पत्रकार सुरक्षा कानून पर मुख्यमंत्री धामी गंभीर

नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट इंडिया के प्रान्तीय अधिवेशन में सीएम का किया भव्य स्वागत

यूनियन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजय तलवाड़, कुमाऊं मंडल सचिव रमेश यादव ने सीएम के समक्ष रखी पत्रकारों की समस्याएं

सितारगंज, 16 मई । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने डॉ.रतन सिंह ऑडिटोरिम पहुॅचकर नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इण्डिया) प्रान्तीय अधिवेशन में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री धामी ने कार्यक्रम की शुरूआत दीप जलाकर की। नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इण्डिया) की 11 सूत्रीय मांग पर धामी ने कहा कि राज्य में पत्रकार सुरक्षा कानून हेतु गंभीरता से विचार करेंगे और जो भी बेहतर होगा, वह कार्य किया जायेगा। इसके साथ ही मांगों पर गहनता से परीक्षण कराते हुए जो भी पत्रकारों के हित में बेहतर होगा, वह कार्य अवश्य किया जायेगा। धामी ने अपने सम्बोधन में कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को नमन करता हूॅ।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के चारों स्तम्भ-न्याय पालिका, कार्य पालिका, विधायिका व प्रेस के मध्यम जनहित में आपसी समन्वय होना चाहिए और कोई भी पक्ष कमजोर नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता पारदर्शी व आम आदमी से जुड़ी होनी चाहिए। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि पहले की पत्रकारिता काफी कठिन होती थी और आज भी पत्रकारिता में बहुत सारी चुनौतियां हैं । उन्होंने कहा कि आज डिजिटल का दौर है, लेकिन ऐसे में भी पत्रकारिता में आज भी एक सुनहरा भविष्य छिपा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कई बार खबरों में अर्थ का अनर्थ हो जाता है, लेकिन पत्रकार आज जिस स्थिति में भी अपनी पत्रकारिता को संचालित कर रहे हैं वह एक बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने पत्रकारों से अपील की है कि वह निष्पक्ष पत्रकारिता करें और लोकतंत्र के इस चौथे स्तंभ की मर्यादा को बरकरार बनाए रखें। उन्होंने कहा कि देश के संविधान की विशेषता है कि निचले स्तर से उठकर एक व्यक्ति देश को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ा रहा है और अन्तराष्ट्रीय स्तर पर देश की ख्याति बढ़ा रहा है।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि जबकि वे भी सैनिक परिवार से होने के बावजूद प्रदेश की कमान संभाल रहे हैं।उन्होंने कहा कि पत्रकार समाज के बुद्धीजीवी वर्ग में से है, बजट तैयार करने में पत्रकार बन्धु भी अपनी-अपनी राय अवश्य दें। देवो की भूमि एवं धर्म, संस्कृति व अध्यात्म के संगम उत्तराखण्ड जैसा कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य में पर्यटन कारोबार से जुड़े छोटे-बड़े व्यवसायियों को पिछले दो वर्षों में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा है। कार्यक्रम को प्रदेश के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने संबोधित करते हुए कहा कि राजनीति में पत्रकारिता और राजनीति का चोली दामन का साथ है दोनों के तालमेल से ही सियासत चलती है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता एक बड़ी चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी है इसलिए स्वच्छ पत्रकारिता करनी चाहिए। उन्होंने कहां कि आज अगर विकास की कहीं भी बात आती है चाहे वह देश हो या किसी प्रदेश की उसमें विकास की मुख्यधारा पर पत्रकारिता का भी एक बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने बजट, सर्विस चार्ज सहित विभिन्न विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी। एनयूजेआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष रास बिहारी, पीसीआई के सदस्य प्रसन्ना मोहन्ती, प्राफेसर गिरीश रंजन तिवारी, प्रान्तीय अध्यक्ष कैलाश जोशी ने पत्रकारिता के इतिहास, वर्तमान एवं भविष्य, चुनौतियों आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

कार्यक्रम में कुमाऊॅ की तर्ज पर ही गढ़वाल मण्डल कार्यकारिणी की घोषणा करते हुए गढवाल मण्डल कार्यकारिणी में धर्मेन्द चौधरी को गढ़वाल मण्डल अध्यक्ष तथा निशान्त चौधरी को महासचिव बनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता एनयूजे के राष्ट्रीय अध्यक्ष रास बिहारी ने की। कार्यक्रम में विधायक मोहन सिंह बिष्ट, तिलकराज बेहड़, सुमित ह्देश, पूर्व विधायक राजेश शुक्ला, जिलाधिकारी युगल किशोर पन्त, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मंजुनाथ टीसी, एनयूजे के मण्डल अध्यक्ष दिनेश जोशी, प्रा.अध्यक्ष कैलाश जोशी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजय तलवार, महामंत्री सुशील कुमार त्यागी, कोषाध्यक्ष विकास झा, जिलाध्यक्ष नवीन जोशी सहित अन्य पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित थे।

पत्रकारों की मांगे
पत्रकार सुरक्षा अधिनियम महाराष्ट्र सरकार की तर्ज पर बनाया जाए। पत्रकारों को राज्य स्तर पर 10 लाख का बीमा देने, गैर मान्यता प्राप्त पत्रकारों को निशुल्क चिकित्सा सुविधा देने, पत्रकारों को 20000 पेंशन, सस्ती दर पर पत्रकारों को लोन दिलाने, उनके लिए सस्ती आवासीय कालोनी विकसित करने, पत्रकारों को सरकारी विश्राम ग्रह में राज्य और राज्य के बाहर ठहरने आदि की सुविधा दिए जाने की मांग मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से की गई है।

पहली बार फरियादी बने पत्रकार
पत्रकार हमेशा दबे कुचले और पीड़ित पक्ष की आवाज को अपनी कलम से उठाता आया है। लेकिन कभी पत्रकारों की सुरक्षा, हितों को लेकर आवाज नहीं उठाई गई। पहली बार पत्रकारों ने फरियादी बनकर स्वंय से जुड़ी समस्याओं, उपेक्षाओ से सीएम को अवगत कराया है। जिसके बाद माना जा रहा है कि पत्रकारों की सुरक्षा और हित को लेकर बेहतर निर्णय आ सकते हैं।

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