बेटी तो इन स्वयंभू ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवादियों’ से बचाने की ज़रुरत

-निर्मल रानी-

 बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओकी मुहिम के झंडाबरदारों द्वारा उत्तरांचल की एक और बेटी अंकिता भंडारी की हत्या कर दी गयी। 19 वर्षीय अंकिता ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला थाना क्षेत्र और चीला के बीच स्थित वंतरा नामक एक रिज़ॉर्ट में बतौर रिसेप्शनिस्ट काम करती थी। इस रिज़ॉर्ट का स्वामित्व भाजपा नेता और पूर्व राज्यमंत्री विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य का बताया जा रहा है। आरोप है कि अंकिता की हत्या रिज़ॉर्ट संचालक पुलकित आर्य और रिज़ॉर्ट मैनेजर सौरभ और उसके एक अन्य सहयोगी रिज़ॉर्ट कर्मी ने कर उसकी लाश नहर में फेंक दी। हत्यारों पर आरोप है कि वे बार बार अंकिता भंडारी को अपने व अपने रिज़ॉर्ट के अतिथियों के साथ अनैतिक शारीरिक संबंधबनाने के लिए मजबूर कर रहे थे। वे उसे वेश्यावृत्ति में धकेलना चाहते थे। परन्तु जब अंकिता ने इस काम से इंकार किया और रिज़ॉर्ट में चलने वाले इस धंधे की पोल खोलने की धमकी दी तो उसकी हत्या कर उसका शव ऋषिकेश-हरिद्वार मार्ग पर चीला शक्ति नहर में फेंक दिया गया। अंकिता के शव को बाद में पावर हाउस के पास नहर से बरामद किया गया। पारिवारिक व अंकिता के सहपाठी सूत्रों के अनुसार अंकिता बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में काफ़ी तेज़ व चरित्रवान थी। 10वीं और 12वीं कक्षा में शानदार अंक हासिल करने के बाद उसने होटल मैनेजमेंट करने हेतु दाख़िला लिया था। अंकिता एक ग़रीब परिवार की लड़की होने के नाते अपना उज्जवल भविष्य बनाकर अपने परिवार का सहारा बनना चाहती थी। परन्तु वासना के दरिंदों और अनैतिक देह व्यापार की कमाई खाने के लालची सफ़ेद पोश स्वयंभू सांस्कृतिक राष्ट्रवादियों द्वारा उसकी हत्या कर दी गई।”

 अंकिता की हत्या के बाद कई चौंकाने वाले तथ्यों का ख़ुलासा हो रहा है जिनसे साफ़ पता चलता है कि आम भारतीय ग़रीब परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाली अंकिता कितनी होनहार, चरित्रवान, पारिवारिक ज़िम्मेदारियों को निभाने का जज़्बा रखने वाली तथा ग़रीबी में पालन पोषण होने के बावजूद अपने उज्जवल भविष्य का सपना देखने वाली सुशील युवती थी जबकि उसके हत्यारे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखाओं में संस्कारित, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की कथित तौर पर घुट्टी पीने वाले तथा उत्तराखंड सरकार में पूर्व मंत्री रहे व सत्ता में ऊँचे रसूख़ रखने वाले नेता का पुत्र जोकि स्वयं भाजपा नेता होने के बावजूद ऋषिकेश जैसी पवित्र व धार्मिक नगरी में हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र मानी जाने वाली गंगा नदी के पावन तट पर एक ऐसा रिज़ॉर्ट चलाता था जहां आम ग्राहकों से लेकर विशिष्ट अतिथियों तक को शारीरिक संबंध बनाने के लिये लड़कियां परोसी जाती थीं। गोया धर्म और संस्कृति की दुहाई देने वाले लोग गंगानगरी में भी जबरन चलाई जाने वाली वैश्यावृति की कमाई खाने जैसे अनैतिक, अमानवीय व ग़ैर क़ानूनी धंधे में संलिप्त थे। बहरहाल अंकिता की हत्या में पुलकित आर्य की संलिप्तता के बाद भाजपा नेता व पूर्व राज्यमंत्री विनोद आर्य व उनके बेटे पुलकित आर्य को भाजपा ने पार्टी से निष्कासित कर पार्टी को बदनामी से बचाने का वैसा ही प्रयास किया है जैसा कि पार्टी पहले भी करती रही है।

 

