देशभर में पैक्स का होगा कम्प्यूटरीकरण, बनेंगे तीन लाख पैक्स

नयी दिल्ली, 29 जून,  देश में कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र के विकास और सहकारिता क्षेत्र में पारदर्शिता लाने के लिए 63 हजार प्राथमिक सहकारी साख समितियों (पैक्स) का कम्प्यूटरीकरण किया जायेगा तथा इसके लिए प्रत्येक समिति पर लगभग चार लाख रुपये खर्च किये जायेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय का निर्णय लिया गया। सहकारिता मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि पंचायत स्तर पर सहकारिता की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए देशभर में अगले पांच वर्ष में तीन लाख प्राथमिक सहकारी साख समितियों का गठन किया जायेगा। एक पैक्स के कम्प्यूटरीकरण पर कुल 3.91 लाख रुपये खर्च किये जायेंगे, इनमें केन्द्र सरकार का हिस्सा 75 प्रतिशत होगा जबकि शेष राशि राज्य और राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) उपलब्ध करायेंगे।

पैक्स के कार्य क्षेत्र में व्यापक विस्तार किया गया है और इसके लिए बैंक मित्र भी काम करेंगे। पैक्स के अधीन कोल्ड स्टोरेज, भंडारण गृह, लॉकर, सार्वजिनक वितरण प्रणाली की दुकानें, कॉमन सर्विस सेंटर, किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), दुग्ध एवं शहद उत्पादन और मत्स्य पालन, नल से जल, सिंचाई व्यवस्था और गोबर गैस से ऊर्जा उत्पादन भी होगा। पैक्स में अभी तक इन व्यवसायों का कोई प्रावधान नहीं है। देश भर में पैक्स के एक समान कामकाज के लिए राज्यों की सहमति से मॉडल बाईलाज बनाया जायेगा और पारदर्शी तरीके से व्यापार के संचालन के लिए एक साॅफ्टवेयर तैयार किया जायेगा।

सरकार बहुराज्यीय सहकारिता समिति के कामकाज में आमूल-चूल परिवर्तन करेगी। इसका मसौदा तैयार किया जा रहा है और इसे 15-20 दिनों के अंदर सार्वजनिक किया जायेगा। सरकार सहकारिता क्षेत्र के विकास के लिए नयी सहकारिता नीति भी लायेगी। जैविक खेती की पैदावार का विपणन और वितरण भी सहकारिता क्षेत्र करेगी। अमूल के माध्यम से लोगों को जल्द ही जैविक उत्पाद मिलने लगेंगे। सहकारिता से जुड़े सदस्यों को अब व्यापक प्रशिक्षण दिया जायेगा जिसमें इस क्षेत्र के अलावा व्यापार तथा आवश्यक अन्य जानकारी होगी। सूत्रों ने बताया कि सहकारिता क्षेत्र पूरी तरह से राज्यों के अधीन रहेगा। वर्ष 2022-23 के बजट में सहकारिता क्षेत्र के लिए 900 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। सहकारिता क्षेत्र में बनने वाले एक पैक्स में कम से कम पांच से 10 लोगों को नौकरी मिलती है।

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