अडाणी एग्री फ्रेश ने दो दिन में खरीदे 2000 टन सेब

शिमला 17 अगस्त,  हिमाचल प्रदेश में सेब खरीदने वाली निजी कंपनियों के खिलाफ फैलाई जा रही अफवाहों और खराब मौसम के बावजूद अडाणी एग्री फ्रेश ने दो दिनों में 2000 टन सेब खरीदें हैं। कंपनी ने खरीद केन्द्र के बाहर किसानों की लम्बी कतारों को देखते हुए उन्हें हर प्रकार की सुविधा मुहैया कराने की तैयारी शुरू कर दी है। उल्लेखनीय है की अडाणी एग्री फ्रेश ने 15 अगस्त से सेब खरीदने का वार्षिक कार्यक्रम शुरू किया है और पिछले साल के मुकाबले में इस साल चार रूपए ज्यादा पर खरीदी सीजन की शुरुआत की गयी है। ये कीमतें मंडियों द्वारा तय किये गए मूल्य से ज्यादा होने के साथ ही कई तरह की अतिरिक्त सुविधाओं की वजह से सेब किसानों के बीच निजी कंपनियों की लोकप्रियता भी बढ़ी है।

गोपाल ठाकुर की रामपुर में ही सेब की बाग़वानी है और पिछले दो दिनों में 200 किलो सेब अडाणी एग्री फ्रेश को बेच चुके हैं। बुधवार को मौसम खराब होने के बाद भी कंपनी के तीन खरीद केन्द्रों रामपुर, रोहरु और सैंज में किसानों की लम्बी कतार देखी गयी। व्यवस्था बनाये रखने और सुचारु रूप से सेब खरीदने की प्रक्रिया को चलाने के लिए कंपनी ने कुछ अतिरिक्त इंतज़ाम भी किये हैं ताकि अपनी बारी का इंतज़ार करते हुए किसानों को खुले में ना रहना पड़े।

कंपनी के रामपुर स्थित खरीद केन्द्र के बाहर सेब किसान गोपाल ठाकुर ने बताया कि वह पिछले करीब 15 साल से अडाणी एग्री फ्रेश को ही अपने सेब बेचते आये हैं। यहाँ कीमत तो अच्छी मिलती ही है, साथ में क्रेट इत्यादि की सुविधा भी दी जाती है। साल-दर-साल के सम्बन्ध के चलते हमारी सेब की पैदावार भी अच्छी होनी लगी है और हमारी आमदनी में भी इज़ाफ़ा होता रहा है।

कंपनी के एक अधिकारी ने कहा कि इनमें से कई किसानों से उनका वर्षों पुराना सम्बन्ध है। हर साल हज़ारों की संख्या में नए बाग़वान उनकी कंपनी से जुड़ते रहते हैं। यहाँ बड़े या छोटे बागवानों में कोई भेद नहीं किया जाता है और सबको उचित मूल्य दिया जाता है। सेंटरों में खरीदी की दौरान किसानों के रुकने इत्यादि की व्यवस्था भी होती है हर काम को सुचारु रूप से किया जाता है।

सैंज केन्द्र पर अपने सेब को बेचने आये स्थानीय बागवान नरवीर सिंह ठाकुर ने कंपनी द्वारा तय किये गए मूल्यों की सराहना करते हुये कहा कि इस साल उनकी बम्पर पैदवार हुई है तो इस मूल्य के आधार पर उनकी कुल आमदनी पहले से अच्छी ही होगी। सरकार द्वारा मूल्य तय करने के लिए कुछ बातें हुई थी लेकिन अभी तक उनका कोई परिणाम नहीं निकला है। इस साल उनकी फसल जल्दी तैयार हो गयी थी इसलिए वह इंतज़ार कर पाने की स्थिति में नहीं है।

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