परन्तु पूर्व राज्यमंत्री विनोद आर्य की ढिटाई की भी तारीफ़ करनी पड़ेगी कि उन्होंने पार्टी के निष्कासन की बात से इंकार किया है और इस दुर्भायपूर्ण घटना में भी अपना राजनैतिक लाभ तलाशते हुए यह बयान दिया है कि पार्टी ने उन्हें निष्कासित नहीं किया है बल्कि उन्होंने स्वयं इसलिये त्यागपत्र दिया है ताकि इस घटना की जांच निष्पक्ष रूप से हो सके। निष्पक्ष जांच का ढोंग करने वाले इसी संस्कारीपूर्व मंत्री पर उत्तरकाशी के कई पत्रकारों ने आरोप लगाया है कि अंकिता के हत्यारे का पिता व पूर्व राज्यमंत्री विनोद आर्य कथित तौर पर उन पत्रकारों को फ़ोन पर धमका रहा है जिन्होंने इस ख़बर को उजागर किया और प्रमुखता से इसे रोज़ प्रकाशित कर रहे हैं । उत्तराखंड के कई पत्रकार संघों ने इस सम्बन्ध में राज्यपाल को ज्ञापन भी भेजा है। ज्ञापन में पत्रकार संघों ने धमकी देने वाले पर कड़ी क़ानूनी कार्रवाई व अपनी सुरक्षा की मांग की है। इस लोमहर्षक हत्याकाण्ड से विशेषकर उत्तराखंड सहित पूरे देश की जनता में भारी रोष व्याप्त है। कुछ प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय बीजेपी विधायक रेणु बिष्ट की गाड़ी पर भी हमला किया। देश के अनेक नगरों से अंकिता के समर्थन तथा हत्यारों के विरोध में रोषपूर्ण प्रदर्शन की ख़बरें आ रही हैं।

 

ग़ौर तलब है कि इन रोष प्रदर्शनों में नारी सम्मान के वह स्वयंभू रक्षक शामिल नहीं हैं जो झारखण्ड में कुछ दिनों पूर्व अंकिता नाम की ही एक अन्य लड़की की जघन्य हत्या के विरोध में सिर्फ़ इसलिये पहुंच जाते हैं क्योंकि हत्यारा धर्म विशेष से संबंधित था। और ऐसी जगहों पर पहुंच कर अपने आक्रामक भाषण देकर साम्प्रदायिकता का ज़हर घोलना ही इनका मुख्य मक़सद है। आज अंकिता भंडारी की सिर्फ़ इसलिये हत्या कर दी गयी कि जिस्म फ़रोशी की कमाई खाने वालों की ग़लत बात मानने से एक ग़रीब चरित्रवान लड़की ने इंकार कर दिया ? आज बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारा बरदारमंत्री व नेता विशेषकर महिला मंत्री न जाने कहाँ अपना मुंह छुपाये बैठे हैं ? इस घटना में और भी कई तथ्यों पर से अभी पर्दा उठना बाक़ी है। जैसे कि किस विशिष्ट व्यक्ति का बिस्तर गर्म करने के लिये अंकिता को दस हज़ार रूपये की पेशकश की गयी थी ?और यह भी कि बिना जांच पड़ताल पूरी किये उस रिज़ॉर्ट को ज़मींदोज़ किये जाने का मक़सद कहीं रिज़ॉर्ट के काले करतूतों के सुबूत नष्ट करना तो नहीं था?

 

सलाम है उस अंकिता पर जिसने अपनी एक मित्र को भेजे गये व्हाट्सएप संदेश में यह लिखा कि “मैं ग़रीब हो सकती हूं, लेकिन मैं ख़ुद को 10, 000 रुपये में नहीं बेचूंगी।” और धिक्कार है ऐसे सफ़ेद पोश ढोंगियों पर जो धर्म, देश, संस्कृति और नारी सम्मान की झूठी व ढोंगपूर्ण बातें तो बड़े ही ज़ोर शोर से करते हैं परन्तु स्वयं वैश्यावृति जैसे काले धंधों में संलिप्त होकर इसी की कमाई खाते हैं? और अगर बलात्कार की शिकार लड़की किसी दूसरे धर्म की है तो इन बेशर्मों को हत्यारों व बलात्कारियों के समर्थन में खड़े होने में भी शर्म नहीं आती।बिल्क़ीस बानो व आसिफ़ा जैसे कई उदाहरण देखे जा सकते हैं। अंकिता हत्याकाण्ड से एक बार फिर यही सबक़ मिलता है कि बेटी बचाओ के इनके झांसे में आने की नहीं बल्कि बेटी तो इन स्वयंभू सांस्कृतिक राष्ट्रवादियों से ही बचाने की ज़रुरत है।

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