पृथ्वी को बचाने का अभियान है प्राकृतिक खेती : शिवराज

विक्रम सिंह जादौन

सीहोर, 18 मई,  मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्राकृतिक खेती पृथ्वी को बचाने का अभियान है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने जिले की नसरुल्लागंज तहसील मुख्यालय पर आज आयोजित प्राकृतिक खेती के प्रशिक्षण शिविर को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती धरती, नदियों, मानव जीवन को तथा पृथ्वी के सभी जीव-जंतु, कीट-पतंगों को बचाने का अभियान है। श्री चौहान ने कहा कि खेती में बेतहाशा रासायनिक खाद और कीटनाशकों के उपयोग ने अनेकों जीव-जंतु और कीट पतंगों को समाप्त कर दिया है, जिससे पृथ्वी का स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ रहा है। अत्याधिक रासायनिक खाद के उपयोग से होने वाली पैदावार ने मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर दिया है और कैंसर जैसी घातक बीमारियां हो रही है। उन्होंने कहा कि केंचुए जैसे अनेक पृथ्वी के मित्र कहे जाने वाले जंतु नष्ट हो रहे हैं। अब समय आ गया है कि हम प्राकृतिक खेती अपनाएं।

उन्होंने किसानों से अपील की है कि यदि आपके पास पांच एकड़ खेती है, तो आधा या एक एकड़ में प्राकृतिक खेती करें। प्राकृतिक खेती से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और मिट्टी में पोषक तत्वों का संतुलन बेहतर बनता है। रासायनिक खाद और कीटनाशक खरीदने में पैसा खर्च नहीं करना पड़ता अौर पानी भी बहुत कम लगता है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से अन्न, फल, सब्जियां उत्पादित की जाएंगी, तो उनके दाम भी किसानों को अधिक मिलेंगे। उन्होंने बताया कि जो किसान प्राकृतिक खेती करेंगे और जिनके पास गाय नहीं है और वह गाय खरीदेंगे तो उनके पोषण के लिए 900 रूपए प्रतिमाह दिए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर धरती को बचाने का अभियान शुरू किया है। धीरे-धीरे रासायनिक खेती को छोड़कर प्राकृतिक खेती को अपनाया जाएं, इससे उत्पादन कम नहीं होता है। प्राकृतिक खेती से उत्पन्न गेहूं, धान, अन्य आनाज फल, सब्जियां, मानव स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित होती हैं। यह पौष्टिक तत्वों से भरपूर होती है तथा स्वाद भी अच्छा होता है, जिससे शरीर को सभी आवश्यक पोषण तत्व मिलते हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती का मतलब रासायनिक लैब से निकलकर प्रकृति की लैब में ली जाने वाली खेती है। प्राकृतिक खेती अपनाने का मतलब यह है कि कम लागत और अधिक मुनाफा। उन्होंने कहा कि ज्यादा रासायनिक खाद डालने से उत्पादन अधिक होता है और उसकी लागत बढ़ जाती है।

इस मौके पर प्रशिक्षण शिविर में नीलकंठ धाम गुजरात से आए मुख्य अतिथि केवल्या स्वरूप स्वामी ने कहा कि हमारे देश में खेती को उत्तम कहा गया है। लोगों का समाज का आचार विचार उत्तम हो, इसके लिए आहार भी दोष रहित एवं उत्तम हो। जैसा मिटटी का स्वास्थ्य होगा वैसा ही मानव का स्वास्थ्य होगा। मिट्टी बीमार होगी तो मानव भी अस्वस्थ होगा। उन्होंने कहा कि खेती से ज्यादा उत्पादन लेने के लिए रासायनिक खाद का अत्याधिक प्रयोग किया जा रहा है, जो कि स्वयं के आर्थिक लाभ के लिए है। इसके नुकसान भी बहुत हैं। रासायनिक खेती से एक और धरती बीमार हो रही है तो दूसरी ओर मनुष्य भी अनेक बीमारियों की चपेट में आ रहा है। आज हमें धरती का स्वास्य् मानव स्वास्थ्य और समाज, देश की चिंता करते हुए प्राकृतिक खेती अपना होगा।

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