मर्यादा
सुहानी जोशी (उत्तराखण्ड)
मर्यादा क्या होती है जरा बताना
लफ्जों से बयां हो जाती है क्या? जरा समझाना।
किस पर कब क्या लागू होती है ये मर्यादा
मैने तो जिक्र किया भी नहीं अब क्या कहूं इससे ज्यादा।
क्या वाकई कोई बंधन है ये मर्यादा
या मर्यादा कोई कानून है सादा।
मैने तो कभी देखा ही नहीं इसमें बंधते खुद को
स्वतंत्र किया खुद को निश्चल होकर खो दिया सुध बुध को।
क्या वाकई मर्यादा में मैं हद में होती हूं
पूछती हुई खुद से मैं खुद में खोती हूं।
अंधेरा घिरता है और आवाज आती है
सुहानी जो तू दिन रात इन बंधनो में आती है
और खुद को इनके हवाले बताती हैं।
बेवजह जतन करती है और एक हद के बात रुक जाती है
एक छोर पे समाती है।
घर की बातों का स्मरण कराती है खुद को।
बार बार हद में रहना बताती है खुद को,
इसी का नाम मर्यादा है……