भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस हो सकती मजबूत!

-डॉ. भरत मिश्र प्राची-

देश में जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव की तिथि नजदीक आती जा रही है, वैसे – वैसे देश की राजनीतिक गतिविधयां सक्रिय होती नजर आ रही है। सत्ता पक्ष फिर से केन्द्र की सत्ता पर अपना कब्जा बनाये रखने की दिशा में जहां विपक्ष को कमजोर करनेकी राजनीतिक चाल चल रहा है वहीं विपक्ष लोकसभा चुनाव में सत्ता पक्ष को बेदखल करने की दिशा में एक होने की दिशा में सक्रिय हो चला है। इस दिशा में भाजपा से अपना राजनीतिक संबंध तोड़े बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार देशभर में विपक्ष को एक मंच पर लाने के प्रयास में यात्रा पर निकल चुके है। दिन पर दिन कमजोर एवं टूटती जा रही कांग्रेस अपने को मजबूत बनाने की दिशा में भारत जोड़ों यात्रा मिशन पर निकल पड़ी है। उसे विश्वास है कि इस यात्रा से पार्टी को मजबूत करने एवं आने वाले लोकसभा चुनाव में सत्ता पक्ष से टकराने की ताकत मिलेगी।

भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से कांग्रेस देश के कोने -कोने में जा कर के बेहतर ढंग से जनसंपर्क कर देश की ज्वलंत समस्याओं एवं उसे दूर करने की काग्रेस की भावी रणनीति से आमजन को अवगत करा सकेगी। आज ऐसे समय में जहां लोकसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस से कई पुराने दिग्गज नेता अपना संबंध तोड़ कर अलग होते जा रहे है, इस यात्रा से कांग्रेस की एकता को बल मिलेगा।

एक समय ऐसा था कि कांग्रेस देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी हुआ करती तब विपक्ष नहीं के बराबर था। आज की सर्वोपरि राजनीतिक पार्टी केन्द्र की सत्ता पर विराजमान भाजपा पूर्व में जनसंघ नाम से संचालित थी। जो आपातकाल के बाद कांग्रेस के विरूद्ध में बनी विपक्षी एकता जनता पार्टी में विलय हो गई एवं जनता पार्टी टूटने के उपरान्त भाजपा नाम से अवतरित हुई जिसे लोकसभा चुनाव में कभी मात्र 2 सीट ही देशभर में मिल पाई थी। आज वहीं भाजपा अपने बल पर केन्द्र की सत्ता पर दो दशक से विराजमान होने जा रही है। साथ ही देश के कई राज्यों में अपना राज्य स्थापित करने में सफल होती नजर आ रही है।

ऐसे बदलते परिवेश में कांग्रेस के बदलते इतिहास की ओर एक नजर डाले जहां गांधी परिवार के प्रभुत्व की छाया मड़रा रही है, जिसके चलते इस पार्टी पर परिवारवाद का आरोप भी लग रहा है। यह सच्चाई भी है कि कांग्रेस पर गांधी परिवार का सर्वाधिक एकाधिकार शासन रहा और आज भी विराजमान है पर कांग्रेस के साथ एक और सच्चाई है कि जब – जब काग्रेस गांधी परिवार से अलग हुई, बिखरती गई। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर कांग्रेस टूटने के आरोप लगते रहे है पर कांग्रेस के टूटने एवं कमजोर होने के पीछे देश की बदलती राजनीति है, जो कभी कांग्रेस के पराम्परागत वोट बैंक हुआ करते वे कांग्रेस से अलग होकर दलगत राजनति में समा गये है। आज देश भर में फैली क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के वोट बैंक कभी कांग्रेस के पास हुआ करते। ऐसी स्थिति में कांग्रेस को कमजोर तो होना ही था। फिर भी कांग्रेस एक ऐसे गांधी परिवार नेतृत्व के तले केन्द्र की सत्ता पर एक दशक आसीन रही जिसपर विदेशी होने के आरोप भी विपक्ष की ओर से खुब लगे तब यहीं भाजपा वाम दलों को छोड़ देश के अन्य विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ मिलकर कांग्रेस का विरोध करती रही। आज कांग्रेस विपक्षी दलों के साथ मिलकर भाजपा का विरोध कर रही है। इस बदलती राजनीतिक ध्रुवीकरण पर विराजमान है केन्द्र की सत्ता जहां कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से एक बार फिर से पहुंचने का प्रयास कर रही है।

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