बच्चे विद्यालय तक नहीं पहुँच सकते थे, एकल विद्यालय के माध्यम से हमने वह विद्यालय बच्चों तक गांव-गांव में पहुँचाया, ताकि बच्चे पढ़ सकें। इसके अंतर्गत बच्चों को सिलाई-कढ़ाई-बुनाई और अनेक कोर्स निशुल्क करवाए जाते हैं व बच्चों को संस्कार भी सिखाते हैं।
हम लोगों को जैविक खेती से भी अवगत करा रहे हैं, जिससे वह अपना पालन पोषण अच्छे ढंग से कर सके और गांव को शहर से जोड़ने का प्रयास भी हम करते हैं।
मैं आशा करती हूं मेरे किए हुए कार्य समाज में परिवर्तन लाएंगे और समाज को अच्छी राह पर चलने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। मैं आपको यह विश्वास दिलाती हूँ कि मैं अपना कार्य आगे भी पूरी मेहनत और श्रद्धा के साथ समाज की सेवा में करती रहूं

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