राजनीतिक संरक्षण में अरबों रुपए का राशन घोटाला

-सनत जैन-

मध्यप्रदेश के खाद्य विभाग ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा प्रधानमंत्री मुफ्त राशन योजना के खाद्यान वितरण में भारी गड़बड़ी को पकड़ा है। अकेले मध्यप्रदेश में अरबों रुपए का घोटाला हुआ है। इस घोटाले और भ्रष्टाचार में पीएसओ मशीनों में गड़बड़ी करके अधिकारियों की मिली भगत से राशन दुकानदारों द्वारा घोटाला किया है। राशन वितरण में प्रत्येक राज्य में इसी तरह घोटाले की शिकायतें आम है। राशन वितरकों द्वारा मशीनों में गड़बड़ी करके, हितग्राहियों को कम मात्रा में अनाज दिया गया है। हजारों लोगों को राशन नहीं देने के बाद भी उनका राशन सरकारी दस्तावेजों में बांट दिया गया। सार्वजनिक वितरण प्रणाली का राशन बड़े पैमाने पर खुले बाजार में महंगे दामों पर बेचा जा रहा है। इसमें हर माह करोड़ों रुपए का घोटाला हर जिले में हो रहा है। राशन दुकानों का आवंटन राजनीतिक आधार पर पार्टी कार्यकर्ताओं को करने के कारण, इस पर रोक लगा पाना अधिकारियों के लिए भी संभव नहीं है। राशन माफिया राजनैतिक एवं अधिकारियों के संरक्षण में फल-फूल रहा है। राजधानी भोपाल की 76 राशन दुकानों की जांच में 39 राशन दुकानों की मशीनों एवं राशन वितरण में गड़बड़ी पाई गई है। खाद्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार लगभग 50 फ़ीसदी मामलों में राशन वितरण में भारी गड़बड़ी पाई गई है।

गड़बड़ी करने वाले अधिकारी पदोन्नत

जिन अधिकारियों के कार्यकाल में यह अरबों रुपए का घोटाला हुआ है। वह सभी पदोन्नत होकर महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हुए हैं। अकेले भोपाल में पिछले 6 साल से नियंत्रक के पद पर पदस्थ ज्योति शाह नरवरिया प्रमोशन पाकर डायरेक्टर बन गई हैं। इसके अलावा अन्य अधिकारी भी हैं। जिनका भोपाल से बाहर ट्रांसफर करके महत्वपूर्ण पदों पर इनकी तैनाती की गई है। जब मामले ने तूल पकड़ा तो राशन विक्रेताओं के ऊपर कार्यवाही शुरू कर दी। खाद्य विभाग एवं सरकार ने जांच केवल राशन दुकानों तक सीमित करके अरबों रुपयों के घोटाले को दबाने की काम किया जा रहा है। इसमें बड़े अधिकारी एवं राजनेताओं के संरक्षण में जो अरबों रुपयों प्रतिमाह के घोटाले हो रहे हैं। उनको रोक पाना संभव नहीं है।

राजनीतिक संरक्षण में राशन माफिया

राशन वितरण के कार्य में जिन लोगों को राशन पहुंचाने और बांटने की जिम्मेदारी दी गई है। उनको राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है। कम दाम में और फ्री में राशन आवंटित किया जाता है। इसमें अधिकारियों की मिलीभगत से यह घोटाले हर माह बड़े पैमाने पर हो रहे हैं। राशन दुकानों की जांच नहीं होती है। राशन दुकानदार पूरी मात्रा में हितग्राहियों को राशन नहीं देते हैं। पीएसओ मशीन और पोर्टल में तकनीकी गड़बड़ी करके अरबों रुपए प्रतिमाह का घोटाला बेखौफ हर राज्य में हो रहा है। जब कोई मामला तूल पकड़ लेता है, तो जांच के नाम पर उसको दबाने के लिए हर स्तर पर प्रयास शुरू हो जाते हैं। सरकार योजनाएं अच्छी बनाती हैं, लेकिन इन योजनाओं का क्रियान्वयन सबसे खराब होता है। जिनके जुम्मे क्रियान्वयन की जिम्मेदारी होती है।

वहीं घपले और घोटाले के लिए जिम्मेदार होते हैं। यही कारण है कि भारत में 80 करोण लोगों को फ्री में अनाज दिए जाने के बाद भी लोग भुखमरी और कुपोषण के शिकार हैं। भारत में सरकारी योजनाओं में कागज पर योजनाओं का संचालन होता है। उपर से भ्रष्टाचार एवं घपलों की रुपरेखा तैयार होती है। अधिकारियों की बात से स्पष्ट होता है कि योजनाओं के क्रियान्वय में मंत्री और सचिव स्तर से भ्रष्टाचार शुरु हो जाता है। राशन माफिया भी शासन स्तर के संरक्षण से फलता-फूलता है। इस गठजोड़ में शासन के मुख्य पदों पर बैठे मंत्री, अधिकारी ठेकेदार एवं राशन वितरक सभी शामिल है। चूंकि लाखों हितग्राहियों को राशन वितरित किया जाता है। शिकायतें आती हैं। जांच के नाम पर वर्षों लंबित रहती है। शिकायतें सही होने पर भी निचले स्तर पर कार्यवाही कर मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है।

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