राजस्थान, गांव और पानी
सरिता आचार्य
बीकानेर, राजस्थान
भारत जैसे विशाल भूभाग पर भिन्न भिन्न जलवायु और भौगोलिक परिस्थिति देखने को मिलती है. मेघालय स्थित मासिनराम और चेरापूंजी जहां सबसे अधिक वर्षा वाले स्थान के रूप में दर्ज है, तो वहीं राजस्थान का जैसलमेर सबसे अधिक सूखा वाला स्थान माना जाता है. जहां देश के अन्य सभी ज़िलों की अपेक्षा न्यूनतम वर्षा दर्ज की जाती है. यही कारण है कि राजस्थान में पानी की समस्या का होना एक आम उदाहरण है. रेगिस्तानी राज्य होने के कारण आज भी यहां के बहुत से गांव पानी को तरस रहे हैं. हालांकि स्थानीय लोगों की समस्या के समाधान के लिए राजा महाराजाओं ने भी काफी प्रयास किया था. इसके तहत बावड़ी, कुंए और तालाब का निर्माण कराया गया. लेकिन इससे पूरी तरह से समस्या का हल नहीं हुआ. यदि लोगों को पीने का पानी मिलने लगा तो सिंचाई की समस्या बनी रही.

इस संबंध में गांव के निवासी 40 वर्षीय विनोद का कहना है कि ‘हमारे बुज़ुर्ग बताते थे कि इस गांव में पहले पानी की पर्याप्त व्यवस्था थी. पानी इतना उपलब्ध हो जाता था कि लोग अगली वर्षा तक अपनी सभी ज़रूरतें पूरी कर लिया करते थे. लेकिन अभी कोई व्यवस्था नहीं है. पहले के लोग पानी को इकट्ठा करना जानते थे. आज से कई साल पहले एक कुंई का निर्माण करवाया गया था. उस वक़्त इस गांव जनसंख्या इतनी नहीं थी. बारिश का जो पानी इकट्ठा होता था इससे इनका एक साल निकल जाता था और पशुओं के लिए भी वह उपयोग में लाया जाता था.’ उन्होंने बताया कि इस गांव में पहले निवासियों के साथ साथ पशुओं के लिए भी पानी की उचित व्यवस्था होती थी. लेकिन जैसे जैसे गांव की जनसंख्या बढ़ने लगी तो उनकी देखरेख भी बंद होने लग गई. जिससे लोगों और पशुओं को पानी की किल्लत से जूझना पड़ रहा है.

वर्तमान में, राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र 18 प्रतिशत ही पाइप से पानी की आपूर्ति की जाती है. जिसे जल जीवन मिशन के तहत शत प्रतिशत घरों तक पहुंचाने का लक्ष्य है. 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से जल जीवन मिशन की घोषणा की थी. इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों मिलकर काम कर रहे हैं. घरों तक नल के माध्यम से जल पहुंचाने की इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर 3.60 लाख करोड़ रुपए लागत आने का अनुमान है, जिसमें केंद्र सरकार 2.08 करोड़ रुपए का अंशदान दे रही है. जल जीवन मिशन के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट में 11500 करोड़ आवंटित किए गए हैं लेकिन सरकार द्वारा इतने परियोजनाओं व जल जीवन मिशन जैसे योजनाओं के बाद भी गांव में पानी का संकट दूर होता नजर नहीं आ रहा है. ऐसे में इसके लिए हर पहलू और हर स्तर पर जल्द से जल्द कार्रवाई की आवश्यकता है. (चरखा फीचर)