इफ़्तार पार्टी में ‘टोपी बाज़ी’ का क्या औचित्य?

नई दिल्ली, 02 मई,  दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को निजामुद्दीन मरकज के कुछ हिस्सों को 14 अक्टूबर तक खुला रखने की अनुमति दे दी। मरकज में ही मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी के बीच तबलीगी जमात का एक समागम हुआ था और तब से यह बंद है। दिल्ली वक्फ बोर्ड की एक याचिका पर न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने रमजान और ईद के मौके पर मरकज के परिसर के कुछ हिस्सों को फिर से खोलने के संबंध में पिछले महीने जारी अंतरिम आदेश की अवधि को बढ़ा दिया।

बोर्ड ने 2021 में अदालत का रुख कर इस आधार पर परिसर को फिर से खोलने का निर्देश देने की गुहार लगाई थी कि अनलॉक-1 के दिशानिर्देशों में निषिद्ध क्षेत्रों के बाहर के धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति दिये जाने के बाद भी मरकज को बंद रखा गया, जहां बंगले वाली मस्जिद, मदरसा काशिफ-उल-उलूम और उससे लगा छात्रावास है। अदालत ने एक अप्रैल को मस्जिद को रमजान के महीने के लिए खोलने की अनुमति दी थी और साफ किया था कि परिसर में कोई ‘तबलीगी गतिविधि’ और व्याख्यान नहीं हो सकता और केवल नमाज हो सकती है। अदालत ने आदेश दिया था, ‘‘यह निर्देश दिया जाता है कि रमजान, नमाज और धार्मिक इबादत के लिए बंगले वाली मस्जिद में भूतल और चार मंजिलों के इस्तेमाल की अनुमति होगी। यह व्यवस्था केवल रमजान के एक महीने के लिए है, ईद-उल-फित्र के साथ समाप्त हो जाएगी।’’

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