भारत की आर्थिक वृद्धि 2022-23 की पहली तिमाही में रही 13.5 प्रतिशत

नयी दिल्ली, 31 अगस्त,  आर्थिक गतिविधियों में सुधार के बीच देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 13.5 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया। पिछले वित्त वर्ष 2021-22 की इसी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 20.1 प्रतिशत थी। पिछले वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में कोविड महामारी की दूसरी लहर ने आर्थिक गतिविधियों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया था।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है, “ अनुमान है कि वर्ष 2011-12 कीमतों पर आधारित वास्तविक जीडीपी 2022-23 की पहली तिमाही में 36.85 लाख करोड़ रुपये के स्तर को प्राप्त कर लिया है जो 2021-22 की पहली तिमाही में 32.46 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 13.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। 2021-22 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 20.1 प्रतिशत थी। ”

वर्ष 2022-23 की पहली में वर्तमान कीमतों पर जीडीपी 64.95 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जबकि 2021-22 में की पहली तिमाही में चालू कीमत पर जीडीपी 51.27 लाख करोड़ रुपये था। इस तरह यह वर्तमान कीमतों पर जीडीपी में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 26.7 प्रतिशत की वृद्धि रही। 2021-22 में चालू कीमत पर जीडीपी में 32.4 प्रतिशत की वद्धि दर्ज की गयी थी।

एनएसओ के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में कृषि क्षेत्र में सालाना आधार पर 4.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि इसी अवधि के दौरान विनिर्माण क्षेत्र में 4.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इस अवधि के दौरान खनन क्षेत्र में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई। श्रम प्रधान क्षेत्रों में माने जाने वाले निर्माण क्षेत्र में जून तिमाही में सालाना आधार पर 16.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

प्रमुख देशों की कमजोर मांग ने हाल के कुछ महीनों में देश के निर्यात को प्रभावित किया है जबकि मासिक जीएसटी संग्रह, ऑटो बिक्री, बिजली की खपत और हवाई यातायात वृद्धि जैसे जल्दी-जल्दी आने वाले आंकड़े घरेलू मांग में मजबूत बनी रहने का संकेत दे रहे हैं।

बीआर अंबेडकर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के कुलपति एन आर भानुमूर्ति ने इन आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए कहा,

“ पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि 13-15 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान था। कुछ ने इसे 17 प्रतिशत तक रहने का अनुमान लगाया। इस तरह यह सामान्य अनुमान के निचले दायरे में ही रही। इसका मुख्य कारण बाहरी झटके (यूक्रेन युद्ध और वैश्विक जिंस बाजार में तेजी तथा आपूर्ति श्रृंखला में अड़चनों) हैं।

नाइट फ्रैंक इंडिया के अनुसंधान निदेशक विवेक राठी ने कहा, “ यद्यपि घरेलू आर्थिक गतिविधियां मजबूत रहीं, पर वैश्विक बाजार में जिंसों की कीमत में उछाल तथा रुपये की विनिमय दर में गिरावट से आयात प्रभावित मुद्रास्फीति बढ़ी और आयात लागत भी ऊंची हुई है। इसका असर पहली तिमाही में आर्थिक गतिविधियों पर पड़ा और मार्च 2022 से सरकारी खर्च और निजी खर्च में क्रमश: 2.4 प्रतिशत और 10.4 प्रतिशत का संकुचन हुआ है। ”

श्री राठी ने इस बात का भी उल्लेख किया कि जनवरी-मार्च 2022 की तिमाही की तुलना में अर्थव्यवस्था में 9.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी। उनका अनुमान है कि आने वाले महीनों में मुख्यत: वैश्विक मांग में गिरावट के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था की चुनौतियां और बढ़ेंगी।

एमकी ग्लोबल की अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा,“ पहली तिमाही की जीडीपी वृद्धि दर हमारे अनुमानों के अनुसार ही रही है। आने वाले महीनों में तुलनात्मक आधार का प्रभाव कम होने से जीडीपी की वद्धि के आंकड़ों में निरंतर कमी दिखेगी। ”

जीडीपी के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) में 25.9 प्रतिशत की स्वस्थ वृद्धि दर्ज की गयी। इस दौरान निवेश गतिविधियों का एक संकेत देने वाले सकल अचल पूंजी निर्माण (जीएफसीएफ) में सालाना आधार पर 20.2 प्रतिशत का विस्तार हुआ। निर्यात में साल-दर-साल 14.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि सरकारी अंतिम उपभोग व्यय (जीएफसीई) में वृद्धि मंद पड़कर मात्र 1.3 प्रतिशत रह गयी। जुलाई-सितंबर, 2022 तिमाही के लिए तिमाही जीडीपी के अनुमान 30 नवंबर, 2022 को जारी किए जाएंगे।

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