भारत की प्रशंसक

-सिद्धार्थ शंकर-

महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का 96 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने 70 वर्षों तक शासन किया और ब्रिटिश इतिहास में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली महारानी थीं। बकिंघम पैलेस ने 10 दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा करते हुए एक बयान में उनके निधन की घोषणा की। एलिजाबेथ द्वितीय पिछले अक्टूबर से काफी बीमार थीं। उन्हें चलने और खड़े होने में कठिनाई हो रही थी। उन्होंने हाल की अपनी यात्राओं में भी काफी कटौती की थी। उनके चार बच्चों में सबसे बड़े चाल्र्स, प्रिंस ऑफ वेल्स उनके निधन के बाद राजा बनेंगे। औपनिवेशिक शासन से भारत की आजादी के बाद 1952 में ब्रिटिश सिंहासन पर काबिज होने वाली पहली ब्रितानी शासक महारानी एलिजाबेथ द्वितीय भारत की सामाजिक एवं सांस्कृतिक समृद्धि एवं विविधता की प्रशंसक थीं।

महारानी ने अपने 70 साल लंबे शासनकाल में तीन बार-1961, 1983 और 1997 में भारत की यात्रा की थी। इस दौरान महारानी ने देश में मिली गर्मजोशी और आतिथ्य की खूब तारीफ भी की थी। उन्होंने अपने एक संबोधन में कहा था, भारतीयों की गर्मजोशी और आतिथ्य-सत्कार के अलावा भारत की समृद्धि और विविधता हम सभी के लिए एक प्रेरणा रही है। 1961 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और उनके दिवंगत पति प्रिंस फिलिप ने मुंबई, चेन्नई और कोलकाता का दौरा किया था। उन्होंने आगरा पहुंचकर ताज महल का दीदार करने के साथ ही दिल्ली में राष्ट्रपिता के स्मारक राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि भी अर्पित की थी। एलिजाबेथ और फिलिप तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के निमंत्रण पर भारत की गणतंत्र दिवस परेड में सम्मानित अतिथि थे। महारानी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में हजारों लोगों की भीड़ को संबोधित भी किया था। महारानी ने 1983 में राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक (चोगम) में हिस्सा लेने के लिए भारत की यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने मदर टेरेसा को ऑर्डर ऑफ द मेरिट की मानद उपाधि से नवाजा था। भारत की उनकी अंतिम यात्रा देश की आजादी की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में हुई थी। इस दौरान उन्होंने पहली बार औपनिवेशिक इतिहास के ‘कठोर दौरÓ का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था, यह कोई रहस्य नहीं है कि हमारे अतीत में कुछ कठोर घटनाएं हुई हैं। जलियांवाला बाग एक दुखद उदाहरण है। महारानी और उनके पति ने बाद में 1919 में नरसंहार के गवाह बने अमृतसर के जलियांवाला बाग का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की थी। महारानी के निधन के बाद उनके बेटे प्रिंस चाल्र्स को महाराजा बनाया गया है। महारानी के निधन के बाद ब्रिटेन में काफी कुछ बदलाव आएंगे। ब्रिटेन के राष्ट्रगान के बोल संविधान में संशोधन के बाद बदल दिए जाएंगे। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की मौत के साथ ही राष्ट्रगान में अब गॉड सेव द क्वीन की जगह गॉड सेव द किंग में बदला जाएगा। गॉड सेव द किंग वास्तव में ऑरिजिनल यूनाइटेड किंगडम का नेशनल एंथम है। यह 1745 में लिखा गया था और रॉयल फैमिली की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार 19वीं शताब्दी की शुरुआत में इसका इस्तेमाल यूके के राष्ट्रगान के रूप में जाना जाने लगा। इसके साथ ही ब्रिटेन में नई करेंसी छापी जाएगी। अभी तक नोटों पर रानी का फोटो छापा जाता था लेकिन अब उनके निधन के बाद ब्रिटेन के नए राजा किंग चाल्र्स की तस्वीर छापी जाएगी। इसके साथ ही आदेशों के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले पुराने स्टैंप भी नए बनेंगे और सुरक्षा बलों के प्रतीक चिन्ह में भी अब रानी की जगह किंग होंगे। एलिजाबेथ के शासन के दौरान यूनाइटेड किंगडम में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए, जैसे अफ्रीका की ब्रिटिश उपनिवेशीकरण से स्वतंत्रता, यूके की संसद की शक्तियों का वेल्स, स्कॉटलैंड, इंग्लैंड व आयरलैंड की संसदों में विभाजन इत्यादि। अपने शासनकाल के दौरान उन्होंने विभिन्न युद्धों के दौरान अपने राज्य का नेतृत्व किया।

Leave A Reply

Your email address will not be published.