सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई एक साल की सज़ा

नयी दिल्ली, 19 मई,  पूर्व भारतीय बल्लेबाज़ नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने एक साल की सज़ा सुनाई है। यह सज़ा उन्हें 1988 से जुड़े एक मामले में सुनाई गई है, जिसमें गुरनाम सिंह नामक एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट इस केस की समीक्षा कर रहा था। जस्टिस एएम खनविलकर और संजय किशन कौल की दो न्यायाधीशों की पीठ ने गुरुवार को इस फै़सले की घोषणा की, जो 2018 से अपने स्वयं के आदेश की समीक्षा कर रहे थे, जहां अदालत ने सिद्धू की सज़ा को तीन साल के कारावास से घटाकर 1000 रूपए जुर्माना कर दिया था।

अदालत ने शुक्रवार को कहा, ”हमने सज़ा के मुद्दे पर समीक्षा आवेदन की अनुमति दी है। जुर्माने के अलावा, हम प्रतिवादी 1 (सिद्धू) को एक साल के कारावास की सजा भी देते हैं।” यह घटना 27 दिसंबर 1988 को पंजाब के पटियाला में हुई थी। 65 वर्षीय गुरनाम नामक व्यक्ति को सिद्धू ने गाड़ी से बाहर निकाल शारीरीक रूप से प्रताड़ित किया था। जस्टिस कौल 2018 में जस्टिस चेलमेश्वर के साथ उस दो सदस्यीय न्यायिक पीठ का हिस्सा थे जिसने सिद्धू को गैर इरादतन हत्या से अपराधमुक्त कर दिया था। हालांकि कोर्ट ने सिद्धू को गुरनाम को स्वेच्छा से चोट पहुंचाने का दोषी माना था। अदालत ने तब पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के फैसले को पलट दिया था, जिसने 2006 में सिद्धू को गैर इरादतन हत्या का दोषी पाया था और उन्हें तीन साल के कारावास की सज़ा सुनाई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा था हाई कोर्ट का फ़ैसला अनुमान पर आधारित है न कि ठोस साक्ष्य पर।

न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने कहा था , ”उच्च न्यायालय का यह निष्कर्ष कि गुरनाम सिंह की मौत सबड्यूरल हेमरेज के कारण हुई है, लेकिन कार्डियक अरेस्ट से नहीं, हमारी राय में, रिकॉर्ड पर मौजूद किसी सबूत पर आधारित नहीं है और एक पूर्ण रूप से महज़ एक अनुमान है। इसलिए, हमें पहले आरोपी की दोषसिद्धि को बनाए रखना और उसे अलग रखना मुश्किल लगता है। क्योंकि एक व्यक्ति को गैर इरादतन हत्या का दोषी क़रार देने के लिए यह स्थापित करना ज़रूरी है कि मृतक की मौत का कारण आरोपी है। लेकिन गुरनाम सिंह की मृत्यु का कारण स्थापित करने के लिए मौजूद चिकित्सा साक्ष्य अनिश्चित हैं।’

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