रिश्ता राखी का

अनुराग उपाध्याय

बाजारों में दुकानें लग चुकी थीं, रंग -बिरंगी प्यारी – प्यारी अच्छी – अच्छी , सुंदर – सुंदर  मनमोहक राखियों ने बाजार की सुंदरता बहुत अधिक बढ़ा दी थी।  सभी बहने भाई अपनी अपनी बहन एवम भाई के लिए राखियां मिठाइयां तोहफे  खरीद रहे थे। प्रतिमा भी अपने भाई राहुल के लिए  एक ऐसी रखी की तलाश कर रही थी ,जो उसके भाई की कलाई की सुंदरता पर चार चांद लगा दे। काफी देर बाद उसे अपने भाई के लिए रखी मिल गई, रखी लेने के बाद प्रतिमा ने अपने भाई की मन पसंद मिठाई और गिफ्ट खरीदे  ।
फिर वह मंदिर में जाकर अपने भाई की सुरक्षा एवम उन्नति की प्रार्थना करने लगी , फिर वह अपने घर की ओर चल दी।
       घर पहुंचकर प्रतिमा  सामान टेबल पर रखकर पास रखे हुए सोफे पर जाकर बैठ गई। तभी उसकी मां की आवाज़ आई – ‘प्रतिमा चल खाना बना दिया है, आजा खाना खा लेते हैं’। लेकिन प्रतिमा का कोई जवाब ना पाकर मां बाहर आती है, और प्रतिमा को उदास बैठा देखकर पूछती है – क्या हुआ प्रतिमा? प्रतिमा कहती है – मां भैया पिछली राखी पर भी नहीं आए थे। इस बार आ तो जायेंगे न। क्या मेरी राखी इस बार भी …..।  मां ने कहा – बेटा , राहुल देश की रक्षा कर रहा है , वह आर्मी में है , तेरी जैसी न जाने कितनी बहनों के भाई सीमा पर तैनात हैं, अगर उन सब बहनों के भाई  राखी पर आ जायेंगे तो देश की4 सुरक्षा संकट में आ जायेगी । तू भगवान से प्रार्थना कर की इस बार राहुल को छुट्टी मिल जाए।
रक्षाबंधन का दिन था, प्रतिमा ने पूजा की थाली सजा ली थी। मां के साथ मिलकर उसने अपने भईया किए मिठाई , पकवान बनवा लिए थे।
सारी तैयारियां हो चुकी थीं। प्रतिमा अपने भाई का इंतजार कर रही थी, वह दरवाजे की तरफ ही देख रही थी।
समय निकलता जा रहा था। लेकिन राहुल की कोई खबर नहीं थी, प्रतिमा लौट ही रही थी ,की उसे जूतों की तेज आवाज आती है।वह पलट कर देखती है, एक व्यक्ति आर्मी की ड्रेस पहनकर तेजी से उसके घर के बाहर से निकल रहा है। प्रतिमा उसे आवाज लगाते हुए उसकी ओर दौड़ती है।
प्रतिमा पूछती है आप कौन हैं? वह व्यक्ति बोलता है – मैं आर्मी का जवान हूं ,सीमा पर जंग शुरू हो गई है, इसलिए मैं सीमा पर जा रहा हूं। तुम कौन हो? प्रतिमा कहती है – मेरा नाम प्रतिमा है,मेरा भाई भी आर्मी में जवान है ,आज। राखी है, पर वो… आप भी तो मेरे भाई जैसे हैं, इसलिए मैं आपको राखी बांधना चाहती हूं। वह व्यक्ती बोला – मेरी कोई बहन नहीं है , तुम मुझे राखी बांध सकती हो, प्रतिमा राखी बांध देती है,वह व्यक्ती कहता है – तुम चिंता मत करो तुम्हारे सभी भाई विजय होकर ही आयेंगे। इतना कहकर वह व्यक्ती चल देता है, प्रतिमा उसे दूर तक देखती रह जाती है।
  कुछ दिनों बाद राहुल घर आता है, प्रतिमा और उसकी मां दोनो बाहर आते हैं , प्रतिमा आश्चर्यजनक रह जाती है, उसके भाई के साथ मैं वही व्यक्ति 4था ,जिसको उसने राखी बांधी थी। राहुल बताता है, की यहजांग में इसी व्यक्ती के साथ था, और इसने ही उसकी जान भी बचाई।
  प्रतिमा यह सुन कर उस व्यक्ति को धन्यवाद कहती है, कि उसने उसके भाई की जान बचाई, वह व्यक्ती कहता है, मैने तुम्हे राखी पर वादा किया था , की तुम्हारे सभी भाई विजय हो कर ही आयेंगे। तो यह तो होना ही था,एक भाई का वादा झूठा कैसे हो सकता था।
सभी ने एक साथ मिलकर ईश्वर को और पवित्र राखी को धन्यवाद किया, और बोला – सच में रखी का त्योहार केवल मिठाई और रेशम का धागा का ही नहीं है , बल्कि यह तो पवित्रता और विश्वास एवम भावना का त्योहार है।
 धागा रेशम का पवित्र और शक्तिशाली है उतना ही,
 जीतना ईश्वर के हाथों का स्पर्श होता है।
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